यूँ तो विश्व प्रसिद्ध का ताजमहल बादशाह शाहजहाँ के अपनी बेगम मुमताज महल के प्रति बेपनाह मोहब्बत की कहानी को बयाँ करता है परंतु शायद बहुत कम लोग यह जानते होंगे की ताजमहल बनने तक मुमताज के मृत शरीर को बुरहानपुर के बुलारा महल में दफनाया गया था और लोगों की मानें तो इन खंडहरों में आज भी मुमताज की आत्मा भटकती है।
कहते हैं कि आज से 400 वर्ष पूर्व जब मुगलिया सल्तनत की बेगम मुमताज की मौत बुलारा महल में हुई थी, तब शाहजहाँ बुरहानपुर में ही ताजमहल का निर्माण कराने वाले थे। परंतु किसी कारणवश यह संभव न हो सका और जब आगरा में ताजमहल बनकर तैयार हुआ तो वहाँ मुमताज की देह को ले जाकर दफनाया गया। यहाँ के रहवासियों का मानना है कि मुमताज की देह तो यहाँ से निकाल ली गई पर आत्मा आज भी इसी महल में भटकती रहती है।


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