नरगिस ने अपने भाई की गृहस्थी बसाने में खूब मदद की पर भाई ने नरगिस की ओर ध्यान नहीं दिया। नरगिस अपनी पीड़ा को सुनील दत्त से व्यक्त करती थीं पर सुनील की ओर से जवाब नहीं मिलने की स्थिति में उन्होंने कई बार आत्महत्या करने का भी प्रयास किया। यहाँ तक कि नरगिस ने अपने हाथ से अपनी ऊँगली को ब्लेड से काटने का प्रयास भी किया।
नरगिस का जिक्र कई किताबों में आया और प्रत्येक किताब में नरगिस और राजकपूर के बारे में कई ऐसी बातें लिखी गई थीं जो सही नहीं थीं। स्व। सुनील दत्त स्वयं चाहते थे कि नरगिस व राजकपूर के बारे में लोगों को सचाई पता चले। ईश्वर देसाई द्वारा लिखित किताब 'डॉर्लिंगजीः द ट्रू लव स्टोरी ऑफ नरगिस एंड सुनील दत्त' में सुनील दत्त और नरगिस के बीच के संबंधों को लेकर कुछेक बातें ऐसी लिखी गई हैं जिन्हें पढ़ने से पता चलता है कि दोनों के बीच संबंध किन ऊँचाइयों पर थे।
नरगिस के बारे में इतनी गहराई से पहले शायद ही किसी ने लिखा हो। किताब आरंभ एक तेरह वर्षीय विधवा से होती है, जिसकी मुलाकात मुस्लिम सारंगी वादक से होती है। कई वर्षों बाद उनकी बेटी जद्दनबाई मुंबई जाती है तथा फिल्मों व नाटकों में काम करते-करते एक स्टार बन जाती है । मरीन ड्राइव स्थित जद्दनबाई का मकान शाम की महफिलों के लिए जाना जाता था। इन महफिलों में दिलीप कुमार, मेहबूब, कमाल अमरोही भी नजर आते थे। जद्दनबाई की बेटी फातिमा यानी नरगिस।
नरगिस ने अपने बलबूते पर ऊँचाई हासिल की और जिंदगी को अपने ढंग से जीने की कोशिश भी की। मात्र पाँच वर्ष की उम्र से नरगिस ने काम करना आरंभ कर दिया था। किताब में नरगिस से जुड़े कई प्रसंग दिए गए हैं पर मुख्य रूप से सुनील दत्त और नरगिस के संबंधों के बारे में लिखा गया है। किताब लिखने से पूर्व लेखक ने नरगिस और सुनील दत्त द्वारा एक-दूसरे को लिखे पत्रों का अध्ययन भी किया।
सुनील दत्त नरगिस को पिया कह के पुकारते थे तथा पत्रों में एक-दूसरे को मार्लिन मुनरो और एल्विस प्रिंसले लिखा करते थे। वे एक-दूसरे को डार्लिंगजी भी पुकारते थे।
नरगिस ने काफी कम उम्र में काम करना आरंभ कर दिया था, वहीं सुनील दत्त ने भी काफी कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था साथ ही दोनों ने बँटवारे की त्रासदी को भी भोगा था। दोनों की इच्छा थी कि वे उनके बच्चों को किसी भी तरह की तकलीफों का सामना नहीं करने देंगे।
* दोनों के बीच के संबंध देखने में काफी जटिल लगते थे क्योंकि नरगिस 50 व 60 के दशक की स्टार नायिका थीं जबकि सुनील दत्त उन दिनों संघर्ष कर रहे थे। उस समय समाज सफल महिला के पति को अलग नजर से देखता था पर सुनील दत्त ने किसी की परवाह नहीं की बल्कि नरगिस से बातचीत कर अपनी समस्याओं को हल किया।
* फिल्म मदर इंडिया के सेट पर दोनों के बीच रोमांस चला था पर यह खबर बाहर फैलने नहीं दी गई क्योंकि इससे फिल्म की लोकप्रियता पर असर पड़ता। फिल्म में सुनील दत्त नरगिस के बेटे बने थे। फिल्म की शूटिंग के दौरान ही सुनील दत्त ने नरगिस को आग से बचाया था।
* नरगिस समाज कार्य करने के लिए हरदम तत्पर रहती थीं । फिल्म मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान जब उन्हें पता चला कि एक लड़की की मृत्यु प्रसव के दौरान हुई है तभी नरगिस ने तय किया कि वे नर्स बनेंगी क्योंकि उम्र ज्यादा होने के कारण वे डॉक्टर नहीं बन सकती थीं।नरगिस ने विदेश जाकर नर्सिंग का कोर्स करने की भी ठानी थी ताकि ग्रामीण महिलाओं की सेवा कर सकें।
* नरगिस जब बीमार पड़ीं तब उन्हें इलाज के लिए कुछ महीने विदेश जाना पड़ा। इस खबर से ही सुनील दत्त अवसाद में आ गए थे। संजय दत्त उन दिनों फिल्मों व ड्रग्स में ऐसे डूबे थे कि उन्हें घर-परिवार की ज्यादा सुध नहीं थी। प्रिया भी उम्र में काफी छोटी थी, ऐसे में नम्रता ने संपूर्ण घर को संभाला।
* सुनील दत्त के अनुसार नरगिस व राजकपूर के संबंध केवल युवावस्था का आकर्षण भर था।
* सुनील दत्त को यह अच्छा नहीं लगता था कि पार्टियों में नरगिस अतिथियों के साथ चुटकुलों पर हँसे और अतिथियों को चुटकुले सुनाती रहें।
* नरगिस ने अपने भाई की गृहस्थी बसाने में खूब मदद की पर भाई ने नरगिस की ओर ध्यान नहीं दिया। नरगिस अपनी पीड़ा को सुनील दत्त से व्यक्त करती थीं पर सुनील की ओर से जवाब नहीं मिलने की स्थिति में उन्होंने कई बार आत्महत्या करने का भी प्रयास किया। यहाँ तक कि नरगिस ने अपने हाथ से अपनी उँगली को ब्लेड से काटने का प्रयास भी किया।
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