कुण्डली के पंचम और नवम भाव की राशियों और उनके स्वामी गृह की सात्विक प्रवत्ति के अनुसार ज्ञात होता है कि व्यक्ति किस देवता की उपासना करेगा। यदि इन भावों में कोई ग्रह बैठे हों तो उनके अनुसार उपास्य देव में अंतर आ सकता है। लग्नानुसार उपास्य देव जानें-
वृष -- वृष लग्न में पंचम और भाव में कन्या और मकर राशि होने से व्यक्ति शंकर, दुर्गा और हनुमानजी का उपासक होगा।
मिथुन -- मिथुन लग्न में पंचम और नवं भाव में तुला और कुम्भ राशि होने से व्यक्ति हनुमान, देवी माँ और शंकरजी का उपासक होगा।
कर्क -- कर्क लग्न में पंचम और नवं भाव वृश्चिक और मीन राशि होने से जातक सौम्य देव, राधाकृष्ण और सीताराम का उपासक होगा।
सिंह -- सिंह लग्न में पंचम और नवं भाव में धनु और मेष राशि होने से व्यक्ति हनुमानजी के उपासक होंगे। यदि गुरू बनवान है, तब व्यक्ति विष्णु भगवान् का भक्त होगा।
कन्या -- कन्या लग्न में पंचम और नवं भाव में मकर और वृष राशि होने से व्यक्ति देवी माँ का उपासक होगा।
तुला -- तुला लग्न में पंचम और नवं भाव में कुंभ और मिथुन राशि होने के कारण व्यक्ति हनुमान और शंकर-पार्वतीजी का उपासक होगा।
वृश्चिक -- वृश्चिक लग्न में पंचम और नवं भाव में मीन और कर्क राशि होने से व्यक्ति देवी माँ और शंकर भगवान् का उपासक होगा।
धनु -- धनु लग्न में पंचम और नवं भाव में मेष और सिंह राशि होने से व्यक्ति हनुमान एवं देवी माँ का उपासक होगा।
मकर -- मकर लग्न में पंचम उअर नवं भाव में वृष और कन्या राशि होने से व्यक्ति दुर्गा देवी और हनुमानजी का उपासक होगा तथा तंत्र-मंत्र में भी रुचि होगी।
कुंभ -- कुंभ लग्न में पंचम और नवं भाव में मिथुन और तुला राशि होने से व्यक्ति हनुमान और देवी माँ का उपासक होगा। तंत्र-मंत्र में भी उसकी रुचि होगी।
मीन -- मीन लग्न में पंचम और नवम भाव में मिथुन और तुला राशि होने से व्यक्ति विष्णु भक्त होगा। ऐसा जातक सात्विक भक्तिभाव से विश्वास रखता है।
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