09 दिसंबर 2009

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है..


जब माता का बुलावा आता है तभी व्यक्ति वैष्णों माता के पास पहुंच जाता है। मुझे दो बार माता का बुलावा आया। जिसके कारण मुझे दो बार वैष्णों देवी के दर्शन करने का मौका मिला। वहां का नजारा अद्भुत था। जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता। वैष्णों माता के पास जाकर मन ऐसा पवित्र हो जाता है कि व्यक्ति को और किसी भी चीज का ध्यान नहीं रह जाता। वैष्णों देवी हिंदुओं का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां वैष्णों माता के दर्शनों को आते हैं। हम भी उन्हीं में से एक थे।
यहां रात को भी अकेले लड़कियां व लड़के चढ़ाई करते हैं लेकिन किसी को कोई भय नहीं रह जाता। क्योंकि कटरा क्रास करते ही सबका मन अपने आप माता में लग जाता है। जिससे व्यक्ति अपनी सुध बुध खो देता है। वह अपने को पूर्ण रूप से माता के चरणों में समर्पित कर देता है।
वैष्णों माता के पास पहुंचने की लंबी चढ़ाई इतनी आसान हो जाती है कि पता ही नहीं चलता। मार्ग में आते जाते सभी एक दूसरे को देखकर माता के जयकारे जय माता की लगाते हैं। इससे अहसास होता है कि हर व्यक्ति को अपनेपन का अहसास होता है।
उसका अकेलेपन का अहसास एकदम से खत्म हो जाता है। मुझे अपने परिवार के साथ पहली बार 1996 में व दूसरी बार 2000 में माता के दर्शनों का मौका मिला। माता के दर्शनों को हमेशा लंबी लाइन लगती है। लेकिन हम आर्मी से थे इसलिए हमें स्पेशल पास मिला था। जिसके फलस्वरूप हमें सीधे दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अगले बार फिर बुलावा आएगा तो हम दोबारा जाएंगे।