हंस को वाहन के रूप में चुनने के पीछे गहरे अर्थ छुपे हैं। हंस के विषय में ऐसी मान्यता है कि वह नीर क्षीर विवेक से सम्पंन है। मतलब कि आप दूध और पानी को मिलाकर उसके सामने रखें तो वह उसमें से दूध को पी लेगा और पानी को छोड़ देगा। मतलब यह कि हंस विवेक यानि सद्ज्ञान से संपन्न होने के कारण ही देवी सरस्वती द्वारा चुना जाता है। यदि हम चाहें कि ज्ञान की देवी सरस्वती सदैव हमपर सवार रहें तो हमे भी हंस की तरह ही विवेक यानि सद्बुद्धि को स्वयं में जाग्रत करना होगा।
08 मई 2010
देवी सरस्वती का वाहन हंस ही क्यों
हंस को वाहन के रूप में चुनने के पीछे गहरे अर्थ छुपे हैं। हंस के विषय में ऐसी मान्यता है कि वह नीर क्षीर विवेक से सम्पंन है। मतलब कि आप दूध और पानी को मिलाकर उसके सामने रखें तो वह उसमें से दूध को पी लेगा और पानी को छोड़ देगा। मतलब यह कि हंस विवेक यानि सद्ज्ञान से संपन्न होने के कारण ही देवी सरस्वती द्वारा चुना जाता है। यदि हम चाहें कि ज्ञान की देवी सरस्वती सदैव हमपर सवार रहें तो हमे भी हंस की तरह ही विवेक यानि सद्बुद्धि को स्वयं में जाग्रत करना होगा।
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जैसे अच्छा तैराक तैरता नहीं तिर जाता है;वैसे ही,ज्ञान प्राप्ति से जीवन प्रवाह सुगम हो जाता है। हंस इसी का प्रतीक है।
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