भगवान गणपति की पूजन सब विघ्नों का नाश करते हैं, अभी तक ऐसा ही प्रचलित है। जानिए भगवान गणोश और उनके परिवार को, गणोश क्या हैं, उनका स्वरूप किस बात का प्रतीक है, उनके परिवार में कौन है, उनका परिवार क्या देता है, ऐसी कई बातें। गणपति भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं। गणोश का मूलत: बुद्धि का देवता माना गया है। वे व्यक्ति को न केवल अच्छी बुद्धि और ज्ञान देते हैं बल्कि उनके पूजन से और भी कई लाभ हैं। उनकी सूंड प्रतीक है दूरदर्शिता का, जिस तरह नाक सुंघकर ही हर चीज का पता लगा लेती है ऐसे ही हम अपनी बुद्धि का इस्तेमाल इस तरह करें कि भविष्य की परिस्थितियों का ध्यान रख सकें। उनका बड़ा पेट प्रतीक है इस बात का कि व्यक्ति की बुद्धि ऐसी होनी चाहिए जो हर बात को अपने भीतर रख सके, उसे पचा सके।वाहन : गणपति का वाहन है चूहा। यह सोचकर अटपटा लगता है कि इतने भारी-भरकम भगवान का वाहन चूहा कैसे हो सकता है। दरअसल गणपति जैसे बुद्धि के प्रतीक हैं, वैसे ही उनका वाहन चूहा तर्क का प्रतीक है। बुद्धि हमेशा तर्क पर ही चलती है। तर्क बहुत छोटा लेकिन काम का होता है। पत्नियां : गणोश की दो पत्नियां हैं रिद्धि और सिद्धि। ये प्रतीक है बुद्धि से आनी वाली कार्यकुशलता का। सिद्धि का अर्थ है कुशलता, किसी भी काम की महारत और रिद्धि का अर्थ है कुशलता को अक्षुण बनाए रखना। गणपति के पूजन से हमें बुद्धि, महारत और अक्षय महारत प्राप्त होती है। पुत्र : गणपति के दो पुत्र हैं लाभ और क्षेम। लाभ यानी योग, आपकी संपत्ति में, ज्ञान में, प्रतिष्ठा में हर जगह लाभ देते हैं गणपति। क्षेम का अर्थ है जो भी लाभ कमाया गया है उसे सुरक्षित रखना। इस तरह अकेले गणपति के पूजन से ही हर तरह के सुख-संपदा मिल सकती है। उनके पूजन से उनका पूरा परिवार हम पर कृपा करता है।
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