05 फ़रवरी 2011

बच्चे के रूझान के मुताबिक़ हो शिक्षा


हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित कुराना जैसे छोटे गाँव से निकलकर IIT में शिक्षा हासिल करना अशोक कुमार के लिये  सपने के सच होने जैसा था. हालांकि जब कुमार को यह महसूस हुआ कि उनकी दिलचस्पी लोगों की सेवा करने में है, तो उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (I.P.S) से जुड़ने का फैसला किया. फिलहाल वह दिल्ली में सेन्ट्रल रिजर्व पुलिस फ़ोर्स (C.R.P.F) में प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

कुमार की किताब 'Human in Khaki', जिसमें उन्होंने एक IPS  के कंरियर से जुड़े वृतांत और घटनाओं का वर्णन किया है, का हाल ही में दिल्ली में विमोचन हुआ है. इस किताब में आज के भारत के समक्ष मौजूद तमाम समकालीन मुद्दों मसलन आतंकी हमले, महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और बदलते Value System इत्यादि का जिक्र किया गया है. कुमार ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव के स्कूल में पूरी की और IIT दिल्ली से Mechanical Engineering में B.Tec और Tharmal Engineering में M.Tec Degree हासिल की. उन्हें 1986-87 में IIT, दिल्ली में Writer of the Year के खिताब से भी नवाजा गया.

कंरियर में बदलाव से जुडी मुश्किलों के बारे में बात करते हुए कुमार कहते हिं, 'हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि हमें अपने कंरियर संबंधी निर्णय तब लेने पड़ते हैं, जब हम स्कूल में होते हैं और बारहवीं कक्षा वह स्तर नहीं होता जब हम आत्मावलोकन करते हुए यह तय कर सकें कि अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं. हमारे निर्णय ज्यादातर दूसरों से प्रेरित होते हैं. कोई जाँब करते समय ही हम उसकी खूबियों या खामियों के बारे में समझ पाते हैं. तब ही हम यह तय कर पाते हैं कि बाकी जीवन भी इसे करते रहना चाहते हैं या नहीं.' उनका आगे कहना था, 'पुलिस में नौकरी करते हुए कई जगहों पर अलग-अलग तरह से सेवाएं देने के बाद अब मुझ लगता है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद मैं आम आदमी के जीवन में कुछ बदलाव लाने में कामयाब रहा. हमेशा से यही मेरा लक्ष्य रहा है.'

कुमार के मुताबिक़ IIT जैसे संस्थान व्यक्ति को जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रभावी, सक्षम और उत्कृष्ठ बनाना सिखाते हैं. कुमार आगे कहते हैं, 'इससे मुझे अपनी पुलिस सेवा में मदद मिली. मेरी ताकत इस बात में निहित है कि मैं कितनी कुशलता से गरीब, जरूरतमंद और उत्पीडित लोगों की मदद कर सकता हूं.’

कुमार ने कंरियर में Engineering की राह न चुनकर पुलिस सेवा को चुना. लेकिन ऐसे कितने लोग हैं जो अपनी दिलचस्पी वाले काम से जुड पाते हैं? पुलिस भी अपने बीच IIT से निकले शख्स को पाकर खुश हो सकती है, लेकिन ऐसे कितने कार्यक्षेत्र हैं, जिनमें उन लोगों को जगह मिलेगी, जो उसके कार्यक्षेत्र हैं, जिनमें उन लोगों को जगह मिलेगी, जो उसके विशेषज्ञ नहीं हैं? हमारा शिक्षा तन्त्र हर काम को अनुभव करने की इजाजत नहीं देता, ताकि हम समझ सकें कि आगे चलकर कौन सा काम करना चाहते हैं.

फंडा यह है कि...                                                                                                                          
हमारे अभिभावकों व शिक्षकों को यह जानना चाहिए कि बच्चे की दिलचस्पी किस क्षेत्र में है. बच्चे की रुचि को समझकर उसे उसी दिशा में शिक्षित करे ताकि उसका जीवन सार्थक हो सके.