घना जंगल। जंगलमें चारो तरफ बढे हूए उंचे उंचे पेढ। और पेढोंके निचे सुखे पत्ते फैले हूए थे। जंगलके पेढोंके बिचसे बने संकरे जगहसे रास्ता ढूंढते हूए एक काली, काले कांच चढाई हूई, कार तेडेमेडे मोड लेते हूए सुखे पत्तोसे गुजरने लगी। उस कारके चलनेके साथही उस सुखे पत्तोका एक अजिब मसलने जैसा आवाज आ रहा था। धीरे धीरे चल रही वह कार उस जंगलसे रास्ता निकालते हूए एक पेढके पास आकर रुकी। उस कारके ड्रायव्हर सिटका काला शिशा धीरे धीरे निचे सरक गया। ड्रायव्हींग सिटपर अंजली काला गॉगल पहनकर बैठी हूई थी। उसने कारका इंजीन बंद किया और बगलके पेढके तनेपर लगे लाल निशानकी तरफ देखा।
उसने यही वह पेढ ऐसा मनही मन पक्का किया होगा...
फिर उसने जंगलमें चारो ओर एक नजर दौडाई। दुर-दुरतक कोई परींदाभी नही दिख रहा था। आसपास किसीकीभी उपस्थिती नही है इसका यकिन होतेही उसने अपने बगलके सिटपर रखी ब्रिफकेस उठाकर पहले अपने गोदीमें ली। ब्रिफकेसपर दो बार अपना हाथ थपथपाकर उसने अपना इरादा पक्का किया होगा। और मानो अपना इरादा डगमगा ना जाए इस डरसे उसने झटसे वह ब्रिफकेस कारके खिडकीसे उस पेढके तरफ फेंक दी। धप्प और साथही सुखे पत्तोंका मसलनेजैसा एक अजिब आवाज आया।
होगया अपना काम तो होगया ...
चलो अब अपनी इस मसलेसे छूट्टी होगई...
ऐसा सोचते हूए उसने छुटनेके अहसाससे भरी लंबी आह भरी। लेकिन अगलेही क्षण उसके मनमें एक खयाल आया।
क्या सचमुछ वह इस सारे मसलेसे छूट चूकी थी? ...
या वह अपने आपको एक झूटी तसल्ली दे रही थी...
उसने फिरसे चारो तरफ देखा। आसपास कहीभी कोई मानवी हरकत नही दिख रही थी। उसने फिरसे कार स्टार्ट की। और एक मोड लेते हूए कार वहांसे तेज गतिसे चली गई। मानो वहांसे निकल जाना यह उसके लिए इस मसलेसे हमेशाके लिए छूटनेजैसा था।
जैसेही कार वहांसे चली गई, उस सुनसान जागहके एक पेढके उपर, उंचाईपर कुछ हरकत हो गई। उस पेढके उपर उंचाई पर बैठे, हरे पेढके पत्तोके रंगके कपडे पहने हूए एक आदमीने उसी हरे रंगका वायरलेस बोलनेके लिए अपने मुंहके पास लीया।
'' सर एव्हरी थींग इज क्लिअर ... यू कॅन प्रोसीड'' वह वायरलेसपर बोला और फिरसे अपनी पैनी नजर इधर उधर घूमाने लगा। शायद वह, वहांसे चली गई कार कही वापस तो नही आ रही है, या उस कारका पिछा करते हूए वहां और कोई तो नही आयाना, इस बातकी तसल्ली करता होगा।
'' सर एव्हती थींग इज क्लिअर... कन्फर्मींग अगेन'' वह फिरसे वायरलेसपर बोला।
उस पेढपर बैठे आदमीका इशारा मिलतेही जिस पेढके तनेको लाल निशान लगाया हुवा था, उस पेढके बगलमेंही एक बढा सुखे हूए पत्तोका ढेर था, उसमें कुछ हरकत होगई। कार शुरु होनेका आवाज आया और उस सुखे हूए पत्तोके ढेरको चिरते हूए, उसमेंसे एक कार बाहर आ गई। वह कार धीर धीरे आगे सरकती हूई जहां वह ब्रीफकेस पडी हूई थी वहा गई। कारसे एक काले कपडे पहना हूवा और मुंहपरभी काले कपडे बंधा हूवा एक आदमी बाहर आ गया। उसने अपनी पैनी नजरसे इधर उधर देखा। जहां उसका आदमी पेढपर बैठा हूवा था उधरभी देखा और उसे अंगुठा दिखाकर इशारा किया। बदलेमें उस पेढपर बैठे आदमीनेभी अंगूठा दिखाकर जवाब दिया। शायद सबकुछ कंट्रोलमें होनेका संकेत दिया। उस कारमेंसे उतरे, उस काले कपडे पहने आदमीने आसपास कोई उसे देखतो नही रहा है इसकी तसल्ली करते हूए वह निचे पडी हूई ब्रीफकेस धीरेसे उठाई। ब्रीफकेस उठाकर कारके बोनेटपर रखकर खोलकर देखी। हजार रुपयोंके एकके उपर एक ऐसे रखे हूए बंडल्स देखतेही उसके चेहरेपर काले कपडेके पिछे, एक खुशीकी लहर जरुर दौड गई होगी। और उन नोटोंकी खुशबू उसके नाकसे होते हूए उसके मश्तिश्क तक उसे एक नशा चखाती हूए दौड गई होगी। उसने उसमेंसे एक बंडल उठाकर उंगली फेरकर देखकर फिरसे ब्रिफकेसमें रख दिया। उसने फिरसे ब्रिफकेस बंद की। पेढपर बैठे आदमीको फिरसे अंगुठा दिखाकर सबकुछ ठिक होनेका इशारा किया। वह काला साया वह ब्रिफकेस उठाकर फिरसे अपने कारमें जाकर बैठ गया। कारका दरवाजा बंद हो गया, कार शुरु होगई और धीरे धीरे गति पकडती हूई तेज गतिसे वहांसे अदृष्य होगई। मानो वहांसे जल्द से जल्द निकल जाना उस कारमें बैठे आदमीके लिए उन नोटोंपर जल्द से जल्द कब्जा जमाने जैसा था।
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