होली का पर्व फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भद्रा रहित समय में होलिका दहन किया जाता है। होलिका के दहन वाले स्थान को जल से शुद्ध कर उसमें सूखे उपले, सूखी लकड़ी, सूखी घास होली का डंडा स्थापित करते हैं।
होलिका दहन से पूर्व पूजा की जाती है। पूजा करते समय होली के समीप जाकर पूर्व या उत्तर मुख होकर बैठें। इसके बाद अग्नि के द्वारा होली को दीप्तिमान करें। फिर एक थाली में निम्न पूजन सामग्री एकत्रित करें। एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध पुष्प, कच्च सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, बड़कुले।
चैतन्य होली का गंध-पुष्पादि से पंचोपचार विधि से पूजन करें। फिर मंत्र का जाप करते हुए होली की तीन या सात परिक्रमा करें। फिर जल से अघ्र्य दें। पूजन के बाद नवीन धान्य जैसे जौं, गेहूं, और चने की खेतियों को ज्वाला में सेंक कर खाएं, तो शरीर निरोगी रहता है। होली की अग्नि और राख बहुत महत्व की होती है, जिसे घर में रखने से घर की सुरक्षा होती है। घर बुरी ताकतों से बचा रहता है।
28 फ़रवरी 2010
होलिका दहन पूर्व ऐसे करें पूजा
Posted by Udit bhargava at 2/28/2010 11:23:00 am
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