इंसान की सोच कितनी असरकारक है, इस बारे में बहुत कम ही लोग गौर करते हैं। इन विचारों का प्रबंधन किसी इंसान को सामान्य से असामान्य बना सकता है। विचार शक्ति ,जीवन की हर सफलता एवं असफलता में सबसे अहं भूमिका निभाती है। विचारों का इंसान के जीवन में वही योगदान है जो कि किसी विशाल भवन के बनने में उसके नक्से का होता है। प्राय: इंसान आधे समय सकारात्मक सोचता है तथा बाकी आधे समय में वह ऐसे विचारों में डूबा रहता है कि, जिनसे उसका तन,मन और प्रगति बुरी तरह से लडख़ड़ा जाते हैं। यदि कोई 10 कदम पूर्व दिशा की ओर चले तथा पुन: लोटकर १० कदम पश्चिम की ओर बढ़ जाए तो प्रगति के नाम पर उसको निराशा ही हाथ लगेगी। वो जहां से चला था वहीं खड़ा मिलेगा। निराशा, निर्बलता, भय, असफलता का डर, लोगों की प्रतिक्रिया का डर तथा स्वयं को दूसरों से किसी बात में कम समझना..... ये वे ही विचार हैं जो इंसानी प्रगति के सबसे बड़े दुश्मन हैं। दुनिया के इतिहास में आजतक जितने भी लोग महान हुए हैं उन सभी में एक बात की १०० प्रतिशत समानता थी। वे सबके सब यह सोचते थे कि वे महान बनने के लिये ही जन्मे हैं, तथा उनके सफल होने की पूरी -पूरी संभावना है। अपनी इसी सकारात्मक सोच ने उनको सर्वोच्च सफलता का स्वाद चखाया। अत: अपने हर एक विचार पर कड़ी चोकसी रखो। कोई भी ऐसा विचार जो आपको कमजोर बनाए या मस्तिष्क में जहर घोले, उससे पहले ही उसे बहुत दूर भगा दो।
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