शरवरीको आनंदजींका मेसेज मिलतेही वह तुरंत अंजलीके कॅबिनमें गई। देखती है तो अंजली हताश, निराश दोनो हाथोंके बिच टेबलपर अपना सर रखकर बैठी थी.
"" अंजली क्या हुवा ?'' अंजलीको उस अवस्थामें बैठी हुई पाकर शरवरीने चिंताभरे स्वरमें, उसके पास जाकर, उसके पिठपर हाथ सहलाते हूए पुछा।
उसने उसे इतना हताश और निराश, और वह भी ऑफीसमें कभी नही देखा था।
ऐसा अचानक क्या हुवा होगा?...
शरवरी सोचने लगी। अंजलीने धीरेसे अपना सर उठाया. उसके हर हरकतमें एक धीमापन और दर्द दुख का अहसास दिख रहा था. उसका चेहराभी उदास दिख रहा था.
हां उसके पिताजी जब अचानक हार्ट अटॅकसे गुजर गए थे तबभी वह ऐसीही दिख रही थी....
धीरेसे अपना चेहरा कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ घुमाते हूए अंजली बोली, "" शरवरी... सब कुछ खतम हो चुका है ''
कॉम्प्यूटरका मॉनीटर शुरुही था। शरवरीने झटसे नजदिक जाकर कॉम्प्यूटरपर क्या चल रहा है यह देखा. उसे मॉनीटरपर विवेककी अंजलीने खोली हूई मेल दिखाई दी. शरवरी वह मेल पढने लगी -
"" मिस अंजली... हाय... वुई हॅड अ नाईस टाईम ... आय रिअली ऍन्जॉइड इट॥ खुशीसे और तुम्हारे प्यारकी वर्षावसे भिगे हुए वह पल मैने मेरे दिलमें और मेरे कॅमेरेमें कैद करके रखे है... मै तुम्हारी माफी चाहता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें बंद किये है ... वह पल थे ही ऐसे की मै अपने मोहको रोक नही सका.... तुम्हे झूट तो नही लग रहा है न? .. देखो ... उन पलोंसे एक चुने हूए पलको मैने इस फोटोग्राफके स्वरुपमें तुम्हारे मेलके साथ अटॅच करके भेजा है.... ऐसे बहुतसे पल मैने मेरे कॅमेरेमे और मेरे हृदयमें कैद कर रखे है ... सोचता हूं की उन पलोंको .. इन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश कर दूं .. क्यो कैसी दिमागवाली आयडिया है ? है ना? ... लेकिन यह तुम्हे पसंद नही आएगी ... तुम्हारी अगर इच्छा नही हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे दिलमें दफन करके रख सकता हूं ... लेकिन उसके लिए तुम्हे उसकी एक मामुलीसी किमत अदा करनी पडेगी.... क्या करे हर बात की एक तय किमत होती है ... है की नही ?...कुछ नही बस 50 लाख रुपए... तुम्हारे लिए बहुतही मामुली रकम ... और हां ... पैसेका बंदोबस्त तुरंत होना चाहिए ... पैसे कब कैसे पहुंचाने है ... यह बादमें मेलके द्वारा बताऊंगा ...
मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं ॥ लेकिन क्या करें कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है ... अगले मेलका इंतजार करना ... और हां ... तुम्हे बता दूं की मुझे पुलिसका बहुत डर लगता है ... और जब मै डरता हूं तब हडबडाहटमें कुछभी अटपटासा करने लगता हूं .... किसीका खुनभी ...
तुम्हारा ... सिर्फ तुम्हारा ... विवेक ''
मेल पढकर शरवरीको मानो उसके पैरके निचेसे जमिन खिसक गई हो ऐसा लग रहा था। वह एकदम सुन्न हो गई थी. ऐसाभी हो सकता है, इसपर उसका विश्वासही नही हो रहा था. उसने विवेकके बारेमें क्या सोचा था, और वह क्या निकला था.
'' ओ माय गॉड... ही इज अ बिग फ्रॉड... आय कांट बिलीव्ह इट...'' शरवरीके आश्चर्यसे खुले मुंहसे निकल गया।
शरवरीने मेलके साथ अटॅच कर भेजे फोटोके लिंकपर क्लीक करके देखा। वह अंजलीका और विवेकका हॉटेलके सुईटमें एकदुसरेको बाहों में लिया हुवा नग्न फोटो था.
'' लेकिन उसने यह फोटो, कैसे लिया होगा ?'' शरवरीने अपनी उलझन जाहिर की।
"" मै मुंबईको कब जानेवाली थी ... कहा रुकने वाली थी ... इसकी उसे पहलेसेही पुरी जानकारी थी। '' अंजलीने कहा.
'' यह तो सिधा सिधा ब्लॅकमेलींग है।'' शरवरी गुस्सेसे आवेशमें आकर चिढकर बोली.
'' उसके मासूम चेहरेके पिछे इतना भयानक चेहराभी छिपा हूवा हो सकता है ... मुझे तो अबभी विश्वास नही होता। '' अंजलीने दुखसे कहा.
'' कमसे कम शादीके पहले हमें उसका यह भयानक रुप पता चला... नही तो न जाने क्या हो जाता ...'' शरवरीने कहा।
'' मुझे दुख पैसेका नही ... दुख है तो सिर्फ उसने दिए इतने बडे धोखे और विश्वासघात का है। '' अंजलीने कहा.
'' एक पलके लिए समझ लो की अगर हम उसे 50 लाख रुपए दे देते है... लेकिन पैसे लेनेके बादभी वह फिरसे हमें ब्लॅकमेल नही करेगा इसकी क्या ग्यारंटी? ... '' शरवरीने फिरसे अपने मनमें चल रहा सवाल जाहिर किया।
अंजली चेहरे पर डर लिए सिर्फ उसकी तरफ देखती रही। क्योंकी उसके पासभी इस सवालका कोई जवाब नही था.
"" मुझे लगता है तूम एक बार उसे मेल कर उसका मन परिवर्तीत करनेका प्रयास करो... और अगर फिरभी वह नही मानता है तो ... चिंता मत करो... हम जरुर इसमेंसेभी कुछ रास्ता निकालेंगे. '' शरवरी उसको ढांढस बढाते हूई बोली.
04 फ़रवरी 2010
Hindi literature - Novel - ELove CH-18 क्या हुआ ?
Posted by Udit bhargava at 2/04/2010 05:20:00 pm
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