25 जनवरी 2011

महिलाओं से बढ़ता है वेल्थ क्रियेशन

मैनेजमेंट विशेषज्ञ ये मानते हैं कि किसी भी समाज की सम्रद्धि इस बात पर निर्भर करती है कि वहां की स्त्रियाँ कितना व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेती है. जितनी उनकी व्यापारिक भागीदारी बढ़ती जायेगी, उतना ही समाज में वेल्थ क्रियेशन [पूंजी का निर्माण] भी अधिक होगा।

उदहारण के लिये अमरीका में महिलाओं की व्यापारिक भागीदारी सन 1972 में मात्रा 4 प्रतिशत थी, अर्थात अमरीका 4 प्रतिशत व्यापार पर उनका मालिकाना हक़ था। जो 2006 तक बढ़कर 38 प्रतिशत से भी अधिक हो गया।  इसका सीधा सा मतलब उन महिलाओं द्वारा संचालित व्यापारिक गतिविधियों से लगभग 20 लाख करोड़ रूपयों से अधिक का कारोबार होता है और तकरीबन 30 लाख भी अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।

इसका मुख्य कारण वहां पर मैनेजमेंट डिग्री के अंतर्गत एंटरप्रेन्योर्शिप विषय के प्रोत्साहन से है। एंटरप्रेन्योर्शिप का सीधा सा मतलब होता है 'रीलेंटलैसपरसूट आँव अपोर्च्यूनीटीज बियांड रिसोर्सिस करंटली कंट्रोल्ड' अर्थात उन व्यापारिक अवसरों से कदम रखो जो आपके वर्तमान के रिसोर्सिस की सीमा में असंभव दीखते हैं। लोन आदि के माध्यम से पूंजी जुटाकर व्यापारिक गतिविधियाँ प्रारंभ करके उसे सफल बनाना, अपने लोन को चुकाना और लाभ के माध्यम से समाज में सम्रद्धि का विस्तार करना।

भारत में महिलाओं की भागीदारी अमरीका के मुकाबले नगण्य है। हालांकि एमबीए आदि डिग्री में लडकियां अधिक से अधिक प्रवेश लेने लगी हैं, लेकिन उनकी भागीदारी में अधिक इजाफा नहीं हुआ है। 'एक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर के अनुसार 'अभी भी अधिकाँश लडकियां एमबीए डिग्री को एक कास्मेटिक डिग्री मानती हैं, इससे उनके शादी के प्रोस्पेक्टस अच्छे हो जाते हैं। शादी करने के बाद वे कोई कार्य नहीं करती, सिर्फ अपना घर-बार संभालती है।

कुछ समय से भारतीय परिवारों की सोच में कुछ बदलाव जरूर आया है, जिसके कारण से महिलाएं रोजगार क्षेत्र में प्रवेश करने लगी है, लेकिन स्वयं का व्यापार प्रारम्भ करने में अभी भी बहुत पीछे है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि वृहद स्तर पर ऐसे प्रयास किये जाएँ, जिससे अधिक से अधिक महिलाएं व्यापार के क्षेत्र में आगे आयें।