अंजलीने आज सुबह आए बराबर कुर्सीपर बैठकर कॉम्प्यूटर शुरु किया। कॉम्प्यूटर बुट होनेके बाद उसने चॅटींग विंडो ओपन किया और किसीका कोई ऑफलाईन मेसेज है क्या देखने लगी. किसीका भी ऑफलाईन मेसेज नही था. उसके चेहरेपर मायूसी छा गई लेकिन वह छिपाते हूए वह सामने टेबलपर रखे रिपोर्टस उलट पुलटकर देखने लगी. उसके टेबलके सामने शरवरी बैठी थी. वह बडी गौरसे अंजलीकी एक एक हरकत देख रही थी और मुस्कुरा रही थी. रिपोर्ट देखते हूए अंजलीके यह बात ध्यानमें आगई तो झटसे उसने शरवरीकी तरफ एक कटाक्ष डाला.
'' क्या हूवा ... क्यो मुस्कुरा रही हो ?'' अंजलीने उसे पुछा।
शरवरीभी बडी चतूराईसे अपने चेहरेके भाव छिपाकर गंभीर मुद्रा धारण करती हूई बोली,
'' कहां... मै कहा मुस्कुरा रही हूं ?... ''
तभी अंजलीके कॉम्प्यूटरका बझर बजा। अंजलीने झटसे मुडकर अपने कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ देखा और फिरसे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त हो गई.
'' दो दिनसे मै देख रही हूं की जबभी चाटींगका बझर बजता है तुम सारे कामधाम छोडकर मॉनीटरकी तरफ देखती हो ... क्या किसीके मेसेजकी या मेलकी राह देख रही हो ? '' शरवरीने पुछा।
'' नहीतो ?'' अंजलीने कहा और फिरसे अपने टेबलपर रखे रिपोर्ट पढनेमें व्यस्त होगई, या कमसे कम वैसे जतानेकी कोशीश करने लगी। कॉम्प्यूटरका बझर फिरसे बजा. अंजलीने फिरसे छटसे मॉनीटरकी तरफ देखा और इस बार वह अपनी पहिएवाली कुर्सी झटकेसे घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कर बैठ गई.
'' यह जरुर विवेकका मेसेज है '' शरवरी फिरसे उसे छेडते हूए बोली।
'' किस विवेकका ?'' अंजलीभी कुछ समझी नही ऐसा जताते हूए बोली।
'' किस विवेकका? ... वही जो उस दिन चॅटींगपर मिला था '' शरवरीभी उसे छोडनेके मुडमें नही थी।
'' यह तुम इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?'' अंजलीने कॉम्प्यूटरपर काम करते हूए पुछा।
'' मॅडम आपके चेहरेकी लाली सब कुछ बता रही है '' शरवरी मुस्कुराते हूए बोली।
पहले तो अंजलीके चेहरेपर चोरी पकडने जैसे झेंपभरे भाव आ गए। लेकिन झटसे अपने आपको संभालते हूए वह शरवरीपर गुस्सा होते हूए बोली.
'' तूम जरा मेरा पिछा छोडोगी... कबसे मै देख रही हो मेरे पिछेही पडी हो... उधर बाहर देखो ऑफिसके कितने काम पेंडीग पडे हूए है.... वह जरा देखके आओ॥ जाओ ..'' अंजलीने कहा।
अंजलीका इशारा समझकर शरवरी वहांसे उठ गई और मुस्कुराते हूए वहांसे चली गई।
शरवरी जानेके बाद अंजलीने झटसे कॉम्प्यूटर पर अभी अभी आया हूवा विवेकका मेसेज खोला।
04 फ़रवरी 2010
Hindi books - Novel - E Love CH-8 अधीर मन
Posted by Udit bhargava at 2/04/2010 08:11:00 am
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