04 फ़रवरी 2010

Hindi Novels - Novel - ELove CH-20 चारा

अंजली अपने ऑफीसमें कुर्सीपर बैठकर कुछ सोच रही थी। उसका चेहरा मायूस दिख रहा था। शायद उसने उसके जिवनमें इतना बडा भूचाल आएगा ऐसा कभी सोचा नही होगा। उसने अपना कॉम्प्यूतर शुरु कर रखा तो था, लेकिन उसे ना चाटींग करनेकी इच्छा हो रही थी ना किसी दोस्तको मेल भेजनेकी। उसने अपनी सारी ऑफीशियल मेल्स चेक की और फिरसे वह सोचने लगी। तभी कॉम्प्यूटरपर बझर बजा। उसने अपनी चेअर घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कीया -

' हाय ... मिस अंजली'

विवेकका चॅटींगपर मेसेज था।

उसे अहसास हो गया की उसके दिलकी धडकने तेज होने लगी है। लेकिन इसबार धडकने बढनेकी वजह कुछ अलग थी। अंजली सिर्फ उस मेसेजकी तरफ देखती रही। उसे अब क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था। तभी शरवरी अंदर आ गई। अंजलीने शरवरीको विवेकका मेसेज आया है ऐसा कुछ इशारा किया। शरवरी झटसे बाहर चली गई, मानो पहले उन्होने कुछ तय किया हो। अंजली अबभी उस मेसेजकी तरफ देख रही थी।

' अंजली कम ऑन एकनॉलेज यूवर प्रेझेन्स' विवेकका फिरसे मेसेज आ गया।

' यस' अंजलीने टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक किया।

अंजलीने कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए उसके हाथोमें और उंगलियोंमे पहली बार कंपन महसूस किया।

' मै अब मेलमें सारी जानकारी भेज रहा हूं ' विवेकका मेसेज आ गया।

' लेकिन 50 लाख रुपए देनेके बादभी फिरसे तुम ब्लॅकमेल नही करोगे इसकी क्या गॅरंटी। ?' अंजलीने मेसेज भेजकर उसे बार बार सता रहा सवाल उठाया.

विवेकने उधरसे एक हंसता हूवा छोटासा चेहरा भेजा।

इस बार अंजलीको उस चेहरेके हसनेमें मासूमियतसे जादा कपट दिख रहा था।

' देखो ... यह दुनिया भरोसेपर चलती है ... तुम्हे मुझपर भरोसा करना पडेगा ... और तुम्हारे पास मुझपर भरोसा करनेके अलावा और क्या चारा है ?' उधरसे विवेकका ताना मारता हुवा मेसेज आ गया।

और वहभी सचही तो था ... उसके पास उसपर भरोसा करनेके अलावा कोई दुसरा चारा नही था....

अंजली अब उसने भेजे मेसेजको क्या जवाब दिया जाए इसके बारेमें सोचने लगी। तभी अगला मेसेज आ गया -

' ओके देन बाय... दिस इज अवर लास्ट कन्व्हरसेशन... टेक केअर... तुम्हारा ... और सिर्फ तुम्हारा विवेक...'

अंजली उस मेसेजकी तरफ काफी देरतक देखती रही। बादमें उसे क्या सुझा क्या मालूम, उसने फटाफट कीबोर्डपर कुछ बटन्स दबाए और कुछ माऊस क्लीक्स किए। उसके सामने उसका खुला हुवा मेलबॉक्स अवतरीत हुवा। उसके अपेक्षानुसार और विवेकने जैसा कहा था, उसकी मेल उसके मेलबॉक्समें पहूंच चूकी थी। उसने पलभरकी भी देरी ना करते हूए वह मेल खोली।

मेलमें 50 लाख रुपए कहां, कैसे, और कब पहुचाने है यह सब विस्तारपुर्वक बताया था। साथमें पुलिसके चक्करमें ना पडनेकी हिदायतरुप धमकीभी दी थी। अंजलीने अपनी कलाईपर बंधी घडीकी तरफ देखा। अबभी मेलमें बताए स्थानपर पैसे पहुंचानेमें 4 घंटेका अवधी बाकी था। उसने एक दिर्घ श्वास लेकर धीरेसे छोड दी। वह वैसे कर शायद अपने मनका बोझ हलका करनेकी कोशीश करती होगी। वैसे चार घंटे उसके लिए काफी समय था। और पैसोंका बंदोबस्त भी उसने पहलेसे ही कर रखा था - यहांतक की पैसे सुटकेसमें पॅकभी कर रखे थे। मेलकी तरफ देखते देखते उसके अचानक ध्यानमें आ गया की मेलके साथ कोई अटॅचमेंटभी आई हूई है। उसने वह अटॅचमेंट खोलकर देखी। वह एक JPG फॉरमॅटमें भेजा हुवा एक फोटो था। उसने क्लीक कर वह फोटो खोला।

वह उनके हॉटेलके रुममें दोनो जब एक दिर्घ चुंबन लेते हूए आलिंगनबध्द थे तबका फोटो था।