15 सितंबर 2010

शकटासुर का वध

सूतजी बोले, हे मुनिवरों अब मैं आपको कृष्ण की बाल लीलाएं बतलाता हूँ । वृष्णि वंश में जन्म लेकर भगवान विष्णु ने बाल रुप कृष्ण बनकर क्या किया, वह सब आप सुनें । सूतजी के इस कथन पर सम्पूर्ण उपस्थित मुनिगण प्रसन्न हो गये । अत्यन्त उत्सुक्तापूर्वक वह सूतजी का कथन श्रवण करने लगे ।

सूतजी आगे बोले, एक दिन कृष्ण को निंद्रामग्न देखकर माता यशोदा उनको एक छकड़े के नी लिटा गयीं ताकि बाहर आंगन मेंहवा लगती रहे और छकड़े की छाया के कारण बालक का धूप से बचाव भी होता रहे । वह यमुना स्नान के लिये चली गयी । वहां उनका मन न लगा । वह तत्काल स्नान करके वापस आ गयी । जैसे ही वह वापिस आयी, देखा कि छकड़ा उलटा पड़ा हुआ है । उसका प्रत्येक भाग टूटा पड़ा है । पहिया अलग, जुआ अलग.............. वह घबराकर दौड़ी । हाय मेरा लाल । उनको भय लगा । शायद किसी कारणवश छकड़ा उलट गया है उनका लाल उसमें दब गया होगा । मुनिवरों माता यसोदा के प्राण कंठ मं आ गये । दौड़कर भंग हो गये छकड़े के पास आयी । हठात् अपने लाल को उसी प्रकार निंद्रामग्न देखकर लपककर उठा लिया और छाती से लगा लिया । उनकी आंखों से प्रसन्नता के कारण अश्रुधार फूट पड़े । वह अपना भागय सराहने लगी । अगर बालक को कुछ हो जाता, तो उनको गोपराज नंद का कोपभाजन बनना पड़ता । लापरवाही का फल भोगना पड़ता । वह बालक को इस प्रकार छकड़े के नीचे अकेला सुलाकर यमुना स्नान के लिये क्यों गयी । वह पश्चाताप करने लगी । कितनी बड़ी भूल कर दी है, उन्होंने ऐसा उनको न करना था । बालक को कुछ हो गया होता तो.......... अभी वह अपने को संभाल भी नहीं पायी थी कि काषाय वस्त्रधारी नेंद आ गये । छकड़े की दशा देखकर चौंक गये । पूछा अरे छकड़ा इस प्रकार टुकड़े-टुकडे होकर कैसे पडा है ।
यशोदा के पास इस जिज्ञासा का कोई उत्तर न था । गोपराज नंद यशोदा की गोद में बालक को स्तनपान करते देखकर आश्वस्त हो गये कि बालक सुरक्षित है । नंद ने अपना प्रश्न फिर दोहरा दिया तब यशोदा ने सच सच उनको सब बतला दिया । मैं लौटकर आयी तो छकड़ा इसी प्रकार पड़ा था । बालक मैंने उठा लिया । मैं नहीं जानती, कैसे टूटा ।

यह वार्तालाप हो ही रहा था कि कुछ गोप बालक खेलते हुए वहां आ गये । दोनों का वार्तालाप सुनकर वह बोले, अरे इसने खुद लात मारी थी छकड़े में । हम सब तो देख रहे थे । छकडड़ा हवा में उड़ गया । नीचे गिरा तो चूर-चूर हो गया । इसी ने किया है । वह सब बालक को ही दोषी ठहराने लगे । गोप बालकों की बात सुनकर नंद और यशोदा चकित रह गये । उनको गोप बालकों की बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था । अंततः गोपराज नंद ने वह छकड़ा ठीक ठीक करके रख दिया ।

मुनिवरो गोपराज नंद और माता यशोदा ने गोप बालकों की बात का विश्वास न किया । भला विश्वास भी कैसे हो सकता था । एक नन्हा-सा शिशु भला विशालकाय छकड़ा लात मारकर कैसे उलट सकता है । अतएव दोनों भगवान की लीला को न जान सके वास्तव में उनका वध करने के लिये कंस द्घारा भेजा गया असुर शकटासुर आया था । वह सदा छकड़ों में प्रवेशकर अपने शत्रु की हत्या करने में निपुण था । निद्रामग्न कृष्ण को एकदम उपयुक्त स्थान पर पाकर उसने अपने कौशल का प्रदर्शन किया । वह तत्काल छकड़े में प्रवेश कर गया । वह टूटकर कृष्ण के ऊपर गिरकर उसके प्राण हरण करने वाला था कि कृष्ण ने अपना पैर मारकर उसको उछाल दिया । जब वह धरती पर गिरा तो चूर-चूर हो गया । शकटासुर की हड़डी-पसली बराबर हो गयी । हे मुनिवरों । भगवान कृष्ण के हाथों उसके जीवन का अंत होने के कारण यमराज ससम्मान उसको स्वर्ग ले गया । उसे मोक्ष पद प्राप्त हो गया । भगवान पापियों का नाश करते है, पर मुनिवरों, भगवान के हाथों मारे जाने पर तमाम पापी स्वर्ग को प्राप्त होते है । हे मुनिवरों भगवान की यह कैसी कृपा है । सूजी से इस प्रकार का विवरण सुनकर सभी मुनिगण भगवान की इस लीला पर गदगद हो उठे नमिषारण्य एकबारगी भगवान के जय-जयकार से गूंज उठा ।