तन्जावुर का राजगोरी घाट
क्या आप इस बात पर विश्वास करेंगे कि एक श्मशान घाट को धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है और उसके पास से बहने वाली नदी को उस गंगा के समकक्ष माना जाता है, जो देश की सबसे पवित्र नदी है।
जी हाँ, तन्जावुर में एक नदी के पास श्मशान घाट है जिसे वहाँ के रहने वाले लोग उसी तरह धार्मिक स्थल या तीर्थ मानते हैं जिस तरह गंगा नदी के घाट को। यहाँ बहुत लोगों से सुनने में आया है कि उनके घर के बुजुर्गों की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार राजगोरी घाट पर किया जाए और आखिरी सभी विधि-विधान उससे जुड़ी वदावरू नामक नदी के किनारे पर किए जाएँ।
यह बहुत ही बड़ा घाट है जहाँ अंतिम संस्कार के लिए सबसे ज्यादा दाह स्थल हैं। यहाँ के कर्मचारियों (वेट्टियंस) के अनुसार यहाँ एक साथ 20 अंतिम संस्कार किए जा सकते हैं।
घाट के दूसरी ओर भी बहुत से दाह स्थल थे। वहाँ मौजूद कर्मचारियों से यह मालूम हुआ कि वे सभी तन्जावुर के राजघराने के हैं और दूसरे सभी ब्राह्मण और नायक समाज के लिए हैं। 21वीं सदी में भी हर समाज के लिए यहाँ अलग-अलग दाह स्थल हैं।
यहाँ बहने वाली नदी वदावरू, कावेरी नदी की उपनदी है जिसे गंगा की तरह माना जाता है। जो लोग अपने रिश्तेदारों का दाह संस्कार करने यहाँ आते हैं वे इस नदी में स्नान जरूर करते हैं। उनका मानना है कि इस नदी में स्नान करने से मृत्यु के सारे दोष दूर हो जाएँगे।
हमारे देश में धार्मिक स्थलों जैसे मंदिर, चर्च, मस्जिद, बौद्ध और जैन धर्म स्थलों की कमी नहीं है। लेकिन एक श्मशान घाट को तन्जावुर के लोगों का धार्मिक मानना हमारे लिए एक पहेली ही है। अगर आप भी कभी ऐसे धार्मिक स्थलों के संपर्क में आएँ तो हमें जरूर बताएँ।
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