क्सर यह कहा जाता है कि एक आम आदमी गलत आदतों का पुलिंदा है। उसको ठीक करना नामुमकिन है। भगवन ने भी आठ-नौ बार इस पृथ्वी पर अवतार लिया, या अपने पैगम्बरों को पृथ्वी पर भेजा, परन्तु यह मनुष्य सुधार नहीं सका।
मैनेजमेंट विशेषज्ञ यह मानते हैं कि गलत आदतों में मनुष्य को एक अजीब सा आनंद मिलता है, एक adventure की feeling महसूस होती है या उसको करने से guilt से अधिक किसी चीज के achievement की feeling होती है। इसलिए मनुष्य उसमें सराबोर होकर अपनी जिन्दगी जीता चला जाता है। यदि मनुष्य की गलत आदतों को सुधरा नहीं जा सकता, तो क्या उनसे फायदा नहीं उठाया जा सकता?
मैनेजमेंट की दुनिया में ऐसे अनेक उदहारण मिलेंगे। ऐसे ही एक उदहारण दो दुकानों के competition का है। ये दोनों दुकाने एक ही बाजार में एक दूसरे के आमने-सामने की ओर दोनों एक ही प्रकार के प्रोडक्ट ग्राहकों को बेचती थी। इसलिए दोनों में गलाकाट प्रतिस्पर्धा भी जबरदस्त थी। जो भी दुकान ग्राहकों के लिये कोई भी स्कीम लेकर आती, उसको दूसरा दुकान वाला अगले ही दिन लागू करके ग्राहकों को अपनी ओर खींचने की कोशिश करने लगता था। मैनों तक चली इस तरह की परिस्थितियों से परेशान होकर एक दुकान वाले ने एक नायाब तरीका ग्राहकों को रिझाने का सोचा। उसने पहले हिसाब लगाकर यह पता किया कि वह प्रतिदिन ग्राहकों से bargain के समय वास्तु का price कम करके कितने पैसे क नुक्सान उठाता है। माना कि यह नुक्सान प्रतिदिन का 2000 रूपये आता है।
इतने हे रूपये उसने छोटे-मोटे आइटम उदहारण के लिये पेंसिल, पेन, जियोमैत्रिक बाँक्स, स्माल डेकोरेटिव आइटम्स को खरीद कर एक बड़ी टोकरी में डालकर अपनी दुकान के निकासी द्वार (Exitdoor) पर रखवा लिया। उसने अपने कर्मचारियों को हिदायत डि कि यदि की ग्राहक इसमें चीजें निकालकर अपने साथ ले जाए, तो वे उसको Ignore करें। दूसरे शब्दों में वे ग्राहकों की चोरियों को नजरंदाज करें। ऐसा करने से धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी और साथ ही वह टोकरी भी शाम तक खाली होने लगी।
अब ग्राहक को shopping करने का मजा आने लगा और वे अपने साथ नए-नए दोस्त भी लाने लगे, ताकि वे भी इस adventure में भागीदार बन सके।
इसका सुखद परिणाम यह रहा कि दुकान की बिक्री भी बहुत बढी और दूसरी दुकान वाले को यह समझ में नहीं आया कि ग्राहक उसकी दुकान पर क्यों नहीं आते। सारांश यही है कि हर चीज का फायदा उठाना जानों।
एक टिप्पणी भेजें