शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। धर्मशास्त्रों के अनुसार उत्तरायण के दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण समय होता है। मकर संक्रांति पर्व की पूजन पद्वति में सर्दी के प्रकोप से छुटकारा पाने का विधान अधिक है। तिल खाना और बांटना इस पर्व की प्रधानता है। माघ मासका हर दिन एक पर्व और व्रत के रूप में जाना जाता। भारतीय संवत्सर का ग्यारवाँ चंद्रमास और दसवां सौरमास 'माघ' कहलाता है। इस मास में शीतल जल के भीतर दुबकी लगाने वाले मनुष्य पाप मुक्त हो स्वर्गलोक जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार माघ मास में प्रयाग, हरिद्वार इत्यादि तीर्थस्थानों में स्नान, दान, भगवन विष्णु के पूजन और हरिकीर्तन का विशेष महत्व होता है। हालाकिं ऐसा भी नहीं है कि जो व्यक्ति अपनी व्यवस्तता के कारन तीर्थ स्थान न जा सकें, उन्हें भगवन का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होगा। हर वह व्यक्ति जो निर्मल मन व श्रद्धापूर्वक अपने घर में ही प्रातःकाल गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करके भगवान् विष्णु कि पूजा, दान व उपवास करता है, उनकी पूजा भी अत्यंत फलदायी होती है। माघ मास की ऐसी विशेषता है कि हर जगह का साफ़ जल गंगाजल के समान हो जाता है। आवश्यकता है तो निर्मलता एवं श्रद्धा की। इस मास में प्रत्येक तिथि पर्व है। ऐसे में जो व्यक्ति किसी कारन पूरे मास का नियमपूर्वक पालन न कर सकें, तो अंतिम तीन या एक दिन पूर्णिमा का व्रत, स्नान व दान करना न भूलें। माघ शुक्ल पूर्णिमा विशेष पवित्र व पुण्यदायी मानी गयी है। इस दिन भगवान् सत्यनारायण की कथा करने का भी महात्मय है इस मास में सामर्थ्यानुसार दान करने भी अति फलदायी होता है। दान में तिल व कम्बल देने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
जीवन में प्रतिदिन करने वाले कुछ नियम सुख-समृधि व आत्मिक शांति ला सकते हैं। नवग्रहों में सूर्य एवं चन्द्रमा जड़ व चेतन दोनों के अच्छे -बुरे कर्मों कि राशी मने जाते हैं। यह मनुष्य के व्यक्तित्व पर पड़ने वाले विलक्षण प्रभाव के दृष्टिगत अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है, जो व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सूर्य जहाँ देव प्रकृति का क्रूर ग्रह है, वहीँ चन्द्रमा देव प्रकति का सौम्य ग्रह। सूर्य पृथ्वी पर जीवन का मूल आधार है। प्रातःकाल पृथ्वी पर पड़ने वाली किरणें आरोग्य लेकर आती हैं। इन किरणों का शारीर पर चमत्कारिक प्रभाव पड़ता है।
सूर्य ग्रह से उत्तपन अनिष्टो के शमन हेतु व्यक्ति को सूर्य से सम्बंधित वैदिक मंत्र या बीज मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करना चाहिय। प्रातःकाल लाल रोली, शक्कर व गुलाब कि पत्तियों से मिश्रित जल से सूर्य देव को अर्ध्य दें। प्रार्थना के साथ सूर्य देव का ध्यान करें और सच्चे हृदय से सुख-समृद्धि व निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त करें।
नियमित करें उपाय
रविवार के दिन गेहूं, गुड, ताम्बा, लाल वस्त्र, लाल चन्दन, घी इत्यादि का सुयोग्य पात्र को दान करें।
बेलपत्र की जड़ रविवार को सस्त या कृतिका नक्षत्र में लाल धागे में दाई भुजा में बांधने से ग्रह का दुष्प्रभाव कम होने लगता है।
दाहिने हाथ में लाल अक्षत व लाल फूल लेकर सूर्य देव का आह्वान करके सूर्य-गायत्री, सुर्यस्तक, आदित्य हृदय स्त्रोत्र का पाठ करें।
मानसिक स्थिथि का विचार करने के लिए चन्द्रमा का विचार किया जाता है। मन कि शांति के लिए चन्द्र ग्रह की उपासना करीं चाहिय।
संध्याकाल में चन्द्र दर्शन करके कच्चा दूध मिश्रित जल से अर्ध्य देकर प्रार्थना पूर्वक नमस्कार करें। चन्द्रमा का बीजमंत्र ॐ श्रीं श्रौ स: चन्द्रमसे नमः का जाप करें।
चांदी, सफ़ेद वस्त्र, दूध, दही, चीनी, चावल व अनाज में चावल किसी स्त्री को सोमवार के दिन दान में देना प्रभावशाली फल देगा।
01 फ़रवरी 2010
ऐसे भी बटोर सकते हैं पुण्य
Posted by Udit bhargava at 2/01/2010 09:30:00 am
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