जहाँ हर चीज है प्यारी, सभी चाहत के पुजारी,
प्यारी जिसकी ज़बां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है, वो प्यारा ताज महल है,
प्यार का एक निशां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
जहाँ फूलों का बिस्तर है, जहाँ अम्बर की चादर है,
नजर तक फैला सागर है, सुहाना हर इक मंजर है,
वो झरने और हवाएँ, सभी मिल जुल कर गायें,
प्यार का गीत जहां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
जहां सूरज की थाली है, जहां चंदा की प्याली है,
फिजा भी क्या दिलवाली है, कभी होली तो दिवाली है,
वो बिंदिया चुनरी पायल, वो साडी मेहंदी काजल,
रंगीला है समां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
कही पे नदियाँ बलखाएं, कहीं पे पंछी इतरायें,
बसंती झूले लहराएं, जहां अनगिनत हैं भाषाएं,
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मंदिर में घंटी,
और मस्जिद में अजां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
कहीं गलियों में भंगड़ा है, कही ठेले में रगडा है,
हजारों किस्में आमों की, ये चौसा तो वो लंगडा है,
लो फिर स्वतंत्र दिवस आया, तिरंगा सबने लहराया,
लेकर फिरे यहाँ-वहां, वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां।
~चंचल भारद्वाज जी
ॐ ॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥ ॐ
प्यारी जिसकी ज़बां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है, वो प्यारा ताज महल है,
प्यार का एक निशां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
जहाँ फूलों का बिस्तर है, जहाँ अम्बर की चादर है,
नजर तक फैला सागर है, सुहाना हर इक मंजर है,
वो झरने और हवाएँ, सभी मिल जुल कर गायें,
प्यार का गीत जहां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
जहां सूरज की थाली है, जहां चंदा की प्याली है,
फिजा भी क्या दिलवाली है, कभी होली तो दिवाली है,
वो बिंदिया चुनरी पायल, वो साडी मेहंदी काजल,
रंगीला है समां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
कही पे नदियाँ बलखाएं, कहीं पे पंछी इतरायें,
बसंती झूले लहराएं, जहां अनगिनत हैं भाषाएं,
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मंदिर में घंटी,
और मस्जिद में अजां, वही है मेरा हिन्दुस्तां।
कहीं गलियों में भंगड़ा है, कही ठेले में रगडा है,
हजारों किस्में आमों की, ये चौसा तो वो लंगडा है,
लो फिर स्वतंत्र दिवस आया, तिरंगा सबने लहराया,
लेकर फिरे यहाँ-वहां, वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां।
~चंचल भारद्वाज जी
ॐ ॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥ ॐ
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