समय के सद्पयोग का एक तरीका यह भी है कि कम समय में दक्षता के साथ काम पूरा हो जाए। यदि हम हमारे समय का आंकलन करें तो पाएंगे हर पल बिखरा हुआ है। ऐसा कोई धागा नहीं होता जो इन्हें जोड़ दे। इसलिए बहुत सारे लोग अपने जीवन में समय के छोटे-छोटे टुकड़ों का ढेर बना लेते हैं, वक्त को बिखरे-बिखरे क्षण, बेतरतीब समय के खंड में बांट देते हैं। जो संत होते हैं उनके जीवन का हर पल एक-दूसरे से जीवनधारा से जुड़ा होता है, गुथा रहता है। हर क्षण इन्टर-कनेक्टेड है, एक-दूसरे से पृथक नहीं। जन्म से मृत्यु तक ऐसी महान हस्तियों ने अपने समय को पूरा जीया है।श्रीसत्यनारायण कथा में नारद ने विष्णुजी से जो उपाय पूछा था उसमें आग्रह किया था कि छोटा उपाय बताएं। तत्कथं शमयेन्नाथ लघूपायेन तद्वदा-(किस लघु उपाय से कष्टों का निवारण होगा) नारद जानते थे, आगे आने वाला युग संक्षेप का समय होगा। यह शार्टकट नहीं कट टू कट का दौर है।नारद ने भगवान से लघु उपाय पूछा था। विष्णुजी भी सावधान थे। उन्होंने घोषणा कर दी कि विशेषत: कलियुगे लघुपायोस्ति भूतले-(विशेष रूप से कलयुग में पृथ्वी लोक में यह सबसे छोटा सा उपाय है) आज के युग में सफलता का एक फंडा है शॉर्ट, क्विक और परफैक्ट। इस कथा ने इसकी घोषणा प्राचीनकाल में ही कर दी थी, लेकिन ऐसा करते समय ध्यान रखा जाए कि यह शीघ्रता कहीं हड़बड़ाहट में न बदल जाए। वरना फिर समय के छोटे-छोटे क्षण बिखर जाएंगे। समय का सद्पयोग फूलों की माला की तरह है और दुरुपयोग फूल के बिखरे हुए ढेर की तरह हैं। फूलों का जब संयोजन होता है तब माला बनती है। बस, समय का भी ऐसे ही संयोजन किया जाए।
25 अप्रैल 2010
हड़बड़ाहट में न बदल जाए शार्टकट
समय के सद्पयोग का एक तरीका यह भी है कि कम समय में दक्षता के साथ काम पूरा हो जाए। यदि हम हमारे समय का आंकलन करें तो पाएंगे हर पल बिखरा हुआ है। ऐसा कोई धागा नहीं होता जो इन्हें जोड़ दे। इसलिए बहुत सारे लोग अपने जीवन में समय के छोटे-छोटे टुकड़ों का ढेर बना लेते हैं, वक्त को बिखरे-बिखरे क्षण, बेतरतीब समय के खंड में बांट देते हैं। जो संत होते हैं उनके जीवन का हर पल एक-दूसरे से जीवनधारा से जुड़ा होता है, गुथा रहता है। हर क्षण इन्टर-कनेक्टेड है, एक-दूसरे से पृथक नहीं। जन्म से मृत्यु तक ऐसी महान हस्तियों ने अपने समय को पूरा जीया है।श्रीसत्यनारायण कथा में नारद ने विष्णुजी से जो उपाय पूछा था उसमें आग्रह किया था कि छोटा उपाय बताएं। तत्कथं शमयेन्नाथ लघूपायेन तद्वदा-(किस लघु उपाय से कष्टों का निवारण होगा) नारद जानते थे, आगे आने वाला युग संक्षेप का समय होगा। यह शार्टकट नहीं कट टू कट का दौर है।नारद ने भगवान से लघु उपाय पूछा था। विष्णुजी भी सावधान थे। उन्होंने घोषणा कर दी कि विशेषत: कलियुगे लघुपायोस्ति भूतले-(विशेष रूप से कलयुग में पृथ्वी लोक में यह सबसे छोटा सा उपाय है) आज के युग में सफलता का एक फंडा है शॉर्ट, क्विक और परफैक्ट। इस कथा ने इसकी घोषणा प्राचीनकाल में ही कर दी थी, लेकिन ऐसा करते समय ध्यान रखा जाए कि यह शीघ्रता कहीं हड़बड़ाहट में न बदल जाए। वरना फिर समय के छोटे-छोटे क्षण बिखर जाएंगे। समय का सद्पयोग फूलों की माला की तरह है और दुरुपयोग फूल के बिखरे हुए ढेर की तरह हैं। फूलों का जब संयोजन होता है तब माला बनती है। बस, समय का भी ऐसे ही संयोजन किया जाए।
Posted by Udit bhargava at 4/25/2010 06:42:00 am
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