आरती
आरती श्री त्रिवेणी जी क़ी
जय माता जय तेरी जय श्री तिरवेनी ।
यमुना गंगसे सेवित, अग जग सुख देनी ।
तीरथ राज प्रकाशित, गुरु ग्रह नित सेव्य ।
अमल अनूप तुम्हारा, जो अनर लाख पाता ।
ज्ञान ध्यान से शोभित, तेरे गुणगाता ॥
अंतर्वेदी में मान, महिमा जग जानी ।
तेरी पूजा करके, धन्य होते प्राणी ॥
यज्ञ दान ताप पूजन श्रद्धा से होते ।
कितने भक्त तुम्हारे, लगा रहे गोते ॥
कुम्भ पर्व पर मैया, गुरु-रवि-चन्द्र मिलें ।
तेरा मज्जन पूजन, कर मन कमल खिलें ॥
संगम जग विख्याता, विश्व करे सेवा ।
मोक्ष जेएव को देती, धन्य धन्य हो देवा ॥
मात त्रिवेणी क़ी आरती, जो नर नित गावे ।
सुख रहे इस जगत में, अंत स्वरत जावे ॥
06 फ़रवरी 2009
श्री त्रिवेणी जी क़ी आरती
Posted by Udit bhargava at 2/06/2009 08:38:00 pm
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