01 फ़रवरी 2012

हमारे संविधान में देश के दो नाम हैं - "इंडिया दैट इज भारत।"

संविधान पारित होने के दिन अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में कहा था की मुझे खेद है कि हम स्वतंत्र भारत का अपना संविधान भारतीय भाषा में नहीं बना सके। संविधान सभा की शुरुआत में ही सेठ गोविंददास,धुलेकर ने हिंदी में संविधान बनाने की मांग की।
वी॰एन॰ राव द्वारा तैयार संविधान का पहला मसौदा अक्टूबर 1947 में आया। डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता वाली समिति का मसौदा फरवरी 1948 में आया। नवंबर 1948 में तीसरा प्रारूप आया। तीनों अंग्रेजी में थे। "हिंदी राजभाषा है, पर अंग्रेजी का प्रभुत्व है।"
दुनिया के सभी देशों के संविधान मातृभाषा में हैं, लेकिन भारत का अंग्रेजी में बना।
हमारे संविधान में देश के दो नाम हैं - "इंडिया दैट इज भारत।"

जम्मू-कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 370 शीर्षक में ही अस्थायी शब्द है, लेकिन 63 बरस हो गए, वह स्थायी है।
संविधान की मूल प्रति में श्रीराम, श्रीकृष्ण सहित 23 चित्र थे। राजनीति उन्हें काल्पनिक बताती है। केंद्र द्वारा प्रकाशित संविधान की प्रतियों में वे गायब हैं। इस संविधान में अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार हैं, लेकिन अल्पसंख्यक की परिभाषा नहीं।

भारतीय संविधान में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित 1935 के अधिनियम की ही ज्यादातर बाते हैं। ब्रिटिश संसद ने 1892, 1909, 1919 तक बार-बार नए अधिनियम बनाए। 1935 उनका आखिरी अधिनियम था। भारत ने 'भारत शासन अधिनियम 1935' को आधार बनाकर गलती की।
आरोपों के उत्तर में डॉ. अंबेडकर ने बताया कि उनसे इसी अधिनियम को आधार बनाने की अपेक्षा की गई है।

संविधान और गणतंत्र संकट में हैं। भारत की संसदीय व्यवस्था, प्रशासनिक तंत्र व प्रधानमंत्री ब्रिटिश व्यवस्था की उधारी है। भारत ने अपनी संस्कृति व जनगणमन की इच्छा के अनुरूप अपनी राजव्यवस्था नहीं गढ़ी। -- श्री हृदयनारायन दीक्षित

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥