रलायता गाँव की एक वृद्ध महिला का दावा

जल्द ही हमें एक गड़रिया दिखा। जैसे ही हमने गडरिए से रलायता गाँव का पता पूछा। गड़रिए ने हमसे ही उल्टा सवाल किया- क्या आपको पथरी निकलवानी है। हमने कहा हाँ, कुछ ऐसा ही समझें। उसने कहा- फिर भटकते क्यों हैं, सामने की सड़क पकड़ लें। रास्ते में जो भी मिले, उससे आगे का रास्ता पूछ लेना। ठीक जगह पहुँच जाएँगे।
हमने उसकी सलाह पर अमल किया और कुछ देर में ही हम सीताबाई की ड्योढ़ी पर थे। यहाँ पहुँचने से पहले हमने अपने ड्राइवर को समझा दिया था कि उसे भी मरीज बनकर सीताबई से मिलना होगा। यहाँ पहुँचते ही हमने देखा दुर्गा मंदिर के अहाते पर एक वृद्ध स्त्री को भीड़ ने घेर रखा था। पास जाने पर पता चला, यही सीताबाई हैं, जो मुँह से पथरी निकाल लेती हैं।

यह सिलसिला लगातार काफी देर तक चलता रहा। जैसे ही उन्हें कुछ फुरसत मिली, हमने सवालों की झड़ी शुरू कर दी। सीताबाई ने बताया मैं पिछले 18 सालों से पथरी निकालने का काम कर रही हूँ। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वे कहने लगीं मैं हवा हूँ, मेरे 52 स्थान हैं। हर जगह मैं अलग-अलग काम करती हूँ। इलाज का मूलमंत्र माँ पर विश्वास है। यदि विश्वास पक्का हो तो इलाज शर्तिया है, वरना कुछ नहीं हो सकता।यह कहते ही वे वापस अपने मरीजों के इलाज में लग गईं।


भगवानदेवी की तरह काफी लोग थे, जो पहली बार यहाँ आए थे। तो कुछ का दूसरा दौरा था। दूसरी बार आने वाले लोगों का कहना था, पथरी के दर्द में काफी कमी आई है। ऐसे ही एक व्यक्ति मनोज का कहना था कि वे ग्वालियर जाने के बाद अल्ट्रासाउंड कराकर देखेंगे कि पथरी खत्म हुई या नहीं।

अब हम सीताबाई से बातचीत होने का इंतजार करने लगे, लेकिन ये क्या जैसे ही आखिरी मरीज का इलाज किया, सीताबाई की शख्सियत ही बदल गई। कुछ देर पहले जो महिला हमसे गुस्से में बात कर रही थी, वह गाँव की आम दादी-नानी की तरह बातें करने लगी। हमने उनसे पूछा वे यह सब कब से कर रही हैं, तो उन्होंने अजीब-सा जवाब दिया मैं क्या कर रही हूँ, करती तो देवी माँ हैं। मैं कैसे इलाज करती हूँ, इसके बारे में तो मैं भी नहीं जानती। बस एक शक्ति है, जो हमसे ये सब काम करवा रही है। यह कहकर वे अनाज साफ करने बैठ गईं।
यहाँ इलाज करा चुके कई लोगों का दावा है कि उनकी पथरी खत्म हो चुकी है, लेकिन डॉक्टरों को इस बारे में भरोसा नहीं है। जब हमने इस संबंध में जनरल सर्जन डॉ. अपूर्व चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया पथरी यदि बारीक हुई तो वह पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाएगी, अन्यथा पूरा इलाज ही उसे दूर कर सकता है। मुँह से पथरी निकालना! ऐसा हो ही नहीं सकता। हो सकता है, कोई पहले से ही पत्थर मुँह में रखे और पथरी निकालने का दावा करे।

adbhut!vishwas nahin hota..
जवाब देंहटाएंsab kuch 'FARZI' hai main wahan ja chuka hun last main mujhe operation kawana pada.
जवाब देंहटाएंKya sach me kuch asar nai hua???me plan kar raha tha jaane ke liye
हटाएंउनका फ़ोन नंबर मिल सकता है क्या ??
जवाब देंहटाएंYhan haryana se b bhut log jate h trust krte h kya pta keise hota h
जवाब देंहटाएंPlz ek baar contact no share kr do phatri devi mandir k bhaut urgent hai mere bhai k liver m pathri hai bhaut jyada
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