बौद्ध धर्म का बीज मंत्र
।।ओम् मणि पदमे हूम्।।
षडाक्षरीय मंत्र है, जिसका उल्लेख अवलोकितेश्वरा में किया। गया है। यह मंत्र सभी प्रकार के खतरों से सुरक्षा के लिए जपा जाता है। बताया जाता है कि जो कोई इस मंत्र को जपता है वह सब खतरों से सुरक्षित हो जाता है। इस मंत्र का जप बौद्ध धर्म की महायान शाखा में प्रमुख रूप से किया जाता है।
यह मंत्र अक्सर प्रार्थना चक्र, स्तूपों की दीवार, धर्म स्थानों के पत्थरों, मणियों आदि में खुदा हुआ या चित्रित रूप में मिल जाता है। जिस प्रार्थना चक्र पर यह मंत्र खुदा होता है उसको एक बार घुमाने पर माना जाता है कि उसने इस मंत्र को दस लाख बार जपा है। यह मंत्र अँगूठी या अन्य आभूषणों में भी मुद्रित रहता है।
मंडल यानी ऐसा तांत्रिक यंत्र, जो गोलाकार होता है। यह ध्यान का यंत्र माना जाता है। यह दृश्य रूप से ध्यान और मनन करने में सहायता करता है। इसके इस्तेमाल से भक्तजनों को सिद्धि की प्राप्ति होती है।
इसके कई प्रकार होते हैं। इनमें से सबसे प्रचलित 'ध्यानी बुद्ध' का मंडल है। यह सबसे प्राचीन तांत्रिक यंत्र है। इसे शुद्धिकरण का महल कहा जाता है। यह एक जादुई चौकोर होता है जो कि अध्यात्म की राह में आने वाले अवरोधों को हटाकर चित्त का शुद्धिकरण करता है।
ध्यान चक्र :-
यह केवल तिब्बत बौद्ध भक्तों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 'ओम् मणि पदमे हूम' मंत्र खुदा होता है। प्रार्थना चक्र जो छोटे आकार के होते हैं, वे आम लोगों और प्रवासियों द्वारा इस्तेमाल में लाए जाते हैं। बड़े आकार के चक्र मठों, स्तूपों में इस्तेमाल होते हैं।
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