25 अप्रैल 2010

माथे पर लिखा आपका भविष्य

माथे के अग्रभाग जिसे ललाट भी कहते हैं, पर बनी रेखाओं से जातक का भविष्य जाना जा सकता है। शिव भक्त रावण मस्तक रेखाओं का अध्ययन करने वाला महान प्रकांड पंडित था। प्राच्य मत के अनुसार मनुष्य के ललाट पर शनि, गुरु, मंगल, सूर्य, शुक्र, बुध और चंद्र सात ग्रहों की सात रेखाएं होती हैं।

यदि मनुष्य के मस्तक पर तीन स्पष्ट अखंडित रेखाएं हों, तो मनुष्य धनवान और संपन्न होता है। यदि मनुष्य का ललाट ऊंचा-नीचा हो, तो जातक दरिद्रता के साए में जीवन गुजारता है। हंसते समय दोनों भृकुटियों के मध्य खड़ी रेखाएं बनती हों, तो ऐसा जातक दयावान, धर्मात्मा एवं सात्विक गुण वाला होता है। ललाट में त्रिशूल, उध्र्व रेखाएं, स्वस्तिक आदि का होना सर्वगुण संपन्न, धन, पुत्र और स्त्री सुख देता है।

आयु का निर्धारण
माथे पर उभरी रेखाओं द्वारा आयु का निर्धारण भी कर सकते हैं। यदि ललाट पर चार अखंडित रेखाएं हैं, तो जातक की आयु 95 वर्ष तक होती है।

ललाट पर अखंडित और कानों तक लंबी रेखाएं होने पर जातक की आयु १क्क् वर्ष तक होती है। यह रेखाएं योगीजन में ज्यादा देखने को मिलती हैं।

यदि ललाट पर पांच स्पष्ट रेखाएं हैं, तो जातक की आयु 70 वर्ष तक होती है। इसके अलावा यदि मस्तक में बहुत छोटी और छिन्न-भिन्न असंख्य रेखाएं हों, तो जातक अनेक प्रकार के दु:खों को भोगने वाला होता है। यदि जातक के ललाट पर मात्र एक गहरी धनुषाकार रेखा हो, तो जातक पर्यटनशील रहता है।

जातक के ललाट पर सर्पाकृति रेखा या दोनों आंखों के मध्य सीधी खड़ी रेखाएं होने पर जातक वक्ता, बलवान और सुंदर होता है। यदि शनि और गुरु की रेखाएं ललाट के ऊपरी भाग में अर्ध चंद्राकर की आकृति होने पर और सूर्य और चंद्र रेखाओं के परस्पर संयोग कर रही हों, तो जातक परम सौभाग्यशाली होता है।

ललाट पर रेखाओं के फल
शानि रेखा-मनुष्य के ललाट पर सबसे पहली रेखा शनि की होती है। यह रेखा यदि स्पष्ट, सीधी, अखंडित है, तो जातक चतुर और बुद्धिमान होता है। यह रेखा यदि टूटी-फूटी हो, तो जातक मूर्ख और चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है। यदि शनि रेखा टेढ़ी-मेढ़ी और मंगल रेखा धनुषाकार हो, तो जातक गलत आदतों का शिकार होता है और उसका दांपत्य जीवन दु:खभरा होता है।

गुरु रेखा-यह रेखा शनि रेखा के नीचे होती है। यदि यह रेखा स्पष्ट सीधी और अखंडित है, तो जातक धार्मिक, ईमानदार और ज्ञानी होता है। इस रेखा के खंडित होने पर जातक बुद्धिहीन होता है और उसकी स्मरण शक्ति में कमी आ जाती है। गुरु रेखा वृत्ताकार हो, तो जातक सांसारिक कष्टों को भोगता है।

मंगल रेखा-यह रेखा गुरु रेखा के नीचे तीसरी रेखा होती है। अगर यह स्पष्ट सीधी और अखंडित है, तो जातक वीर और साहसी होता है। यदि मंगल रेखा खंडित है, तो जातक कायर होता है और उसमें आत्मविश्वास की बेहद कमी होती है।

बुध रेखा-यदि बुध रेखा अस्पष्ट और अखंडित हो, तो जातक विद्वान, चतुर व्यापारी और श्रेष्ठ वक्ता होता है। दोषपूर्ण होने पर बातूनी और स्वार्थी होता है।

शुक्र रेखा-यदि यह रेखा स्पष्ट और पूर्ण लंबाई वाली हो, तो जातक को पूर्ण दांपत्य सुख प्राप्त होता है। वह सच्च प्रेमी भी होता है। यदि रेखा दूषित है, तो वह प्रेम में धोखा खा सकता है या फिर उसका तलाक हो सकता है।

सूर्य रेखा-दाईं भौंह पर जो रेखा होती है, उसे सूर्य रेखा कहते है। यह रेखा स्पष्ट हो, तो जातक उच्च प्रशासनिक अधिकारी, कूटनीतिज्ञ, राजनेता हो सकता है। यदि यह रेखा टूटी-फूटी हो, तो व्यक्ति को असफलताएं मिलती रहती हैं। साथ ही वह कृपण भी होता है।

चंद्र रेखा-बाईं भौंह पर जो रेखा होती है, उसे चंद्र रेखा कहते हैं। यदि यह रेखा पूर्ण और स्पष्ट हो, तो जातक की खूब यात्राएं होती हैं। जातक कलाप्रेमी, कल्पनाशील हाता है। यदि यह रेखा खंडित हो, तो जातक कठोर हृदय वाला और मंदबुद्धि होता है।