संकल्प, संस्कार, सुविचार, समर्पण व सिद्धता इस पंचामृत के सम्मिलित स्वरूप का नाम है सफलता - जीवन के प्रत्येक क्षेत्र व कार्य में सफलता प्राप्ति को प्रमुख ध्येय के रूप में निर्धारण करना आवश्यक है। सफलता प्राप्ति के लिए कार्य व कार्यक्रमों का युक्तियुक्त व व्यवस्थित नियोजन व निर्धारित करना जरूरी है। यदि व्यक्ति अपनी संपूर्ण क्षमताओं का सदुपयोग संस्कार, नैतिकता व अनुशासन रूपी त्रिवेणी के संयोजन के साथ करता है तो सफलता निश्चित रूप से उसी के साथ होती है।
आइए, सफलता प्राप्ति के 11 अमृत बिंदुओं पर दृष्टिपात करें।
1। हमारा जीवन ईश्वर की व्यवस्था के अनुरूप है।
2। मनुष्य पद सर्वश्रेष्ठ है।
3। स्वयं के साथ ही समाज के लिए जिएँ।
4। सबके सुख-दुख में हमारी सहभागिता हो।
5। सद्गुण, सद्व्यवहार, सदाचार, सद् संकल्प व सहृदयता अपनाएँ।
6। राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर कार्य करें।
7। शांत, प्रसन्न चित्त, सकारात्मक, ध्येय निष्ठ व आस्थावान रहें।
8। व्यवस्था-प्रियता व न्याय-प्रियता को सर्वोच्च स्थान दें।
9। सभ्यता, शालीनता, विनम्रता, चरित्र व आचरण की महत्ता को समझें।
10। समय का कुशलतापूर्वक नियोजन करें।
11। ईमानदारी, समझदारी व जिम्मेदारी के साथ अपने दायित्व व कार्यों का निर्वहन करें।
हम सब आगे बढ़ते रहें, सफलता पल, प्रतिपल, अहर्निश हमारे साथ होगी।
10 मार्च 2010
सफलता जीवन की सार्थकता
Posted by Udit bhargava at 3/10/2010 07:57:00 am
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