जब वे टैंट में आराम कर रहे होते हैं, तो अचानक से उनके सामने के टाइगर आ जाता है। दोनों घबरा जाते हैं। एक दोस्त टाइगर को देखकर अपने स्पोर्ट्स शूज बिजली की गति से पहनने लगता हो। जिसको देखकर दूसरा दोस्त remark करता है कि तुम टाइगर से तेज नहीं भाग सकते। क्यों अपनी एनर्जी व्यर्थ गँवा रहे हो।' इसको सुनकर पहला दोस्त कहता है कि 'दोस्त! मुझे टाइगर से तेज नहीं दौड़ना है, मुझे तुझसे तेज दौड़ना है।'
उपरोक्त उदहारण में पहले वाले दोस्त को उद्देश्य उसके दिमाग में बिलकुल स्पष्ट है, उसको प्राप्त करने की रणनीति भी उसने पलक झपकते ही बना ली, और उस रणनीति को implement करने के लिये उसने जूते भी पहल लिये। अब तो वह टाइगर के आक्रमण का इंतज़ार कर रहा है। जैसे ही तिगर उन पर झाप्तेगा, दोनों इधर-उधर भागने के अलावा कुछ नहीं कर पायेंगे। इस भाग-दौड़ में जो पीछे रह जाएगा, वह टाइगर के हत्थे चढ़ जायेगा। दूसरे दोस्त ने खतरे के समय अपने दिमाग को भय के आवेश में जाम कर लिया और बिलकुल अकर्मण्य होकर बैठ गया।
उपरोक्त दोनों योग्यताओं के अनुसार काँरपोरेट वर्ल्ड में चार प्रकार के एक्जीक्यूटिव मिलते हैं। पहले, वे जो ना तो सोचना अच्छा जानते हैं और ना ही वे अपनी सोच को क्रियान्वित कर सकते हैं। अवे अपने भाग्य से काँरपोरेट वर्ल्ड में एंट्री ले लेते हैं, परन्तु अधिक चल नहीं पाते। दूसरे, वे एक्जीयूतिव जिनकी सोचने की शक्ति बहुत अच्छे होती है, परन्तु आलसी प्रवृत्ति के कारण उसको क्रियावान्ति करने में असफल होते हैं। ऐसे लोग बात करने में बहुत अच्छे होते हिं, बहुत जल्दी इंप्रेस करते हैं, परन्तु कार्य नहीं कर पाते हैं। ये बहुत जल्दी frustrate होते हैं और कंपनी छोड़ने में जल्दबाजी करते हैं। तीसरे प्रकार के वे एक्जीक्यूटिव हैं जो सोच नहीं सकते, परन्तु एक्टिव होने के कारण कार्य अच्छा करते हैं। ये फील्ड फ़ोर्स के लिये उत्तम हैं।
चौथे प्रकार के वे एक्जीक्यूटिव हैं, जो सोचते भी अच्छा हैं और एक्टिव भी बहुत हैं। ये लोग काँरपोरेट वर्ल्ड में top positions पर होते हैं।
इस लेख में दिए गए diagram के अनुसार प्रथम प्रकार के एक्जीक्यूटिव को Losers की संज्ञा दी है, दूसरे प्रकार को frustrator की संज्ञा दी है, तीसरे प्रकार को Gambler और चौथे को Expander कहा गया है। कुल मिलाकर मंत्र यही है कि हमें एक्स्पंदर बनाना है।
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