11 मार्च 2010

शिवलिंग का रंग बदला

क्या राम सेतु पर संकट से बदला शिवलिंग का रंग?

इसे आस्था कहें या अंधविश्वास? काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी के मंदिरों में ही नहीं, वरन उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के कई शिव मंदिरों के शिवलिंगों का रंग एकाएक बदल गया है। एक ही दिन कई शिव मंदिरों में शिवलिंग का रंग बदलने की घटना ठीक उसी प्रकार प्रतीत हो रही है, जिस प्रकार पूर्व में एक बार देशभर में गणेश भगवान की मूर्तियों ने दूध पिया था।
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लखनऊ के चारों धाम मंदिर स्थित शिवलिंग के रंग बदलने की सूचना पाकर भक्तजन भक्तिरस में डूब गए और भजन-पूजन करने लगे। यह घटना रविवार दोपहर 12 बजे के आसपास की है जब मंदिर में भक्तों ने देखा कि काले पत्थर के भगवान शिव के लिंग का रंग कुछ हिस्सों में सफेद होने लगा। दर्शनार्थी अचम्भित हो उठे। इसके बाद चर्चा ने जोर पकड़ा। रानीकटरा स्थित चारों धाम मंदिर में मंदिर से जुड़े हुए परिवार और अन्य लोगों का ताँता लग गया।

"भक्तजन एवं मन्दिर के पुजारी पंडित सियाराम अवस्थी इस घटना को रामसेतु पर आए संकट से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि के राम विरोधी बयान और सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा गलत हलफनामा देने से ही यह चमत्कार मालूम पड़ता है।"
चौपटिया स्थित चारों धाम सिद्धपीठ मंदिर के पुजारी पंडित सियाराम अवस्थी इस घटना को ईश्वर की अद्‍भुत घटना मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पुराने लखनऊ का यह इलाका छोटी काशी के नाम से विख्यात है। यहाँ चारों धाम मन्दिर एवं बड़ी कालीजी की बड़ी महिमा है। पुराने लखनऊ की सँकरी गलियों में स्थित चारों धाम मन्दिर में रामेश्वरम्‌, बद्रीनाथ, केदारनाथ, द्वारिकाधीश और जगन्नाथपुरी के साक्षात दर्शन संभव हैं। यहाँ स्वर्ग और नरक के भी साक्षात दर्शन होते हैं। मन्दिर के पुजारी पंडित सियाराम अवस्थी का कहना है कि द्वारिकाधीश मन्दिर की प्रतिमा तो बाकायदा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से पंजीकृत है।

चारों धाम मन्दिर में स्थित रामेश्वरम्‌ मन्दिर बिलकुल रामेश्वर स्थित मन्दिर की तर्ज पर बना हुआ है। शिवलिंग के करीब से ही लंका जाने के लिए रामसेतु तथा उसके बाद रावण दरबार बना हुआ है, जहाँ आजकल रंगाई-पुताई का काम चल रहा है। संभवतः रावण दरबार अन्यत्र देखने को नहीं मिलता। आश्चर्य है कि रामेश्वरम्‌ के नाम से बने इस मन्दिर के शिवलिंग ने अपना रंग बदला। भक्तजन एवं मन्दिर के पुजारी पंडित सियाराम अवस्थी इस घटना को रामसेतु पर आए संकट से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि के राम विरोधी बयान एवं भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा गलत हलफनामा देने से ही यह चमत्कार मालूम पड़ता है।

रविवार को राजधानी लखनऊ के रानीकटरा मोहल्ला में संतोषी माता मंदिर स्थित शिवलिंग के कुछ हिस्से के रंग बदलने से भक्तजन अवाक रह गए। पुराने मंदिर में स्थित सफेद शिवलिंग के बीच में लाल धारियाँ पड़ने से भी शिवभक्तों को आश्चर्य हुआ। यही नहीं नन्दी का भी रंग बदला। इसी मंदिर में शिवलिंग में शिव के नेत्र भी उभरकर सामने दिखाई देने लगे।

संतोषी माता मंदिर के पुजारी चन्द्रशेखर तिवारी का कहना है कि वे पिछले 20 वर्षों से इस मंदिर के पुजारी हैं, किन्तु ऐसा चमत्कार उन्होंने पहली बार देखा है। उन्होंने कहा कि भगवान ही चमत्कार दिखाते हैं, ताकि भक्तजन ईश्वर अंश को समझें। जो भगवान राम एवं शिव को नहीं मानता उसे ईश्वर ऐसे कारनामे दिखाता है जिससे वे अदृश्य शक्ति मानने को मजबूर हो जाते हैं। उनका कहना है कि कहीं शिव मंदिर में नाग निकलते हैं तो कहीं कन्या। यह सब भावना का खेल है। जैसी भावना वैसा ही प्रभु का स्वरूप दिखाई पड़ता है।

"शिवलिंग के रंग बदलने की घटना को वैज्ञानिक अन्वेषण का विषय बताया। उनका कहना था कि इस प्रकार की घटना उनके विभाग द्वारा संरक्षित मूर्तियों जिनकी आयु हजारों वर्ष है, के बारे में अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।"
अब समय के साथ मंदिर स्थित शिवलिंग अपने पुराने स्वरूप में वापस लौट रहा है। भक्तजन बताते हैं कि रविवार को शिवलिंग में जितनी लालिमा थी, वह अब धीरे-धीरे काले छल्ले में बदल रही है। रानीकटरा चौपटिया निवासी मधुबाला, योगिता सिंह, वन्दना पाण्डेय, बृजेश पाण्डेय, अजीत कुमार शर्मा, मनोज मिश्रा आदि शिवलिंग के रंग बदलने की घटना को अद्‍भुत संयोग मान रहे हैं। शिवलिंग के रंग बदलने की घटना के बाद मंदिर में भक्तजनों का ताँता लग गया। सूचना है कि इसी प्रकार की घटना चारबाग, सरोजनीनगर के गौरी गाँव आदि कई जगहों पर घटित हुई है। अधिकतर लोग इस घटना को आस्था एवं विश्वास की नजर से देख रहे हैं।

पुरातत्व निदेशालय के उपनिदेशक पी.के. सिंह ने शिवलिंग के रंग बदलने की घटना को वैज्ञानिक अन्वेषण का विषय बताया। उनका कहना था कि इस प्रकार की घटना उनके विभाग द्वारा संरक्षित मूर्तियों, जिनकी आयु हजारों वर्ष है, के बारे में अभी तक नहीं प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि शिवलिंग का रंग बदलने की घटना का संबंध पुरातत्व अन्वेषण से नहीं है। इस संबंध में आईटीआरसी के पूर्व निदेशक एवं बायोटेक पार्क के मुख्य अधिशासी अधिकारी डॉ. पी.के. सेठ से जानकारी चाही किन्तु वे कोई भी बयान देने से बचे और उन्होंने आईटीआरसी में ही किसी वैज्ञानिक से संबंध स्थापित करने को अपने निजी सचिव के माध्यम से कहा। इस तरह शिवलिंग रंग क्यों बदल रहे हैं? इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है, वहीं शिवभक्तों का कहना है जहाँ आस्था की बात आती है, वहाँ शक की गुंजाइश ही नहीं होती।