श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर, शाहदरा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास समंत कृष्णा ने कृष्णा व सुदामा चरित्र प्रसंग पर कहा कि ब्राह्माण कभी हाथ फैलाता हुआ अच्छा नहीं लगता। किसी के आगे हाथ फैलाने से आंसू, यश, बल और कीर्ति का नाश होता है। श्रीमद्भागवत कथा हमें यह ज्ञान देती है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान विभिन्न रूप धारण कर पृथ्वी पर अवतार लेते हैं। संसार के सभी धर्मों के ग्रंथ एक ही ज्ञान देते हैं कि सुख देने से सुख मिलता है और दुख देने से दुख। इसलिए सबसे बड़ा धर्म है कि हर व्यक्ति को परमार्थ और परोपकार के लिए कुछ न कुछ कार्य जरूर करते रहना चाहिए। इसी में इंसान और समाज की भलाई है। इसके बाद इंसान उन सब मोह माया से दूर होकर सच्चे सुख को प्राप्त करता है, जिसके लोभ में वह सारी जिंदगी लगा रहता है और फिर भी उसे सच्चा सुख नहीं मिलता।
09 दिसंबर 2009
'सुख देने से मिलता है सुख'
Posted by Udit bhargava at 12/09/2009 07:38:00 am
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