जैन धर्म
1। अहिंसा परम धर्म है किसी भी जीव की हिंसा मत करो, हिंसा करने वाले का सब धर्म-कर्म व्यर्थ हो जाता है
2। संसार में सबको अपनी जान प्यारी है, कोई मरना नहीं चाहता, अतः किसी भी प्राणी की हिंसा मत करो
सनातन (हिन्दू) धर्म
1। जातु मांस न भोक्तव्यं, प्राणै कण्ठगतैरपि - (काशीखण्ड, 353-55)प्राण चाहे कण्ठ तक ही क्यों न आ जाए, मांसाहार नहीं करना चाहिए
2। जो व्यक्ति सौ वर्षो तक लगातार अश्वमेघ यज्ञ करता है और जो व्यक्ति मांस नहीं खाता है, उनमें से मांसाहार का त्यागी ही विशेष पुण्यवान माना जाता है (महाभारत अनु। पर्व 115)
3। जो व्यक्ति अपने सुख के लिए निरपराध प्राणियों की हत्या करता है, वह इस लोक और परलोक में कहीं भी सुख प्राप्त नहीं कर सकता (मनुस्मृति, 5-45)
4। जो लोग अण्डे-मांस खाते है, मैं उन दुष्टों का नाश करता हूँ (अर्थर्ववेद, 8-6-93)
5। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं वे सचमुच राक्षस की तरह दिखाई देते हैं (महाभारत, अनु। पर्व, अ।117)
ईसाई धर्म
1। पशु वध करने के लिए नहीं हैं
2। मैं दया चाहूँगा, बलिदान नहीं
3। तुम रक्त बहाना छोड़ दो, अपने मुंह में मांस मत डालो
4। ईश्वर बड़ा दयालु है, उसकी आज्ञा है कि मनुष्य पृथ्वी से उत्पन्न शाक, फल और अन्न से अपना जीवन निर्वाह करे
5। हे मांसाहारी! जब तू अपने हाथ फैलायेगा, तब मैं अपनी आँखे बन्द कर लूंगा तेरी प्रार्थानाएँ नहीं सुनूंगा; क्योंकि तेरे हाथ खून से सने हुए हैं - ईसा मसीह
इस्लाम धर्म
1। हजरत रसूल अल्लाह सलल्लाह अलैह व वसल्लम ताकीदन फरमाते हैं कि जानदार को जीने व दुनिया में रहने का बराबर व पूरा हक है ऐसा कोई आदमी नहीं है जो एक गौरैयां से छोटे कीड़े की भी जान लेता है खुदा उससे इसका हिसाब लेगा और वह इन्सान जो एक नन्हीं सी चिड़िया पर भी रहम करता है, उसकी जान बचाता है, अल्लाह कयामत के दिन उस पर रहम करेगा
2। कोई भी चलने वाली चीज या जानदार, अल्लाह से बनायी है और सबको खाने को दिया है और यह जमीन उसने जानदारों (प्राणियों) के लिए बनायी है
3। आदमी अपनी गिजा (खाने) की तरफ देखे कि कैसे हमने बारिश को जमीन पर भेजा, जिससे तरह-तरह के अनाज, अंगुर, फल-फूल, हरियाली व घास उगती है ये सब खाने किसके लिए दिये गये है - तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के लिए
4। क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह उन सबको प्यार करता है, जो जन्नत में है, जमीन पर है- चांद, सूरज, सितारे,पहाड़, पेड़, जानवर और बहुत से आदमियों को
5। खुदा से डरो कुदरत को बर्बाद मत करो अल्लाह हर गुनाह को देखता है, इसलिए दोखज और सजा बनी है - जानवरों के लिए इस्लामी नजरिया, मौलाना, अहमद मसारी
बौद्ध धर्म
1। जीवों को बचाने में धर्म और मारने में अर्धम है मांस म्लेच्छों का भोजन है -भगवत बुद्ध
2। मांस खाने से कोढ़ जैसे अनेक भयंकर रोग फूट पड़ते है, शरीर में खतरनाक कीड़े पड़ जाते हैं, अतः मांसाहार का त्याग करें -लंकावतार सूत्र
3। सारे प्राणी मरने से डरते है, सब मृत्यु से भयभीत है उन्हें अपने समान समझो अतः न उन्हें कष्ट दो और न उनके प्राण लो - भगवान बुद्ध
पारसी धर्म
जो दुष्ट मनुष्य पशुओं, भेड़ो अन्य चौपायों की अनीतिपूर्ण हत्या करता है, उसके अंगोपांग तोड़कर छिन्न-भिन्न किये जाएँगे -जैन्द अवेस्ता
सिक्ख धर्म
1। जो व्यक्ति मांस, मछली और शराब का सेवन करते हैं, उसके धर्म, कर्म, जप, तप, सब नष्ट हो जाते हैं
2। क्यूं किसी को मारना जब उसे जिन्दा नहीं कर सकते?
3। जे रत लागे कापड़े, जामा होई पलीत ते रत पीवे मानुषा, तिन क्यूं निर्मल चीत (जिस खून के लगने से वस्त्र-परिधान अपवित्र हो जाते हैं, उसी रक्त को मनुष्य पीता है फिर उसका मन निर्मल कैसे हो/ रह सकता है? - गुरुनानक साहब
यहुदी धर्म
पृथ्वी के हर पशु को और उड़ने वाले पक्षी को तथा उस हर प्राणी को जो धरती पर रेंगता है, जिसमें जीवन है, उन सबके लिए मैंने मांस की जगह हरी पत्ती दी है जब तुम प्रार्थना करते हो, तो मैं उसे नहीं सुनता यदि तुम्हारे हाथ खून से रंगे हैं
09 मार्च 2010
जैन धर्म दर्शन - अहिंसा - विभिन्न धर्म दृष्टियां
Posted by Udit bhargava at 3/09/2010 08:37:00 am
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