भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिङ्ग गुजरात राज्य में जामनगर जिले के नागेश्वर गांव में है। इस ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन व पूजन का अपना धार्मिक महत्व है। मंदिर में प्राय: बड़ी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं। इस ज्योतिर्लिंङ्ग के संबंध में भी मत-मतांतर हैं। कुछ लोगों का मानना है महाराष्ट्र राज्य के हिंगोली जिले में स्थित औढ़ नागनाथ का ज्योतिर्लिंङ्ग सही है। इसके अलावा कुछ लोगों का विश्वास है कि उत्तरांचल राज्य के अल्मोड़ा जिले का जागेश्वर ज्योतिर्लिंङ्ग ही बारह ज्योतिर्लिंङ्ग में से एक है। कथा-नागेश ज्योतिर्लिंङ्ग की भी दो पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं एक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में सुप्रिय नाम का एक वैश्य था। वह भगवान शिव का भक्त था। एक बार वह नाव में सवार होकर जा रहा था। तब दारुक नामक राक्षस ने नाव में सवार सभी लोगों को बंदी बनाकर एक कारागार में डाल दिया। सुप्रिय कारागार में भी शिव भक्ति करता रहा। कहते हैं कि शिव प्रसन्न होकर उस कारागार में ही एक ऊंचे स्थान पर ज्योतिर्लिंङ्ग रूप में प्रकट हुए और सुप्रिय को पशुपातास्त्र प्रदान किया। इस अस्त्र से दारुक व अन्य राक्षसों को उसने मार डाला। शिव तभी से यहां नागेश ज्योतिर्लिंङ्ग के रूप में स्थापित हुए। दूसरी कथा यह है कि दारुक नामक एक राक्षसी थी। वह माता पार्वती की सेवा करती थी। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर पार्वती ने उसे अपना निवास स्थान इच्छानुसार कहीं भी ले जाने का वर दिया। इसके बाद वह लोगों को सताने लगी। एक दिन शिव भक्त वैश्व को दारुक ने मारना चाहा। तभी शिव वहां प्रकट हुए और दारुक का अंत कर दिया। कहते हैं कि अपने भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए शिव ज्योतिर्लिंङ्ग के रूप में विराजमान हुए। भगवान का दशम अवतार नागेश्वर नाम से प्रसिद्ध है, जो अपने भक्तजनों को अर्थ और दुष्टजनों को दंड देने के लिए ही प्रकट हुए थे। इस अवतार में शिव ने दारुक दैत्य का वध कर सुप्रिय नाम वाले अपने परम भक्त एक वैश्य की रक्षा की थी।महत्वकहते हैं कि नागेश ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन व पूजन से तीनों लोकों की कामनाएं पूरी होती हैं। इसका उल्लेख शिवपुराण में भी है। दर्शनार्थियों के सभी दु:ख दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि मिलती है। केवल दर्शन मात्र से ही पापों से छुटकारा मिल जाता है।कब जाएं -जामनगर स्थित ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन व पूजन करने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय अनुकूल रहता है।पहुंच के संसाधन -नागेश्वर मंदिर तक आप मुख्य रूप से सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।बस सेवा- मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सुविधा आसानी से उपलब्ध है।रेल सेवा- मंदिर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन द्वारका है जहां से मंदिर की दूरी करीब २० किमी है। बस या कार से आप वहां पहुंच सकते हैं।वायु सेवा- जामनगर तक आपको वायु सेवा मिल सकती है। यहां हवाई अड्डा है जो द्वारका से लगभग १४५ किमी की दूरी पर है। यह मुंबई व अहमदाबाद से जुड़ा है।अन्य दर्शनीय स्थल- यहां स्थित अन्य दर्शनीय स्थानों में गोमती द्वारका, भेंट द्वारका, रणछोरजी का मंदिर, गोपी तालाब, श्रीकृष्ण महल, शारदा मठ आदि प्रमुख है । औढ़ा नागनाथ यदि तीर्थयात्री औढ़ा नागनाथ ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन करना चाहते हैं तो अक्टूबर से मार्च माह के बीच जाएं। यह समय मौसम के मान से अच्छा रहता है।
17 अप्रैल 2010
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