सरस्वती जी के वाहन मोर का पंख जिसे भगवान् श्री कृष्ण ने अपने सिर पर धारण किया. वह पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मोर की सृष्टि दृष्टि से संचालित है. इसलिए ब्रह्मचर्य के साधको को मोर पंख संयम की प्रेरणा देता है. मंगलकारक मयूर पंख से हिन्दू और मुसलमान दोनों ही सम्प्रदायों में अमंगल अनिष्ट के विनाश की तमाम प्रक्रियाएं की जाती है.
मोर को भारत सरकार ने 1963 में देश ने राष्ट्रे पक्षी घोषित किया. यह संसार का सबसे सुन्दर पक्षी माना जाता है. मयूर दरअसल उमंग, उल्लास और आनंद का प्रतीक है. मन की तुलना भी आनंदतिरेक में मोर से ही की जाती है. हमारे जीवन से नीरसता हटाकर सरसता लाने की वृत्ति ही आनंद है. प्राचीनकाल से ही सरस्वती माँ का वाहन होने के कारण विद्यार्थी वर्ग में अपनी पुस्तकों के भीतर मोर पंख रखने की प्रथा है. यही मोर देवताओं के सेनापति और भगवान् शंकर के पुत्र कार्तिकेय स्वामी का भी वाहन है. भारत के अलावा जापान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, इंडोचीन आदि देशों में भी मोर को श्रद्धा और प्रेम से देखा जाता रहा है. मोर का शत्रु सर्प है. अतः ज्योतिश में जिन लोगों को राहू की स्थिति शुभ नहीं हो उन्हें मोर पंख सदैव अपने साथ रखना चाहिए. आयुर्वेद में मोर पंख से तपेदिक, दमा, लकवा, नजला और बांझपन जैसे दुसाध्य रोगों में सफलता पूर्वक चिकित्सा बताई गई है. जीवन में मोर पंख से कई तरह के संकट दूर किये जा सकते हैं.
अचानक कष्ट या विपत्ति आने पर घर अथवा शयनकक्ष के अग्नि कोण में मोर पंख लगाना चाहिए. थोड़े ही समय में सकारात्मक असर होगा.
धन वैभव में वृद्धि की कामना से निवेदन पूर्वक नित्यापूजित मन्दिर में श्रीराधा-कृष्ण के मुकुट में मोर पंख की स्थापना कराके 40वें दिन उस मोर पंख को लाकर अपनी तिजोरी या लंकर में रख दें. धन-संपत्ति में वृद्धि होना प्रारम्भ हो जायेगी. सभी प्रकार के रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग से बन जाते हैं.
जिन लोगों की कुण्डली में राहू-केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे हों उन्हें अपने तकिये के खो में 7 मोर पंख सोमवार की रात्री में डालकर उस तकिये का उपयोग करना चाहिए साथ ही शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमें कम से कम 11 मोर पंख लगे हो लगा देना चाहिए. इससे कुण्डली में अच्छे गृह अपनी शुभ प्रभाव देने लगेंगे और राहू-केतु का अशुभत्व कम हो जायेगा.
अगर बच्चा जिद्दी होता जा रहा हो तो उसे नित्य मोर पंखों से बने पंखे से हवा करनी चाहिए या अपने सीलिंग फैन पर ही मोर पंख पंखुड़ियों पर चिपका देना चाहिए.
नवजात शिशु के सिरहाने चांदी के तावीज में एक मोर पंख भरकर रखने शिशु को डर नहीं लगेगा नजर इत्यादि का डर भी नहीं रहेगा.
कोई शत्रु ज्यादा तंग कर रहा हो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में उस शत्रु का नाम लिखकर के अपने घर के मन्दिर में रात भर रखें. प्रातःकाल उठाकर बिना नहाए धोईं चलते पाने में बहा देने से शत्रु शत्रुता छोड़कर मित्रवत व्यवहार करने लगता है. इस तरह मोर पंख से हम अपने जीवन के अमंगलों को हटाकर मंगलमय स्थिति को ला सकते हैं.
मोर को भारत सरकार ने 1963 में देश ने राष्ट्रे पक्षी घोषित किया. यह संसार का सबसे सुन्दर पक्षी माना जाता है. मयूर दरअसल उमंग, उल्लास और आनंद का प्रतीक है. मन की तुलना भी आनंदतिरेक में मोर से ही की जाती है. हमारे जीवन से नीरसता हटाकर सरसता लाने की वृत्ति ही आनंद है. प्राचीनकाल से ही सरस्वती माँ का वाहन होने के कारण विद्यार्थी वर्ग में अपनी पुस्तकों के भीतर मोर पंख रखने की प्रथा है. यही मोर देवताओं के सेनापति और भगवान् शंकर के पुत्र कार्तिकेय स्वामी का भी वाहन है. भारत के अलावा जापान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, इंडोचीन आदि देशों में भी मोर को श्रद्धा और प्रेम से देखा जाता रहा है. मोर का शत्रु सर्प है. अतः ज्योतिश में जिन लोगों को राहू की स्थिति शुभ नहीं हो उन्हें मोर पंख सदैव अपने साथ रखना चाहिए. आयुर्वेद में मोर पंख से तपेदिक, दमा, लकवा, नजला और बांझपन जैसे दुसाध्य रोगों में सफलता पूर्वक चिकित्सा बताई गई है. जीवन में मोर पंख से कई तरह के संकट दूर किये जा सकते हैं.
अचानक कष्ट या विपत्ति आने पर घर अथवा शयनकक्ष के अग्नि कोण में मोर पंख लगाना चाहिए. थोड़े ही समय में सकारात्मक असर होगा.
धन वैभव में वृद्धि की कामना से निवेदन पूर्वक नित्यापूजित मन्दिर में श्रीराधा-कृष्ण के मुकुट में मोर पंख की स्थापना कराके 40वें दिन उस मोर पंख को लाकर अपनी तिजोरी या लंकर में रख दें. धन-संपत्ति में वृद्धि होना प्रारम्भ हो जायेगी. सभी प्रकार के रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग से बन जाते हैं.
जिन लोगों की कुण्डली में राहू-केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे हों उन्हें अपने तकिये के खो में 7 मोर पंख सोमवार की रात्री में डालकर उस तकिये का उपयोग करना चाहिए साथ ही शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमें कम से कम 11 मोर पंख लगे हो लगा देना चाहिए. इससे कुण्डली में अच्छे गृह अपनी शुभ प्रभाव देने लगेंगे और राहू-केतु का अशुभत्व कम हो जायेगा.
अगर बच्चा जिद्दी होता जा रहा हो तो उसे नित्य मोर पंखों से बने पंखे से हवा करनी चाहिए या अपने सीलिंग फैन पर ही मोर पंख पंखुड़ियों पर चिपका देना चाहिए.
नवजात शिशु के सिरहाने चांदी के तावीज में एक मोर पंख भरकर रखने शिशु को डर नहीं लगेगा नजर इत्यादि का डर भी नहीं रहेगा.
कोई शत्रु ज्यादा तंग कर रहा हो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में उस शत्रु का नाम लिखकर के अपने घर के मन्दिर में रात भर रखें. प्रातःकाल उठाकर बिना नहाए धोईं चलते पाने में बहा देने से शत्रु शत्रुता छोड़कर मित्रवत व्यवहार करने लगता है. इस तरह मोर पंख से हम अपने जीवन के अमंगलों को हटाकर मंगलमय स्थिति को ला सकते हैं.
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