फेंगशुई हजारों वर्षों से चीन के निवासियों का वास्तुशास्त्र है। यह सरल एवं समृद्धदात्री विधि है, जो भवन निर्माण एवं सजावट के काम आती है। बहुत पुरानी बात है कि चीन की पीली नदी पर मजदूर वर्ग कृषक कार्य कर रहे थे, तब उन्होंने एक विशाला कछुए को देखा। तभी से चीन में उसे शुभ शकुन के रूप में स्वीकार किया जाने लगा। उसकी पीठ पर नौ चौकोर खानों में कुछ अंक लिखे थे। इनका हर तरफ से योग 15 आता था। आगे चलकर यही चीनी अंकविद्या तथा पा-कुआ का आधार बना। फेंगशुई में पा-कुआ को कम्पास की तरह उपयोग किया जाता है।
पा-कुआ को भूखण्ड पर रखकर विभिन्न कमरों एवं आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है। फेंगशुई में चौकोर भूखण्ड श्रेष्ठ समझे जाते हैं, क्योंकि इस तरह के भूखण्ड में आदर्श परिवार की जरूरी सभी चीजें सम्मलित होती है।
फेंगशुई में 'ची' अर्थात ब्रह्माण्ड की ऊर्जा को विशेष महत्व दिया जाता है। 'ची' की रचना में 'यान' तथा 'यांग' का संयोग आवश्यक होता है। यह स्त्री एवं पुरूष स्वरुप है तथा भर्ती दर्शन में यह शिव-शक्ति के संयोग के नाम से जाना जाता है, जो शक्ति एवं ऊर्जा के साथ निर्माण में सहायक है। जब शक्ति का घर के किसी भाग विशेष में अभाव होता है, तभी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
सांसारिक जीवन का आधार विवाह है। अतः घर के शयनकक्ष में शक्ति का निरंतर प्रवाह आवश्यक है। शयनकक्ष या विवाह से सम्बंधित केंद्र को कुछ सामान्य फेंगशुई उपायों से सक्रीय किया जा सकता है। घर के शयनकक्ष में वस्तुएँ बिखरी न हों तथा कपड़ों का ढेर न लगा हो। अगर वहां अलमारियां है, तो उन पर शीएशे कदापि न हों। शयनकक्ष में चांदी की सजावट की वस्तुएँ आनन्दायक होती हैं।
मन अशांत हो, बहुत क्रोध हो या कोई विवाद की स्थिति हो, उस समय शयनकक्ष में प्रवेश न करें, न ही जीवन साथी से किसी तरह का प्रेम-प्रसंग या रोमांस करें। शयनकक्ष की दीवारों तथा पर्दों का रंग मटमैला या उड़ा हुआ रोमांस नहीं होना चाहिए। इस कक्ष में आराध्य देव की भी तस्वीर कभी नहीं रखना चाहिए।
शयनकक्ष से लगे शौचालय या बाथरूम का दरवाजा सदैव बंद रखें। अगर शयनकक्ष में ड्रेसिंग टेबल या शीशा है, तो उस पर हल्का या पारदर्शी पर्दा लगा दें। शीशा किसी भी स्थिति में पलंग को प्रतिबिंबित न करे। शयनकक्ष में करूं रस या रौद्र रूप वाली पेंटिंग या चित्र न लगाए। प्रेम एवं वात्सल्य को चित्रित करने वाले चित्र इस क्षेत्र की ऊर्जा को सक्रीय करते हैं। रंगों का चुनाव करते वक्त सावधानी रखें। हल्का लाल एवं पीला रंग सुखद है, लेकिन इसकी अधिकता अनिद्रा तथा सिर के रोग उत्पन्न कर देती है। अगर विवाह संबंध एवं प्रेम में व्यवधान आ रहा है, तो शयन कक्ष में दो मोमबत्ती जलाएं।
'ची' की सक्रियता के लिये क्रिस्टल बाँल और फानूस लगाना चाहिए। नालों से पानी नहीं टपकना चाहिए। पलंग दीवार से लगा हो तथा खिड़की से दूर हो, पलंग के नीचे सामान न रखें, तो उत्तम है। विंड चाइम लटकाएं, बांसुरी एवं घंटियों को लटकाना भी इसके लिये सुखद है। ये सावधानियां शयनकक्ष को सक्रिय कर शक्ति से भर देती हैं।
फेंगशुई के साधनों से विवाह एवं पारिवारिक जीवन को सुखद एवं समृद्ध बनाया जा सकता है।
पा-कुआ को भूखण्ड पर रखकर विभिन्न कमरों एवं आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है। फेंगशुई में चौकोर भूखण्ड श्रेष्ठ समझे जाते हैं, क्योंकि इस तरह के भूखण्ड में आदर्श परिवार की जरूरी सभी चीजें सम्मलित होती है।
फेंगशुई में 'ची' अर्थात ब्रह्माण्ड की ऊर्जा को विशेष महत्व दिया जाता है। 'ची' की रचना में 'यान' तथा 'यांग' का संयोग आवश्यक होता है। यह स्त्री एवं पुरूष स्वरुप है तथा भर्ती दर्शन में यह शिव-शक्ति के संयोग के नाम से जाना जाता है, जो शक्ति एवं ऊर्जा के साथ निर्माण में सहायक है। जब शक्ति का घर के किसी भाग विशेष में अभाव होता है, तभी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
सांसारिक जीवन का आधार विवाह है। अतः घर के शयनकक्ष में शक्ति का निरंतर प्रवाह आवश्यक है। शयनकक्ष या विवाह से सम्बंधित केंद्र को कुछ सामान्य फेंगशुई उपायों से सक्रीय किया जा सकता है। घर के शयनकक्ष में वस्तुएँ बिखरी न हों तथा कपड़ों का ढेर न लगा हो। अगर वहां अलमारियां है, तो उन पर शीएशे कदापि न हों। शयनकक्ष में चांदी की सजावट की वस्तुएँ आनन्दायक होती हैं।
मन अशांत हो, बहुत क्रोध हो या कोई विवाद की स्थिति हो, उस समय शयनकक्ष में प्रवेश न करें, न ही जीवन साथी से किसी तरह का प्रेम-प्रसंग या रोमांस करें। शयनकक्ष की दीवारों तथा पर्दों का रंग मटमैला या उड़ा हुआ रोमांस नहीं होना चाहिए। इस कक्ष में आराध्य देव की भी तस्वीर कभी नहीं रखना चाहिए।
शयनकक्ष से लगे शौचालय या बाथरूम का दरवाजा सदैव बंद रखें। अगर शयनकक्ष में ड्रेसिंग टेबल या शीशा है, तो उस पर हल्का या पारदर्शी पर्दा लगा दें। शीशा किसी भी स्थिति में पलंग को प्रतिबिंबित न करे। शयनकक्ष में करूं रस या रौद्र रूप वाली पेंटिंग या चित्र न लगाए। प्रेम एवं वात्सल्य को चित्रित करने वाले चित्र इस क्षेत्र की ऊर्जा को सक्रीय करते हैं। रंगों का चुनाव करते वक्त सावधानी रखें। हल्का लाल एवं पीला रंग सुखद है, लेकिन इसकी अधिकता अनिद्रा तथा सिर के रोग उत्पन्न कर देती है। अगर विवाह संबंध एवं प्रेम में व्यवधान आ रहा है, तो शयन कक्ष में दो मोमबत्ती जलाएं।
'ची' की सक्रियता के लिये क्रिस्टल बाँल और फानूस लगाना चाहिए। नालों से पानी नहीं टपकना चाहिए। पलंग दीवार से लगा हो तथा खिड़की से दूर हो, पलंग के नीचे सामान न रखें, तो उत्तम है। विंड चाइम लटकाएं, बांसुरी एवं घंटियों को लटकाना भी इसके लिये सुखद है। ये सावधानियां शयनकक्ष को सक्रिय कर शक्ति से भर देती हैं।
फेंगशुई के साधनों से विवाह एवं पारिवारिक जीवन को सुखद एवं समृद्ध बनाया जा सकता है।
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