17 अप्रैल 2010

अँगूठे से जानिए पर्सनेलिटी का राज ( Learn the Secrets of Personality with thumb )

अँगूठा मानवीय चरित्र का सरलतम प्रतीक है। अँगूठा एक वह धुरी है जिस पर संपूर्ण जीवन चक्र घूमता रहता है। सफलता दिलवाने वाला अँगूठा सुडौल, सुंदर और संतुलित होना चाहिए। अँगूठे को मस्तिष्क का सेंटर प्वॉइंट बताया गया है। अँगूठे में पहला पोर दृढ़ इच्छाशक्ति का सूचक है, दूसरा पोर तर्क और कारण का तथा तीसरा जो शुक्र पर्वत को घेरता है, वह मनोविकार को प्रकट करता है। यदि पूर्ण भरा हुआ तो मानव मनोविकारों के अधीन होगा। यदि दूसरा पोर कमजोर हुआ तथा मनोविकार का पुष्ट हुआ तो व्यक्ति पथभ्रष्ट हो जाता है। यदि इच्छाशक्ति कमजोर है तथा अंतिम दोनों पेरुवे सुगठित हैं तो ऐसा मानव लम्पट होगा या दुर्गुणों में फँस जाएगा। हाथ में अँगूठे की अपनी एक अनूठी विशेषता है। हाथ में इसका सुदृढ़ होना जीवन का संतुलित होना है। सुदृढ़ अँगूठे वाला व्यक्ति अपनी बात का धनी होता है, विचारों व सिद्धांतों का पक्का होता है। ऐसा व्यक्ति सोचे हुए काम को करता है तथा समय का पाबंद होते हुए जिद्दी भी होता है। सतर्कता के साथ-साथ वह अपना भेद किसी को नहीं देता। वह स्वयं अनुशासित होता है। इच्छाशक्ति और तर्क शक्ति के बीच में यदि यव (द्वीप) हो तो वह व्यक्ति अपने घर में रहने वाला मिष्ठान्न प्रेमी, सुखी, विद्वान व कीर्ति वाला होता है। अँगूठे की जड़ में यदि सीधी रेखाएँ हों तो उनकी संख्या के अनुसार उतने ही उसके पुत्र/संतानें होंगी, स्त्री के हाथ में यदि दूसरी संधि पर कोई तारे का चिह्न हो तो वह लड़की अत्यधिक धनवाली होती है। अँगूठे की जड़ में से कोई एक रेखा शुक्र के ऊपर से होकर आयु रेखा में मिल जाए तो यह रेखा बहुत बड़ी संपत्ति दिलाती है। यदि ऐसी दो रेखाएँ हों तो बड़ी जायदाद और कुटुम्ब दोनों ही होते हैं। पहला पेरुवा मोटा, भारी और छोटा हो तो ऐसा व्यक्ति अचानक गुस्से में आकर किसी को कुछ भी हानि पहुँचा सकता है। अँगूठे का दूसरा पोर बड़ा रहने से तर्क, विवेक और कारण शक्ति से काम को सोच-समझकर करने की सूझबूझ उस व्यक्ति में रहती है। इसके साथ ही बुध पर्वत सुंदर हो या मस्तक रेखा गोलाईयुक्त लंबी हो तो तर्क, वाक्‌चातुर्य से वह व्यक्ति हर काम को सफल कर लेगा। अधिक छोटे अँगूठे वाला व्यक्ति आत्म नियंत्रण नहीं रख पाता। अँगूठे का छोटा होना शुभ नहीं है। छोटे अँगूठे में काम विकृति भी पैदा हो सकती है बशर्ते कि मंगल का पर्वत उभरा हुआ हो, शुक्र मुद्रिका हो और क्यालेस्विया की स्थिति मजबूत हो, यदि प्रथम पोर लचीला हो तो व्यक्ति समाज में मिलनसार होगा, परिस्थिति के अनुसार झुक जाएगा वैवाहिक जीवन ठीक रहेगा,कभी-कभी वह बाहरी दिखावा करेगा और यदि गुरु पर्वत तथा मस्तिष्क व हृदय रेखा समांतर पर है तो मित्रता करने में निपुण होगा। लंबी हथेली में यदि छोटा अँगूठा हो तो वह व्यक्ति स्वयं के स्थान व क्षेत्र में अच्छा होता है।

1 टिप्पणी:

  1. अच्छा ज्ञानवर्धक लेख है. थोड़ा और लम्बा होता तो अच्छा होता.

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