02 मई 2010

अपषकुन क्या है?

मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना गया है। लेकिन उसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए क़ी प्रकति प्रदत्त अन्य प्राणियों की कोई अहमियत नहीं और वे 'गए-गुजरे' हैं। आकाश में स्वछंद उड़ते पक्षी को देखिये। कितनी मस्ती और बेफिक्री से जीवन जी रहा है। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पहुँचने के लिये उसे किसी पासपोर्ट की या किराए की दरकार नहीं है। बिना कारोबार, व्यापार किये वह अपने पेट को भरने की व्यवस्था स्वयं कर लेता है। यही स्थिति स्वछंद विचरण करने वाले जानवर, कीट पतंगों पर लागू है। सही मायने में इन्हें मुख्य ख़तरा आदमी से है जो स्वयं भी परेशान रहता हुआ अपना जीवन बिताता है और इन पशु-पक्षियों को भी बंधक बनाकर इनकी ह्त्या करने को तत्पर रहता है।
माना जाता है क़ी मनुष्य का दिमाग अन्य सबसे प्रखर है, वह इस दिमाग के बलबूते सारी दुनिया पर राज कर रहा है। अन्य सारे प्राणियों को अपना गुलाम बनाने की उसमें भरपूर क्षमता है। अपने इस उर्वर मस्तिष्क की बसौलत उसने ऐसे-ऐसे उपकरण ईजाद कर लिये हैं जिनका उपयोग वह अपनी सुख-सुविधा के लिये करता रहता है। मीलों दूर वह एक जगह बैठकर बात कर सकता है, थोड़े से समय में एक जगह से दूसरी जगह आ-जा सकता है, अपनी बीमारियों का इलाज वह दवाइयों से कर सकता है। मौसम के तीखे प्रहारों से बच सकता है।
लेकिन सोचिये एक कौवे की मौत पर शोक व्यक्त करने दूर-दराज से कौवे किस तरह आकर इकट्ठे हो जाते हैं? मीलों दूर से गिद्ध अपना आहार कैसे तलाश लेते हैं? किस तरह पक्षी हजारों मील दूर अनुकूल अपने प्रजनन तथा सैर-सपाटे का स्थान तलाश लेते हैं? और गंतव्य स्थान पर ठीक समय पर पहुँच जाते हैं।
दरअसल प्रकति बहुत दयालु है। उसने सारे प्राणियों का ध्यान रखा है। यदि मनुष्य को कुछ विशेषताएं प्रदान की तो अन्यों को भी वंचित नहीं रखा, सभी को यहाँ तक की पेड़-पौधों को भी विलक्षण शक्तियां प्रदान की हैं। प्रकति ने तो प्राणियों की रक्षा तथा भविष्य में हो सकने वाले खतरों को भांपने तथा उनसे बचाव के उपाय भी उद्घाटित किये हैं। जिन्हें मनुष्येतर प्राणी भली-भाँती जानते-समझते हैं।
हमारे पूर्वज जो प्रकति के साहचर्य में रहना ही सच्चा जीवन मानते थे, उन्होनें प्रकति के इन संकेतों को समझा था, हालाकिं आज के युग में इसे अंधविश्वास ही कहा जाता है, लिकिन विगत वर्षों में आये भीषण भूकम्पों के अध्ययनों से यह बात स्पस्ट हो गयी थी कि अनेक मनुष्येतर प्राणियों ने भूकंप से पूर्व अपने असामान्य व्यवहार से संकेत दिए थे कि कुछ आपदा आने ही वाली है। व्यक्तीगत स्तर पर भी अनेक प्राकृतिक संकेत व्यक्ति विशेष को आगाह करते हैं। कुछ ऐसे ही संकेत यहाँ प्रस्तुत हैं, जो संभावित भविष्य को निश्चित तौर पर तो नहीं, फिर भी संभावना समझ कर सचेत होने में बुराई नहीं है।
कुछ लक्षणों को देखते ही व्यक्ति के मन में आषंका उत्पन्न हो जाती है कि उसका कार्य पूर्ण नहीं होगा। कार्य की अपूर्णता को दर्षाने वाले ऐसे ही कुछ लक्षणों को हम अपषकुन मान लेते हैं।
अपशकुनों के बारे में हमारे यहां काफी कुछ लिखा गया है, और उधर पष्चिम में सिग्मंड फ्रॉयड समेत अनेक लेखकों-मनोवैज्ञानिकों ने भी काफी लिखा है। यहां पाठकों के लाभार्थ घरेलू उपयोग की कुछ वस्तुओं, विभिन्न जीव-जंतुओं, पक्षियों आदि से जुड़े कुछ अपषकुनों का विवरण प्रस्तुत है।

प्राकृतिक उत्पाद संकेत

  • गाँव या नगर के बाहर दिन में श्रृंगाल और उल्लू शब्द करें तो उस गाँव में अनिष्ट की सूचना समझनी चाहिए।
  • यात्रा के समय नीलकंठ का दर्शन उत्तम माना गया है, उसके बायें अंग का अवलोकन भी उत्तम है।
  • वर्षाकाल में पृथ्वी का कम्पन, भूकंप होना, बादलों की आकृति का बदल जाना, पर्वत और घरों का चलायमान होना, भयंकर शब्दों का चारों दिशाओं से सुनाई पढ़ना, सूखे हुए वृक्षों में अंकुर का निकल आना, इन्द्रधनुष काले रूप में दिखालाई पढ़ना एवं श्यामवर्ण की विधुत का गिरना भय, मृत्यु और आनावृस्टि का सूचक की है।
  • यदि नदियाँ नगर के निकटवर्ती स्थान को छोड़कर दूर हटकर बहने लगें तो उन नगरों की आबादी घाट जाती है, वहां अनेक प्रकार के रोग फैलते हैं।
  • यदि नदियों का जल विकृत हो जाए वह रुधिर, तेल, घी, शहद आदि के गंध और आकृति के समान बहता हुआ दिखलाई पड़े, कुआ का जल स्वयं ही खौलने लगे, रोने और गाने का शब्द जल से निकले तो महामारी फैलती है।
  • किसी भी देव की प्रतिमा का भंग होना, फूटना या हँसना, चलना आदि अशुभकारक है। उक्त क्रियाएं एक सप्ताह लगातार होती हों तो निश्चय ही तीन महीने के भीतर अनिष्टकारक फल मिलता है। ग्रहों की प्रतिमाएं, चौबीस शासनादेवों एवं शासनदेवियों की प्रतिमाएं, क्षेत्रपाल और दिक्पालों की प्रतिमाएं इनमें उक्त प्रकार की विकृति होने से व्याधि, जनहानि, मरण एवं अनेक प्रकार की व्याधियां उत्पन्न होती हैं।
  • दो बैल परस्पर स्तनपान करें तथा कुत्ता गाय के बछड़े का स्तनपान करें तो महान अमंगल होता है।

झाड़ू का अपषकुन
  • नए घर में पुराना झाड़ू ले जाना अषुभ होता है।
  • उलटा झाडू रखना अपषकुन माना जाता है।
  • अंधेरा होने के बाद घर में झाड़ू लगाना अषुभ होता है। इससे घर में दरिद्रता आती है।
  • झाड़ू पर पैर रखना अपषकुन माना जाता है। इसका अर्थ घर की लक्ष्मी को ठोकर मारना है।
  • यदि कोई छोटा बच्चा अचानक झाड़ू लगाने लगे तो अनचाहे मेहमान घर में आते हैं।
  • किसी के बाहर जाते ही तुरंत झाड़ू लगाना अषुभ होता है।

दूध का अपषकुन
  • दूध का बिखर जाना अषुभ होता है।
  • बच्चों का दूध पीते ही घर से बाहर जाना अपषकुन माना जाता है।
  • स्वप्न में दूध दिखाई देना अशुभ माना जाता है। इस स्वप्न से स्त्री संतानवती होती है।

पशुओं का अपषकुन
  • यदि यात्रा करने वाले की अनुकूल दिशा (सामने) की ओर कुत्ता जाय तो वह कल्याणकारी और कार्यसाधक होता है, परन्तु यदि प्रतिकूल दिशा की ओर जाय तो उसे कार्य में भयंकर, बाधा डालने वाला जाना चाहिए।
  • यात्राकाल में घर पर कु्त्ता आ जाय तो वह अभीष्ट कार्य की सिद्धि सूचित करता है।
  • घर के भीतर भौंकता हुआ कुत्ता आवे तो गृहस्वामी की मृत्यु का कारण होता है।
  • कुत्ता जिसके बाएं अंग को सूंघता है, तो उसके कार्य की सीधी होती है। यदि दाहिने अंग और बांयी भुजा को सूंघे तो भय उपस्थित होता है।
  • कुत्ता जिसके आगे पेशाब करके चला जाता है, उसके ऊपर भय आता है, किन्तु मूत्र त्यागकर यदि वह किसी शुभ स्थान, शुभ वृक्ष तथा मांगलिक वास्तु के समीप चला जाए तो वह पुरुष के कार्य का साधक होता है। कुत्ते की ही भांति गीदड आदि भी समझने चाहिये।
  • यदि घोडे के नेत्र से आंसू बहें तथा वह जीभ से अपने पैर चाटने लगे तो विनाश का सूचक होता है।
  • यात्राकाल में सर्प, खरगोश तथा हाथी का नाम लेना भी शुभ माना गया है।
  • जिस व्यक्ति की नजर अनायास ऐसे कौए पर पड जाती है जो कि शांत बैठा हो तथा पूर्वाभिमुख हो तो निश्चय ही ऐसे व्यक्ति को एक पखवाडे के अन्दर धन-लाभ होगा।
  • यदि कुत्ता हड्डी लेकर घर में प्रवेश करे तो रोग उत्पन्न होने की सूचना देता है।
  • किसी कार्य या यात्रा पर जाते समय कुत्ता बैठा हुआ हो और वह आप को देख कर चौंके, तो विन हो।
  • किसी कार्य पर जाते समय घर से बाहर कुत्ता शरीर खुजलाता हुआ दिखाई दे तो कार्य में असफलता मिलेगी या बाधा उपस्थित होगी।
  • यदि आपका पालतू कुत्ता आप के वाहन के भीतर बार-बार भौंके तो कोई अनहोनी घटना अथवा वाहन दुर्घटना हो सकती है।
  • यदि कीचड़ से सना और कानों को फड़फड़ाता हुआ दिखाई दे तो यह संकट उत्पन्न होने का संकेत है।
  • आपस में लड़ते हुए कुत्ते दिख जाएं तो व्यक्ति का किसी से झगड़ा हो सकता है।
  • शाम के समय एक से अधिक कुत्ते पूर्व की ओर अभिमुख होकर क्रंदन करें तो उस नगर या गांव में भयंकर संकट उपस्थित होता है।
  • कुत्ता मकान की दीवार खोदे तो चोर भय होता है।
  • यदि कुत्ता घर के व्यक्ति से लिपटे अथवा अकारण भौंके तो बंधन का भय उत्पन्न करता है।
  • चारपाई के ऊपर चढ़ कर अकारण भौंके तो चारपाई के स्वामी को बाधाओं तथा संकटों का सामना करना पड़ता है।
  • कुत्ते का जलती हुई लकड़ी लेकर सामने आना मृत्यु भय अथवा भयानक कष्ट का सूचक है।
  • पशुओं के बांधने के स्थान को खोदे तो पशु चोरी होने का योग बने।
  • कहीं जाते समय कुत्ता श्मषान में अथवा पत्थर पर पेषाब करता दिखे तो यात्रा कष्टमय हो सकती है, इसलिए यात्रा रद्द कर देनी चाहिए। गृहस्वामी के यात्रा पर जाते समय यदि कुत्ता उससे लाड़ करे तो यात्रा अषुभ हो सकती है।
  • बिल्ली दूध पी जाए तो अपषकुन होता है।
  • यदि काली बिल्ली रास्ता काट जाए तो अपषकुन होता है। व्यक्ति का काम नहीं बनता, उसे कुछ कदम पीछे हटकर आगे बढ़ना चाहिए।
  • यदि सोते समय अचानक बिल्ली शरीर पर गिर पड़े तो अपषकुन होता है।
  • बिल्ली का रोना, लड़ना व छींकना भी अपषकुन है।
  • जाते समय बिल्लियां आपस में लड़ाई करती मिलें तथा घुर-घुर शब्द कर रही हों तो यह किसी अपषकुन का संकेत है। जाते समय बिल्ली रास्ता काट दे तो यात्रा पर नहीं जाना चाहिए।
  • गाएं अभक्ष्य भक्षण करें और अपने बछड़े को भी स्नेह करना बंद कर दें तो ऐसे घर में गर्भक्षय की आषंका रहती है। पैरों से भूमि खोदने वाली और दीन-हीन अथवा भयभीत दिखने वाली गाएं घर में भय की द्योतक होती हैं।
  • गाय जाते समय पीछे बोलती सुनाई दे तो यात्रा में क्लेषकारी होती है।
  • घोड़ा दायां पैर पसारता दिखे तो क्लेश होता है।
  • ऊंट बाईं तरफ बोलता हो तो क्लेषकारी माना जाता है।
  • हाथी बाएं पैर से धरती खोदता या अकेला खड़ा मिले तो उस तरफ यात्रा नहीं करनी चाहिए। ऐसे में यात्रा करने पर प्राण घातक हमला होने की संभावना रहती है।
  • प्रातः काल बाईं तरफ यात्रा पर जाते समय कोई हिरण दिखे और वह माथा न हिलाए, मूत्र और मल करे अथवा छींके तो यात्रा नहीं करनी चाहिए।
  • जाते समय पीठ पीछे या सामने गधा बोले तो बाहर न जाएं।

पक्षियों का अपषकुन
  • रात्रिकाल में कौए का स्वर सुनाई देना अति शुभ होता। इसके लिये बिस्तर से उठकर कुल्ला करें एवं ईष्ट का स्मरण करें फ़िर सोवें।
  • पाराशर मुनि के अनुसार जिस व्यक्ति के अनुसार जिस व्यक्ति के समक्ष आकर कौआ किसी कीड़े को गिरावे तो निश्चय ही उस व्यक्ति के शत्रु का हनन होता है।
  • छाया (तम्बू, रावती आदि) अंग, वाहन, उपानह, छात्र और वस्त्र आदि के द्वार कौए को कुचल डालने पर अपने लिये मृत्यु की सूचना मिलती है।
  • कौए की पूजा करने पर अपनी भी पूजा होती है तथा अन्न आदि के द्वारा उसका इस्ट करने पर अपना भी शुभ होता है।
  • यदि कौया दरवाजे पर बारम्बार आया-जाया करे तो वह उस घर में किसी परदेशी व्यक्ति के आने के सूचना देता है।
  • यदि कौया अपने आगे कच्चा मांस लाकर दाल दे तो धन की, मिटटी गिरावे तो पृथ्वी की और कोई रत्न दाल दें तो महान साम्राज्य की प्राप्ति होती है।
  • सारस बाईं तरफ मिले तो अषुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • सूखे पेड़ या सूखे पहाड़ पर तोता बोलता नजर आए तो भय तथा सम्मुख बोलता दिखाई दे तो बंधन दोष होता है।
  • मैना सम्मुख बोले तो कलह और दाईं तरफ बोले तो अशुभ हो।
  • बत्तख जमीन पर बाईं तरफ बोलती हो तो अशुभ फल मिले।
  • बगुला भयभीत होकर उड़ता दिखाई दे तो यात्रा में भय उत्पन्न हो।
  • यात्रा के समय चिड़ियों का झुंड भयभीत होकर उड़ता दिखाई दे तो भय उत्पन्न हो।
  • घुग्घू बाईं तरफ बोलता हो तो भय उत्पन्न हो। अगर पीठ पीछे या पिछवाड़े बोलता हो तो भय और अधिक बोलता हो तो शत्रु ज्यादा होते हैं। धरती पर बोलता दिखाई दे तो स्त्री की और अगर तीन दिन तक किसी के घर के ऊपर बोलता दिखाई दे तो घर के किसी सदस्य की मृत्यु होती है।
  • कबूतर दाईं तरफ मिले तो भाई अथवा परिजनों को कष्ट होता है।
  • लड़ाई करता मोर दाईं तरफ शरीर पर आकर गिरे तो अशुभ माना जाता है।
  • लड़ाई करता मोर दाईं तरफ शरीर पर आकर गिरे तो अशुभ माना जाता है।
जीव निमित्त ज्ञान
  • घर में लाला चीटियों की अधिकता से घर में अर्थ हानि होती है।
  • जिस घर में काली चीटिया होती है वहां धनागमन में वृद्धि होती है।
  • जब अनायास घर में मखियाँ प्रवेश करें तब निश्चय ही किसी अजनबी के आगमन की सूचना मिलती है।
  • घर में मधुमखियों के छत्ते के निर्माण होना किसी बिन बुलाए आफत का आना दर्शाता है।
  • जिस घार में बिल्ली जानती है वहां कोई न कोई कष्ट अवश्य होता है। इसी प्रकार कोई बिल्ली जिस घर में किसी अन्य घर में उसके द्वारा जने हुए बच्चों को लाती है तब वहां शुभ घटनाएं पर्लाक्षित होती है।
  • जिस घर में पूर्ण कृष्ण वर्ण की बिल्ली उत्तर दिशा में प्रवेश करे तब बहन के रहने वाले को धन-प्राप्ति होती है, इसी प्रकार जा ऐसी बिल्ली दक्षिण से प्रवेश करे तो निश्चय ही नुक्सान होता है। सफ़ेद या पीली बिल्ली का घर में आना शुभ नहीं।
  • घर में मयूर पंध का रखना शुभ नहीं होता। इस अशुभात्व को दूर करने हेतु मयूर पन्हों को किसी वृक्ष पर डाल आना चाहिए।
  • घर में छछूंदर के घूमने-फिरने से लक्ष्मी आती है। छछूंदर जिस व्यक्ति के चारों ओर घूम जावे, निकट भविष्य मं उसे अप्रतिम लाभ होता है।
वृक्ष संकेत
  • जिस व्यक्ति के घर में एक भी वृक्ष फलता-फूलता है उसे और इसके घर के लोगों को 100 यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
  • जिस व्यक्ति के घर के आँगन में एक तुलसी का पौधा होता है उसे बैकुण्ठवास मिलता है।
  • जिस व्यक्ति के घर में बिल्व का एक वृक्ष होता है, लक्ष्मी उसका साथ कभी नहीं छोडती।
  • जो व्यक्ति एक भी पाकड़ का वृक्ष लगाता है उसे राजसूय यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • छह शिरीष के वृक्ष का रोपण और पालन करने वाला सदैव सुखी रहता है।
  • जो व्यक्ति 7 या इसके गुणन में पलाश के वृक्ष लगाता है उसके समस्त पित्रदोश समाप्त होते हैं। वह ब्रह्मा की कृपा का पात्र होता है। किन्तु ये वृक्ष घर की सीमा में न हों। घर की सीमा में पलाश का होना अशुभ माना गया है।
  • मधुका (महुआ) का वृक्ष का रोपण एवं पालन करने वाला कई व्याधियों से मुक्त होता है।
  • घर की सीमा में पश्चिम में पीपल का होना अति शुभ है।
  • घर की सीमा में पूर्व में बरगद का वृक्ष शुभ होता है।
  • घर में दक्षिण में गूलर और उत्तर में पाकर का वृक्ष अनेकानेक शुभत्व प्रदान करता है।
  • घर में बदरी और केला के वृक्ष नहीं लगाने चाहिए।
  • अमन चैन चाहने वाले को बैर, अर्जुन और करन्ज के वृक्ष अपने घर में नहीं लगाने चाहिए। ऐसा वृक्षायुर्वेद का कहना है।

अपषकुनों से मुक्ति तथा बचाव के उपाय - विभिन्न अपशकुनों से ग्रस्त लोगों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।
  • यदि काले पक्षी, कौवा, चमगादड़ आदि के अपषकुन से प्रभावित हों तो अपने इष्टदेव का ध्यान करें या अपनी राषि के अधिपति देवता के मंत्र का जप करें तथा धर्मस्थल पर तिल के तेल का दान करें।
  • अपषकुनों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए धर्म स्थान पर प्रसाद चढ़ाकर बांट दें।
  • छींक के दुष्प्रभाव से बचने के लिए निम्नोक्त मंत्र का जप करें तथा चुटकी बजाएं।
क्क राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम जपेत्‌ तुल्यम्‌ राम नाम वरानने॥
  • अशुभ स्वप्न के दुष्प्रभाव को समाप्त करने के लिए महामद्यमृत्युंजय के निम्नलिखित मंत्र का जप करें।
क्क ह्रौं जूं सः क्क भूर्भुवः स्वः क्क त्रयम्बकम्‌ यजामहे सुगन्धिम्‌ पुच्च्िटवर्(नम्‌ उर्वारूकमिव बन्धनान्‌ मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात क्क स्वः भुवः भूः क्क सः जूं ह्रौं॥क्क॥
  • श्री विष्णु सहस्रनाम पाठ भी सभी अपषकुनों के प्रभाव को समाप्त करता है।
  • सर्प के कारण अषुभ स्थिति पैदा हो तो जय राजा जन्मेजय का जप २१ बार करें।
  • रात को निम्नोक्त मंत्र का ११ बार जप कर सोएं, सभी अनिष्टों से भुक्ति मिलेगी।
बंदे नव घनष्याम पीत कौषेय वाससम्‌।
सानन्दं सुंदरं शुद्धं श्री कृष्ण प्रकृते परम्‌॥

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