शेखचिल्ली बाजार में यह कहता हुआ भागने लगा, “चल गई, चल गई!” बात क्या थी?
एक दिन शेखचिल्ली बाजार में यह कहता हुआ भागने लगा, “चल गई, चल गई!” उन दिनों शहर में शिया-सुन्नियों में तनाव था और झगड़े की आशंका थी।
उसे ‘चल गई, चल गई’ चिल्लाते हुए भागते देखकर लोगों ने समझा कि लड़ाई हो गई है। लोग अपनी-अपनी दूकानें बंद कर भागने लगे। थोड़ी ही देर में बाजार बंद हो गया।
कुछ समझदार लोगों ने शेखचिल्ली के साथ भागते हुए पूछा, “अरे यह तो बताओ, कहां पर चली है? कुछ जानें भी गई हैं क्या?”
शेखचिल्ली थोड़ा ठहरा और हैरान होकर पूछा, “क्या मतलब?”
“भाई, तुम्हीं सबसे पहले इस खबर को लेकर आए हो। यह बताओ लड़ाई किस मुहल्ले में चल रही है।”
“कैसी लड़ाई?” शेखचिल्ली ने पूछा।
“अरे तुम्हीं तो चिल्ला रहे थे कि चल गई चल गई।”
“हां-हां”, शेखचिल्ली ने कहा “वो तो मैं इसलिए चिल्ला रहा था कि बहुत समय से जेब में पड़ी एक खोटी दुअन्नी, आज एक लाला की दुकान पर चल गई है।”
11 अप्रैल 2010
शेखचिल्ली की चल गई
Posted by Udit bhargava at 4/11/2010 11:23:00 am
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