13 जुलाई 2010

बिना पंचांग जानें ( Learn Without calendar )

मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार तिथि एवं वार से कई अशुभ योग बनते हैं। शुभ कार्य इन योगों में करना वर्जित माना गया है। प्रश्न उठता है कि एक साधारण व्यक्ति यह कैसे जाने कि यह योग कैसे बनते हैं और अशुभ योग कैसे कौन से हैं?

जीवन में हम प्रतिदिन कोई न कोई छोटा-बड़ा काम करते ही रहते हैं। इन कामों को करने के लिये पंचांग देखना और बार-बार पंडित/ज्योतिषियों के पास जाना सम्भव नहीं होता। फिर हम कैसे जान सकते हैं कि शुभ-अशुभ योग कौन से हैं।

मुहूर्त चिंतामणि में तिथि एवं वार से बनने  वाले अशुभ योगों से क्रकच योग, मृत्यु योग, दग्ध योग, सर्वात योग, विष योग, अधम अग्नि जिव्हा योग और कुलिक योग होते हैं। ये योग कैसे बनते हैं विचार करें-

क्रकच योग: सप्ताह के प्रथम दिन रविवार को एक मानते हुए गणना करें।
रविवार-1, सोमवार-2, मंगलवार-3 ....।
गणना करते समय जब तिथि और वार का योग '13' हो जाए तो क्रकच योग बन जायेगा. इसे निम्न सारणी से भी समझें-
वार   रवि   सोम   मंगल   बुध   गुरु   शुक्र   शनि 
अंक     1       2         3        4       5       6       7
तिथि   12    11       10       9       8       7       6

अर्थात रविवार को द्वादशी तिथि हो तो क्रकच नामक अशुभ योग बनता है।

कुलिक योग: यदि वार व तिथि का योग आठ हो जाए तो कुलिक योग होता है।
वार   रवि   सोम   मंगल   बुध   गुरु   शुक्र   शनि
अंक     1       2         3          4      5       6        7
तिथि   7       6         5          4      3       2        1
यदि सोमवार को षष्ठी तिथि या मंगलवार को पंचमी तिथि हो तो कुलिक योग होगा।

अग्नि जिव्हा योग: इसमें कोई शुभ कार्य नन्हीं करें तथा नाम तथा गुण के नुसार यह अशुभ फलदायक है। रविवार को अंक व तिथि का योग 13 व शेष वार में 4 जोड़ने से जो तिथि आए वह जिव्हा योग कहलाती है। तालिका में देखें
वार   रवि   सोम   मंगल   बुध   गुरु   शुक्र   शनि
अंक     1       2          3         4      5       6         7
तिथि   1       2          6         7      8       9        10       11
उदाहरण सोमवार को दो अंक प्रदान किये हैं। इसमें 4 जोड़ने से 6 आता ही। अतः सोमवार को यदि छठ है तो यह योग बनता है।

अधम योग: क्रकच योग की भांति वार व तिथि का योग 13 हो जाए तो यह योग बनता है।

मृत्यु योग: तिथि में 5 का भाग दो जो शेष बचे वह क्रमानुसार अशुभ संज्ञय होगा।
वार    रवि  सोम  मंगल  बुध  गुरु  शुक्र  शनि
तिथि    1  2  3  4  5  व 0
उक्त अशुभ योग शुभ कार्यों में सर्वदा टालना हितकर रहता है।