मुंबई के लोग बंगलों की बजाय फ़्लैट्स में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इसकी वजह सिर्फ़ जगह की कमी और इसकी आसमान छूती कीमतें ही नहीं हैं, बल्कि बंगलों में जाने के बाद जिस तरह की कागजी खानापूर्ति और मेंटेनेंस का काम करना होता है, उससे भी वे बचना चाहते हैं। इस महानगर में 99.5 फ़ीसदी लोग फ़्लैट्स में रहते हैं और 95 फ़ीसदी लोगों को पता भी नहीं होता कि उन्हें पानी किस तरह मिलता है, उनकी सोसायटी की चौकीदारी कौन करता है, वे कितना कर चुकाते हैं और उनकी मैनेजिंग कमेटी को नगर प्राधिकरणों, विघुत आपूर्तिकर्ताओं जैसे विभिन्न सेवा प्रदाताओं से कितना जूझना पड़ता है। इन 95 फीसदी लोगों में से 70 फीसदी यह भी नहीं जानते कि मैनेजिंग कमेटी में कौन-कौन है। जब भी कोई बिल आता है तो वे चेक काटकर दे देते हैं और आँफिस निकल जाते हैं। याद रखें, यदि आप अकेले हैं तो आप पर अपनी व्यक्तिगत जरूरतें पूरी करने का बोझ और बढ़ जाता है. इसे यहाँ पेश एक स्टोरी के जरिये बेहतर ढंग से समझा जा सकता है.
आपने भी कभी-कभार आकाश में हंसों को 'वी' आकार के समूह में उड़ाते देखा होगा। उनके इस तरह उड़ने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। दरअसल समूह में जब भी कोई हंस अपने पंख फडफडाता है तो वह अपने से पीछे वाले हंस के लिये झटका उत्पन्न कर उसे उड़ने में सहयोग करता है। अकेले पक्षी के मुकाबले 'वी' आकार में पूरा समूह 71 फीसदी ज्यादा दूर तक उड़ सकता है। इसी तरह जो लोग एक ही दिशा में जाते हैं या जिनमें टीम भावना होती है, वे ज्यादा दूर तक आसानी से यात्रा कर लेते हैं। ऐसा इसलिए क्योकि वे एक-दूसरे के सहयोग से यात्रा करते हैं। जब भी कोई हंस इस आकार (समूह) से बाहर आता है तो उसे उड़ान में कठिनाई होने लगती है और जल्द ही वह फिर से 'वी' आकार के समूह में लौट आता है।
जब समूह में सबसे आगे उड़ने वाला हंस थक जाता है, तो वह पीछे आ जाता है और दूसरा हंस उसका स्थान ले लेता है। मुश्किल काम करते समय अदला-बदली करने में ही समझदारी है। पीछे उड़ रहे हंस प्रोत्साहन के स्वर निकालकर आगे उड़ने वाले हंसों को प्रोत्साहित करते हैं। अगर हममें भी हंसों जैसी बुद्धि हो तो हम कभी भी एक-दूसरे की मदद करने से नहीं चूकेंगे।
आपने भी कभी-कभार आकाश में हंसों को 'वी' आकार के समूह में उड़ाते देखा होगा। उनके इस तरह उड़ने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। दरअसल समूह में जब भी कोई हंस अपने पंख फडफडाता है तो वह अपने से पीछे वाले हंस के लिये झटका उत्पन्न कर उसे उड़ने में सहयोग करता है। अकेले पक्षी के मुकाबले 'वी' आकार में पूरा समूह 71 फीसदी ज्यादा दूर तक उड़ सकता है। इसी तरह जो लोग एक ही दिशा में जाते हैं या जिनमें टीम भावना होती है, वे ज्यादा दूर तक आसानी से यात्रा कर लेते हैं। ऐसा इसलिए क्योकि वे एक-दूसरे के सहयोग से यात्रा करते हैं। जब भी कोई हंस इस आकार (समूह) से बाहर आता है तो उसे उड़ान में कठिनाई होने लगती है और जल्द ही वह फिर से 'वी' आकार के समूह में लौट आता है।
जब समूह में सबसे आगे उड़ने वाला हंस थक जाता है, तो वह पीछे आ जाता है और दूसरा हंस उसका स्थान ले लेता है। मुश्किल काम करते समय अदला-बदली करने में ही समझदारी है। पीछे उड़ रहे हंस प्रोत्साहन के स्वर निकालकर आगे उड़ने वाले हंसों को प्रोत्साहित करते हैं। अगर हममें भी हंसों जैसी बुद्धि हो तो हम कभी भी एक-दूसरे की मदद करने से नहीं चूकेंगे।
फंडा यह है कि....
यदि बहुत से लोगों का लक्ष्य एक है तो बेहतर यही होगा कि अलग-अलग काम करने के बजाय मिलकर काम किया जाए।
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