घर की नींव लगाते समय ध्यान रखें
मकान की नींव ही उसकी मजबूती का आधार होती है। नींव खुदवाते समय ध्यान रखें व्यक्ति को नींव प्रारंभ करने हेतु शुभ समय, शुभ माह, शुभ तिथि, सुभ नक्षत्र, शुभ लग्न और नींव खुदाई की शुभ दिशा का व्यक्ति हेतु शुभ मुहूर्त का चयन करके ही निर्माण करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है मन खुश रखने के लिये नींव का शुभ होना आवश्यक है।
नींव खोदना
सर्वप्रथम नींव ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) दिशा से खोदना चाहिए। फिर दक्षिण-पूर्व व वायव्य कोण (पश्चिम-उत्तर) की तरफ नींव खोदनी चाहिए। इसके बाद आग्नेय से नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) व वायव्य से नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) व वायव्य से नैऋत्य की ओर खुदवाना चाहिए।नींव भरवाई
सर्वप्रथम नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) में आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) से ईशान (उत्तर-पूर्व) की तरफ बढ़ते हुए नींव भरवानी चाहिए। प्लीन्थ के ऊपर यदि दीवारों की मोटाई 25 इंच रखना चाहते हैं, तो प्लीन्थ तक कम से कम दो फुट चौड़ी दीवार बनवानी चाहिए। यदि ऊपर केवल नौ इंच मोटी दीवारें बनवानी हो, तो प्लींथ की दीवारों की मोटाई 15 से 18 इंच तक रखी जा सकती है। भूखण्ड की प्लींथ पर्याप्त ऊंची रखनी चाहिए, ये आसपास निर्मित भवनों से थोड़ा अधिक होना चाहिए।नींव भरते समय
तुलसी की 35 पत्तियाँ, लोहे की चार कीलें, चांदी के सांप का जोड़ा, जनेऊ, पान के 11 पत्ते, मिट्टी के 11 दिए, कुछ सिक्के, आते की पंजीरी, मौसम का कोई भी फल, लड्डू, गुड, हल्दी की 5 गांठे, रोली, चावल, पुष्प, पांच छोटे चौकोर पत्थर, पांच छोटे-छोटे 2 औजार, शहद, राम मंत्र लिखित पुस्तिका, ताम्बे के कलश में उपरोक्त सभी वस्तुओं को लाल कपडे में बाँध कर नींव में रखें। तत्पश्चात नव गृह विधि एवं नवग्रह शांति का विधान करें और वास्तुनुसार निर्माण करवाएं। शुभ समय में कार्य प्रारम्भ कर कन्याओं व कारीगरों में गुड बांटकर कार्य प्रारंभ कर कन्याओं व कारीगरों में गुड बांटकर कार्य शुरू करें व 10 प्रतिशत भूमि खाली छोड़ें। भवन के दक्षिण-पश्चिम में कम और ईशान से अधिक खाली स्थान छोड़ें।
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