02 जून 2010

चाय के बारे में वह सब जो आप नहीं जानते

चाय कितनी तरह की होती है ?

मोटे तौर पर चाय दो तरह की होती है : प्रोसेस्ड या सीटीसी (कट, टीयर ऐंड कर्ल) और ग्रीन टी (नैचरल टी)।

सीटीसी टी (आम चाय) : यह विभिन्न ब्रैंड्स के तहत बिकने वाली दानेदार चाय होती है, जो आमतौर पर घर, रेस्तरां और होटेल आदि में इस्तेमाल की जाती है। इसमें पत्तों को तोड़कर कर्ल किया जाता है। फिर सुखाकर दानों का रूप दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ बदलाव आते हैं। इससे चाय में टेस्ट और महक बढ़ जाती है। लेकिन यह ग्रीन टी जितनी नैचरल नहीं बचती और न ही उतनी फायदेमंद।

ग्रीन टी: इसे प्रोसेस्ड नहीं किया जाता। यह चाय के पौधे के ऊपर के कच्चे पत्ते से बनती है। सीधे पत्तों को तोड़कर भी चाय बना सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। ग्रीन टी काफी फायदेमंद होती है, खासकर अगर बिना दूध और चीनी पी जाए। इसमें कैलरी भी नहीं होतीं। इसी ग्रीन टी से हर्बल व ऑर्गेनिक आदि चाय तैयार की जाती है। ऑर्गेनिक इंडिया, ट्विनिंग्स इंडिया, लिप्टन कुछ जाने-माने नाम हैं, जो ग्रीन टी मुहैया कराते हैं।

हर्बल टी: ग्रीन टी में कुछ जड़ी-बूटियां मसलन तुलसी, अश्वगंधा, इलायची, दालचीनी आदि मिला देते हैं तो हर्बल टी तैयार होती है। इसमें कोई एक या तीन-चार हर्ब मिलाकर भी डाल सकते हैं। यह मार्किट में तैयार पैकेट्स में भी मिलती है। यह सर्दी-खांसी में काफी फायदेमंद होती है, इसलिए लोग दवा की तरह भी इसका यूज करते हैं।

ऑर्गेनिक टी: जिस चाय के पौधों में पेस्टिसाइड और केमिकल फर्टिलाइजर आदि नहीं डाले जाते, उसे ऑर्गेनिक टी कहा जाता है। यह सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है।

वाइट टी: यह सबसे कम प्रोसेस्ड टी है। कुछ दिनों की कोमल पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है। इसका हल्का मीठा स्वाद काफी अच्छा होता है। इसमें कैफीन सबसे कम और एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। इसके एक कप में सिर्फ 15 मिग्रा कैफीन होता है, जबकि ब्लैक टी के एक कप में 40 और ग्रीन टी में 20 मिग्रा कैफीन होता है।

ब्लैक टी: कोई भी चाय दूध व चीनी मिलाए बिना पी जाए तो उसे ब्लैक टी कहते हैं। ग्रीन टी या हर्बल टी को तो आमतौर पर दूध मिलाए बिना ही पिया जाता है। लेकिन किसी भी तरह की चाय को ब्लैक टी के रूप में पीना ही सबसे सेहतमंद है। तभी चाय का असली फायदा मिलता है।

इंस्टेंट टी: इस कैटिगरी में टी बैग्स आदि आते हैं, यानी पानी में डालो और तुरंत चाय तैयार। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है, जो नैचरल एस्ट्रिंजेंट होता है। इसमें एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से टी-बैग्स को कॉस्मेटिक्स आदि में भी यूज किया जाता है।

लेमन टी: नीबू की चाय सेहत के लिए अच्छी होती है, क्योंकि चाय के जिन एंटी-ऑक्सिडेंट्स को बॉडी एब्जॉर्ब नहीं कर पाती, नीबू डालने से वे भी एब्जॉर्ब हो जाते हैं।

मशीन वाली चाय: रेस्तरां, दफ्तरों, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट आदि पर आमतौर पर मशीन वाली चाय मिलती है। इस चाय का कोई फायदा नहीं होता क्योंकि इसमें कुछ भी नैचरल फॉर्म में नहीं होता।

अन्य चाय: आजकल स्ट्रेस रीलिविंग, रिजूविनेटिंग, स्लिमिंग टी व आइस टी भी खूब चलन में हैं। इनमें कई तरह की जड़ी-बूटी आदि मिलाई जाती हैं। मसलन, भ्रमी रिलेक्स करता है तो दालचीनी ताजगी प्रदान करती है और तुलसी इमून सिस्टम को मजबूत करती है। इसी तरह स्लिमिंग टी में भी ऐसे तत्व होते हैं, जो वजन कम करने में मदद करते हैं। इनसे मेटाबॉलिक रेट थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन यह सपोर्टिव भर है। सिर्फ इसके सहारे वजन कम नहीं हो सकता। आइस टी में चीनी काफी होती है, इसलिए इसे पीने का कोई फायदा नहीं है।

चाय के फायदे

- चाय में कैफीन और टैनिन होते हैं, जो स्टीमुलेटर होते हैं। इनसे शरीर में फुर्ती का अहसास होता है।

- चाय में मौजूद एल-थियेनाइन नामक अमीनो-एसिड दिमाग को ज्यादा अलर्ट लेकिन शांत रखता है।

- चाय में एंटीजन होते हैं, जो इसे एंटी-बैक्टीरियल क्षमता प्रदान करते हैं।

- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और कई बीमारियों से बचाव करते हैं।

- एंटी-एजिंग गुणों की वजह से चाय बुढ़ापे की रफ्तार को कम करती है और शरीर को उम्र के साथ होनेवाले नुकसान को कम करती है।

- चाय में फ्लोराइड होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है और दांतों में कीड़ा लगने से रोकता है।

चाय की मेडिसनल वैल्यू

चाय को कैंसर, हाई कॉलेस्ट्रॉल, एलर्जी, लिवर और दिल की बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है। कई रिसर्च कहती हैं कि चाय कैंसर व ऑर्थराइटस की रोकथाम में भूमिका निभाती है और बैड कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कंट्रोल करती है। साथ ही, हार्ट और लिवर संबंधी समस्याओं को भी कम करती है।

चाय के नुकसान

- दिन भर में तीन कप से ज्यादा पीने से एसिडिटी हो सकती है।

- आयरन एब्जॉर्ब करने की शरीर की क्षमता को कम कर देती है।

- कैफीन होने के कारण चाय पीने की लत लग सकती है।

- ज्यादा पीने से खुश्की आ सकती है।

- पाचन में दिक्कत हो सकती है।

- दांतों पर दाग आ सकते हैं लेकिन कॉफी से ज्यादा दाग आते हैं।

- देर रात पीने से नींद न आने की समस्या हो सकती है।

दूध से खत्म होते हैं चाय के गुण

दूध और चीनी मिलाने से चाय के गुण कम हो जाते हैं। दूध मिलाने से एंटी-ऑक्सिडेंट तत्वों की ऐक्टिविटी भी कम हो जाती है। चीनी डालने से कैल्शियम घट जाता है और वजन बढ़ता है। इससे एसिडिटी (जलन) की आशंका बढ़ जाती है। दरअसल, चाय में फाइब्रीन व एल्ब्यूमिन होते हैं, जबकि चाय में टैनिन। ये आपस में मिलकर ड्रिंक को गंदला कर देते हैं। दूध में मौजूद प्रोटीन चाय के फायदों को खत्म करता है।

चाय बनाने का सही तरीका

ताजा पानी लें। उसे एक उबाल आने तक उबालें। पानी को आधे मिनट से ज्यादा नहीं उबालें। एक सूखे बर्तन में चाय पत्ती डालें। इसके बाद बर्तन में पानी उड़ेल दें। पांच-सात मिनट के लिए बर्तन को ढक दें। इसके बाद कप में छान लें। स्वाद के मुताबिक दूध और चीनी मिलाएं। एक कप चाय बनाने के लिए आधा चम्मच चाय पत्ती काफी होती है। चाय पत्ती, दूध और चीनी को एक साथ उबालकर चाय बनाने का तरीका सही नहीं है। इससे चाय के सारे फायदे खत्म हो जाते हैं। इससे चाय काफी स्ट्रॉन्ग भी हो जाती है और उसमें कड़वापन आ जाता है।

कब पिएं

यूं तो चाय कभी भी पी सकते हैं लेकिन बेड-टी और सोने से ठीक पहले चाय पीने से बचना चाहिए। दरअसल, रात को सोने और आराम करने से इंटेस्टाइन (आंत) फ्रेश होती है। ऐसे में सुबह उठकर सबसे पहले चाय पीना सही नहीं है। देर रात में चाय पीने से नींद आने में दिक्कत हो सकती है।

साथ में क्या खाएं

- जिन लोगों को एसिडिटी की दिक्कत है, उन्हें खाली चाय नहीं पीनी चाहिए। साथ में एक-दो बिस्कुट ले लें।

- ग्रीन टी हर्बल ड्रिंक है, इसलिए इसे खाली ही पीना बेहतर है। साथ में कुछ न खाएं तो इसका गुणकारी असर ज्यादा होता है।

कितने कप पिएं

बिना दूध और चीनी की हर्बल चाय तो कितनी बार भी पी सकते हैं। लेकिन दूध-चीनी डालकर और सभी चीजें एक साथ उबालकर बनाई गई चाय तीन कप से ज्यादा नहीं पीनी चाहिए।

कितनी गर्म पिएं

चाय को कप में डालने के 2-3 मिनट बाद पीना ठीक रहता है। वैसे जीभ खुद एक सेंस ऑर्गन है। चाय के ज्यादा गर्म होने पर उसमें जलन हो जाती है और हमें पता चल जाता है कि चाय ज्यादा गर्म है।

रखी हुई चाय न पिएं

चाय ताजा बनाकर ही पीनी चाहिए। आधे घंटे से ज्यादा रखी हुई चाय को ठंडा या दोबारा गर्म करके नहीं पीना चाहिए। इसी तरह एक ही पत्ती को बार-बार उबालकर पीना और भी नुकसानदेह है। अक्सर ढाबों और गली-मुहल्ले की चाय की दुकानों पर चाय बनानेवाले बर्तन में पुरानी ही पत्ती में और पत्ती डालकर चाय बनाई जाती है। इससे चाय में नुकसानदायक तत्व बनने लगते हैं।

यह भी जानें

- चाय पीने का पहला आधिकारिक उल्लेख चीन में चौथी शताब्दी ई.पू. मिलता है, लेकिन किसी लिखित दस्तावेज में जिक्र 350 ई. में मिलता है।

- भारत में चाय की पैदाइश और बिक्री ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद ही शुरू हुई। आज भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन करता है। इसमें से 70 फीसदी की खपत देश में ही हो जाती है।

- 5-6 कप चाय पीने से मैग्नीजियम की रोजाना की जरूरत 45 फीसदी जरूरत पूरी हो जाती है। शरीर को रोजाना 2-5 मिग्रा मैग्नीजियम की जरूरत होती है।

- किसी भी गर्भवती महिला को एक दिन में 200 मिली ग्राम कैफीन यानी पांच कप से ज्यादा चाय नहीं पीनी चाहिए।

- चाय को लकड़ी के डिब्बे में स्टोर करना चाहिए। इससे उसकी महक बनी रहती है।

- नॉन-वेज खाने के बाद दो-तीन कप चाय पीना फायदेमंद होता है। इससे नॉन-वेज में जो कैंसर पैदा करने करनेवाले केमिकल होते हैं, उनका असर कम करने में मदद मिलती है।

- चाय को बिना चीनी या शहद के पिएं।

- चाय में नीबू मिला लेना अच्छा होता है।

गुण और भी हैं

- चाय की पत्तियों के पानी को गुलाब के पौधे की जड़ों में डालना चाहिए।

- चाय की पत्तियों को पानी में उबाल कर बाल धोने से चमक आ जाती है।

- एक लीटर उबले पानी में पांच टी बैग्स डालें और पांच मिनट के लिए छोड़ दें। इसमें थोड़ी देर के लिए पैर डालकर बैठे रहें। पैरों को काफी राहत मिलती है।

- दो टी बैग्स को ठंडे पानी में डुबोकर निचोड़ लें। फिर दोनों आंखों को बंद कर लें और उनके ऊपर टी बैग्स रखकर कुछ देर के लिए शांति से लेट जाएं। इससे आंखों की सूजन और थकान उतर जाएगी।

- शरीर के किसी भाग में सूजन हो जाए तो उस पर गर्म पानी में भिगोकर टी बैग रखें। इससे दर्द कम होगा और ब्लड सर्कुलेशन सामान्य हो जाएगा।

- गर्म पानी में भीगे हुए टी बैग को रखने से दांत के दर्द में फौरी आराम मिलता है।

चाय के मुख्य आउटलेट्स

चा बार, ऑक्सफर्ड बुक स्टोर, बाराखम्बा रोड, कनॉट प्लेस : अफ्रीका, जापान से लेकर श्रीलंका तक की खास चाय उपलब्ध है इस हैपनिंग बार में। साथ ही, सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद तमाम तरह की चाय यहां पी सकते हैं।

आपकी पसंद, (गोलचा के सामने), दरियागंज : 1955 में शुरू हुई इस दुकान की खासियत है इसका तजुर्बा और टी-टेस्टर्स की पसंद। कई नामी टी-टेस्टर्स की पसंद यहां लाजवाब स्वाद मुहैया कराती है। यहां से चाय के पैकिट स्टेट गिफ्ट के तौर पर भी विदेशी राजनयिकों आदि को दिए जाते हैं।

पैशन माइ कप ऑफ टी, पिरामिड शॉप, साकेत और वसंत विहार : मटकों में रखी मसाला चाय और शैंपेन टी नाम से आकर्षित करती दार्जिलिंग की स्पेशल चाय यहां की खासियत हैं।

इंटर कॉन्टिनेंटल इरोज, नेहरू प्लेस : फाइव स्टार लग्जरी के साथ चाय की चुस्की लेना चाहते हैं तो यह जगह सबसे मुफीद है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सर काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने। धन्यवाद

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  2. बहुत सर काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने। धन्यवाद

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