06 फ़रवरी 2010

गजानन महाराज

समर्थ श्री गजानन महाराज का प्रगटोत्सव 5 फरवरी को मनाया जाता है। पृथ्वी पर समस्त जग का कल्याण करने के लिए समय-समय पर संतों के अवतार होते हैं और वे परोपकार में ही अपनी देह खपाते रहते हैं। ऐसे ही एक संत है- श्री गजानन महाराज शेगाँव वाले। उनका समाधि मंदिर शेगाँव में ही है।

गजानन महाराज दिगंबर वृत्ति के सिद्ध कोटि के साधु थे। जो भी मिले खा लेना, कहीं भी रह लेना, कहीं भी भ्रमण करना और मुख से हमेशा परमेश्वर का भजन करते रहना, ऐसी उनकी दिनचर्या थी।

भक्तों के संकट दूर करके परमेश्वर दर्शन करवाने के सैकड़ों उदाहरण उनके चरित्र में हैं। शेगाँव स्थित गजानन महाराज के मंदिर में हमेशा भक्‍तों की भीड़ लगी रहती है। शेगाँव का नाम महाराष्‍ट्र के प्रमुख तीर्थस्‍थानों में शामिल है।


महाराष्ट्र में बुलढाना जिले में सेंट्रल रेलवे के मुंबई-नागपुर मार्ग पर शेगाँव स्थित है। श्री गजानन का मंदिर बीचों-बीच स्थित है जिसके महाद्वार की खिड़की रात भर खुली रहती है। उनका समाधि मंदिर गुफा में स्थित है। मंदिर परिसर में वर्ष भर भजन व प्रवचन चलते रहते हैं। रोजाना सुबह होने वाली पूजा-अर्चना विधिवत चलती है। जिसमें काकड़ आरती और शयन आरती भी‍ शामिल हैं।

श्री गजानन महाराज का प्रकट दिवस माघ वद्यानवमी (फरवरी माह) में तथा इनकी पुण्यतिथि (ऋषि पंचमी के दिन) पर शेगाँव में प्रमुख उत्सव मनाया जाता है, मंदिर के चारों ओर रोशनी की जाती है। हाथी, घोड़ा, रथ, पालकी, दिंडी आदि के साथ जुलूस निकाला जाता है।

शहरी चमक-दमक से दूर शेगाँव में सादगी और महाराष्‍ट्र के ग्रामीण जीवन की सहजता की झलक मिलती है। जो लोग यहाँ आध्‍यात्मिक शांति की तलाश में आते हैं, उनके लिए यहाँ पर बहुत कुछ हैं। मंदिर परिसर में ही एक धार्मिक वाचनालय है। जो भक्‍तों के लिए खुला रहता है। पास में ही 'गजानन वाटिका' नामक सुंदर वाटिका है और एक प्राणी संग्रहालय भी हैं। बाहर से आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में ही भव्य 'भक्त निवास' बना हुआ है, जहाँ कम दरों पर कमरे मिलते हैं। साथ ही महाप्रसादी का वितरण भी किया जाता है।