आत्मविश्वास क्या है? सामान्यता हम जीवन में बहुत तथ्यों के बारे में बातें करते हैं। यघपि उनके बारे में हमको बहुत स्पस्ट पता होता है। अधिकतर व्यक्ति आत्मविश्वास को एक तथ्य ही मानते हैं। वास्तव में यह उससे भिन्न है। यह एक स्थिति को सकारत्मक मष्तिष्क में संभालने की आदत है।
क्या आप आत्मविश्वासी हैं?
यदि आपको लगता है कि आप आत्मविश्वासी हैं। तो आप में आत्मविश्वास होना चाहिए। यह निश्चिंतता की भावना है, जिसमें आप इस से सोचते और काम करते हैं कि निर्णयों को बार-बार बदलते नहीं। अनिश्चित मष्तिष्क का एक अच्छा उदहारण मोहम्मद तुगलक है। दिल्ली का बादशाह होते हुए उसने सोचा कि दिल्ली ठीक राजधानी नहीं है। उसने दौलताबाद को राजधानी बना दिया और लाव-लश्कर के साथ चला गया। वहां जाकर उसे लगा कि उसने ठीक निर्णय नहीं लिया है। तो राजधानी को वापस दिल्ली ले आया। आत्मविश्वास के लिये दो आवश्यक हैं- दृढ़ता और विशवास। यह महात्मा गाँधी की दृढ़ता और उनका अपने में विशवास था कि उन्होंने तय किया कि अंग्रेजों को भारत छोड़ना होगा। इन दोनों गुणों के कारण भारतीय जनता का उनमें अंधविश्वास हो गया। जो उन्होंने कह दिया, लोगों ने बिना सवाल किये मान लिया। गांधी जी में इतना अधिक आत्मविश्वास था कि वे कभी किसी दूसरे उपया पर सोचते ही नहीं थे। यह नहीं कि उन्होंने कोई गलती नहीं की। परन्तु जब गलती की, उसको स्वीकार किया और उससे सीखा।
आत्मविश्वास वह शक्ति है, जो असंभव को सम्भव बना सकती है। इसकी विशेषता है कि यह प्रत्येक व्यक्ति में विधमान होती है। साधारण व्यक्ति हो या देश का प्रधानमन्त्री। इसका सबसे अच्छा उदहारण अमेरिका की एक अश्वेत महिला रोजा पार्क्स है। 1955 अलाबामा राज्य के मांटगुमरी शहर की एक बस में जा रही थी। राज्य नियम के अनुसार काले नागरिकों को बस में पिछले भाग में बैठना था। परन्तु उसने मना कर दिया। वह बस से उतर सड़क पर बैठ गयी। पूरे अमेरिका में अश्वेतों ने बसों का बहिष्कार शुरू कर दिया। अमेरिका में न केवल इस नियम को समाप्त किया गया बल्कि मार्टिन लूथर किंग एक प्रभावशाली जूनियर नेता के रूप में उभरे।
आप भी रोजा पार्क्स के समान दृढ विश्वासी हो सकते हैं। आवश्यकता है चार सूत्रों को समझने की।
पहला सूत्र : यह पता होना चाहिए कि आप अपने निर्णय को किस प्रकार कार्यान्वित करेंगे। यदि आपको यह पता नहीं है, तो आप अनिश्चित रहेंगे और अपने निर्णय को बार-बार बदलते रहेंगे।
दूसरा सूत्र : व्यवहारिक निर्णय लीजिये। जिनको अमल में लाया जा सके। सैद्वान्तिक निर्णय कभी ठीक नहीं रहते।
तीसरा सूत्र : अधिक से अधिक निर्णय लीजिये और सफलता से सीखिए।
चौथा सूत्र : सूचना शक्ति है। आपके पास जितनी अधिक जानकारी होगी, उतना ही प्रभावी निर्णय आप ले पायेंगे। आपको लीच वालेसा में विशवास रखना चाहिए। उनका कहना है : यदि आप दीवार के पार जाना चाहते हैं, तो कई तरीके हैं। उस पर चढ़ सकते है। उसके नीचे से सुरंग बना सकते हैं या इसमें द्वार ढूंढ सकते हैं।
30 मई 2010
आत्मविश्वास शक्ति का मार्ग
Posted by Udit bhargava at 5/30/2010 09:33:00 am
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