जब एक व्यक्ति को गुस्सा आता है, तो वह पागलपन की हदें पार कर जाता है. अपने गुस्से को ठंडा करने के लिये वह कुछ भी कर गुजरता है.
कहते हैं कि एक पोले मैच हारने के बाद [स्वतंत्रता से पहले] अलवर के महाराजा को इतना अधिक गुस्सा आया कि उन्होंने अपने घोड़े पर पेट्रोल छिड़क कर सबके सामने उसको आग लगा दी.
इसी तरह के दूसरे उदहारण में समय-समय पर आने वाले अनचाहे मेहमानों से परशान होकर एक दिन महाराजा ने एक ज्योतिषी [जो मुम्बई से चलकर अलवर पहुंचा था] को जेल में डाल दिया. जब उसने पूछा कि यह सब उसके साथ क्यों हो रहा है, तो उसकी हंसी उड़ाते हुए उसको बताया गया कि वह एक अक्षम ज्योतिषी है क्योंकी वह अपनी स्वयं की गिरफ्तारी की भविष्यवाणी नहीं कर पाया.
मैनेजमेंट विशेषज्ञ यह मानते हैं कि गुस्सा आने का एकमात्र कारण- 'एक व्यक्ति द्वारा अपने टार्गेट को प्राप्त करने में असफल होना'. एक व्यक्ति एक दिन में प्रत्येक मिनट किसी न किसी गतिविधि या क्रिया में व्यस्त होता है. मैनेजमेंट विशेषज्ञ यह कहते हैं कि 'ऐसी कोई भी गतिविधि या कार्य नहीं होता, जिसका कोई उद्देश्य नहीं हो'. इसका सीधा सा मतलब होता है कि एक व्यक्ति प्रत्येक मिनट किसी ना किसी उद्देश्य का पीछा कर्ता है. उद्देश्य प्राप्ति पर उसे बहुत खुशी होता है परन्तु उद्देश्य की पूर्ती ना होने पर उसके गुस्सा या आक्रामक होने की अत्यधिक संभावनाएं होती है. रोजाना एक व्यक्ति को लगभग 50 प्रतिशत कार्यों में पाने उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए एक औसत आदमे को रोजाना किसी न किसी बात पर गुस्सा जरूर आता है. उदहारण के लिये, आपके सामने गाडी चलाने वाला व्यक्ति आपके बार-बार होर्न मारने के बावजूद साइड नहीं देता है, तो आप गुस्से में कुछ उलटा-सीधा कर बैठते हैं.
क्रोध एक ऐसे एनर्जी है जिसको यदि सही वक्त पर उचित दिशा में धकेल दिया जाए, तो वह एक जोश का रूप धारण कर लेती है, और इस जोश के फलस्वरूप एक व्यक्ति दीर्घकाल में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल करने में सक्षम हो जाता है.
मैनेजमेंट विशेषग्य ये सलाह देते हैं कि गुस्से के रूप में निकलने वाली ऊर्जा से एक व्यक्ति को अपनी क्रिएटिवीटी ट्रिगर करना चाहिए. यदि उसको उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो रही है तो उस पर गुस्सा करने के बजाय अपनी रचनात्मकता को उपयोग में लाकर ऐसे रास्तों की खोज करनी चाहिए जिससे आपके उद्देश्य प्राप्त हो सके. आप में स्वयं में आत्मविश्वास भी होना चाहिए को जो उद्देश्य अभी आपको प्राप्त नहीं हो सका है उसको आप कुछ समय बाद अपनी क्रिएटिवीटी से अवश्य प्राप्त कर लोगे. इससे आपको अपना क्रोध कम करने में मदद मिलेगी, और क्रोध की ऊर्जा को जोश की तरह इस्तेमाल करके दीर्घकाल में आप एक सफल इंसान भी बनोगे.
कहते हैं कि एक पोले मैच हारने के बाद [स्वतंत्रता से पहले] अलवर के महाराजा को इतना अधिक गुस्सा आया कि उन्होंने अपने घोड़े पर पेट्रोल छिड़क कर सबके सामने उसको आग लगा दी.
इसी तरह के दूसरे उदहारण में समय-समय पर आने वाले अनचाहे मेहमानों से परशान होकर एक दिन महाराजा ने एक ज्योतिषी [जो मुम्बई से चलकर अलवर पहुंचा था] को जेल में डाल दिया. जब उसने पूछा कि यह सब उसके साथ क्यों हो रहा है, तो उसकी हंसी उड़ाते हुए उसको बताया गया कि वह एक अक्षम ज्योतिषी है क्योंकी वह अपनी स्वयं की गिरफ्तारी की भविष्यवाणी नहीं कर पाया.
मैनेजमेंट विशेषज्ञ यह मानते हैं कि गुस्सा आने का एकमात्र कारण- 'एक व्यक्ति द्वारा अपने टार्गेट को प्राप्त करने में असफल होना'. एक व्यक्ति एक दिन में प्रत्येक मिनट किसी न किसी गतिविधि या क्रिया में व्यस्त होता है. मैनेजमेंट विशेषज्ञ यह कहते हैं कि 'ऐसी कोई भी गतिविधि या कार्य नहीं होता, जिसका कोई उद्देश्य नहीं हो'. इसका सीधा सा मतलब होता है कि एक व्यक्ति प्रत्येक मिनट किसी ना किसी उद्देश्य का पीछा कर्ता है. उद्देश्य प्राप्ति पर उसे बहुत खुशी होता है परन्तु उद्देश्य की पूर्ती ना होने पर उसके गुस्सा या आक्रामक होने की अत्यधिक संभावनाएं होती है. रोजाना एक व्यक्ति को लगभग 50 प्रतिशत कार्यों में पाने उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए एक औसत आदमे को रोजाना किसी न किसी बात पर गुस्सा जरूर आता है. उदहारण के लिये, आपके सामने गाडी चलाने वाला व्यक्ति आपके बार-बार होर्न मारने के बावजूद साइड नहीं देता है, तो आप गुस्से में कुछ उलटा-सीधा कर बैठते हैं.
क्रोध एक ऐसे एनर्जी है जिसको यदि सही वक्त पर उचित दिशा में धकेल दिया जाए, तो वह एक जोश का रूप धारण कर लेती है, और इस जोश के फलस्वरूप एक व्यक्ति दीर्घकाल में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल करने में सक्षम हो जाता है.
मैनेजमेंट विशेषग्य ये सलाह देते हैं कि गुस्से के रूप में निकलने वाली ऊर्जा से एक व्यक्ति को अपनी क्रिएटिवीटी ट्रिगर करना चाहिए. यदि उसको उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो रही है तो उस पर गुस्सा करने के बजाय अपनी रचनात्मकता को उपयोग में लाकर ऐसे रास्तों की खोज करनी चाहिए जिससे आपके उद्देश्य प्राप्त हो सके. आप में स्वयं में आत्मविश्वास भी होना चाहिए को जो उद्देश्य अभी आपको प्राप्त नहीं हो सका है उसको आप कुछ समय बाद अपनी क्रिएटिवीटी से अवश्य प्राप्त कर लोगे. इससे आपको अपना क्रोध कम करने में मदद मिलेगी, और क्रोध की ऊर्जा को जोश की तरह इस्तेमाल करके दीर्घकाल में आप एक सफल इंसान भी बनोगे.
एक टिप्पणी भेजें