12 फ़रवरी 2010

महाशिवरात्रि पर इस तरह करें स्नान

मेष - कुंभ स्नान नई चेतना देने वाला है। राज्यभाव में चंद्रमा की उपस्थिति अनुकूल है तथापि अन्य ग्रहों की अनुकूलता के लिए स्नान करते समय लाल पुष्प एवं हल्दी जल में प्रवाहित करें तथा इस मंत्र का जाप करें- ऊं ऐं क्लीं सौ:।

वृषभ - भाग्यवर्धक योग है। अन्य ग्रहों की अनुकूलता एवं शीघ्र शुभ फल की प्राप्ति के लिए स्नान करते समय अखंड़ चावल व चंदन प्रवाहित कर स्नान करें, हो सके तो अपने साथ गौमती चक्र रखें। ऊं ऐं क्लीं श्रीं मंत्र का जप करें।

मिथुन - ग्रहगोचर सम बने हुए हैं। विशेष परिश्रम से सफलता मिल सकेगी। दूध मिश्रित जल तथा जौं प्रवाहित कर स्नान करें। स्नान के समय शंख या सीप अपने साथ रखें तथाऊं क्लीं ऐं सौ: मंत्र का जप करने से विशेष सफलता प्राप्त होगी।

कर्क - ग्रहगोचर विशेष फलदायी हैं। स्नान के पूर्व शहद, लाल फूल तथा तिल का प्रवाह करें। स्फटिक साथ में रखकर स्नान किया जाए तो शुभ फल प्राप्ति में सहयोग मिल सकेगा। ऊं ह्रीं क्लीं श्रीं मंत्र का जप आपको यशस्वी बना सकता है।

सिंह - छठे भाव में सूर्य बुध चक्र की उपस्थिति तथा सप्तम में स्थित गुरु शुक्र सफलतादायक हैं। तिल, सुगंधित इत्र तथा गोमूत्र का प्रवाह करते हुए ऊं ह्रीं श्रीं सौ: मंत्र जाप करते हुए स्नान करें। रुद्राक्ष धारण कर स्नान करना फलदायी हो सकेगा।

कन्या - जन्मस्थ शनि तथा गुरु शुक्र से षडाष्टक योग मिश्रित फलदायी है। ऐसे में स्नान के समय तिल, सुपारी व एकाधिक सिक्के प्रवाहित करें। ऊं क्लीं ऐं सौ: इस मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें तो सफलता सहज हो सकेगी।

तुला - द्वाद्वश शनि तथा चतुर्थ में बुध सूर्य चंद्र की उपस्थिति सफलता प्राप्ति में संदेह दर्शाती है। ऐसे में स्नान के पूर्व सुगंधित इत्र, श्वेत पुष्प तथा तिल का प्रवाह करते हुए ऐं क्लीं श्रीं मंत्र का जाप सफलता दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।

वृश्चिक - पराक्रम में सूर्य बुध तथा भाग्य में मंगल शुभ है। चतुर्थ गुरु शुक्र व्यवधान कारक हैं। ऐसे में स्नान करते समय चने की दाल, चावल व हल्दी प्रवाहित करें। स्नान करते समय ऊं ऐं क्लीं सौ: मंत्र का जाप करें।

धनु - लग्न में राहु तथा पराक्रम में गुरु शुक्र आध्यात्मिक उन्नतिकारक हैं। शुभफल की विशेष प्राप्ति के लिए स्नान के पूर्व श्वेत वस्त्र, चावल व मुलेठी लपेटकर प्रवाहित करें तथा स्नान के समय ऊं ह्रीं क्लीं सौ: मंत्र का जाप सफलतादायी रहेगा।

मकर - लग्न में सूर्य या सप्तम में मंगल की उपस्थिति सम बनी हैं। शुभ फल की प्राप्ति के लिए स्नान के समय अरगजा युक्त जल एवं तिल प्रवाहित करें तथा गोमती चक्र साथ में रखते हुए ऊं ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौ: मंत्र का जप करें, सफलता प्राप्त होगी।

कुंभ - लग्नस्थ गुरु शुक्र तथा लाभ भाव में राहु आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करने वाला है। स्नान के समय गोमूत्र एवं यज्ञ भस्म प्रवाहित करें तथा ऊं ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं मंत्र का जप करें। इससे सफलता अर्जित कर सकेंगे।

मीन - पंचमस्थ मंगल तथा राज्य भाव में राहु की उपस्थिति शुभ है। अन्य ग्रहों की शुभता के लिए स्नान के समय पंचामृत एवं तुलसी का प्रवाह कर ऊं ह्रीं क्लीं सौ: मंत्र का जप करें। स्नान के समय तुलसीमाला पहनना विशेष लाभकारी रहेगा।