परमात्मा के चरणों में ही जीवन है, उसी की छाया में विश्व फल-फूल रहा है। यही परमात्मा यानी राम की कथा के श्रवण से कोटि-कोटि पापों का क्षय हो जाता है। जिसने भी रामकथा की सरिता में गोते लगाए, समझो उसने अपने उद्धारक सेतु का निर्माण कर लिया।
मानव जीवन में सात वस्तुएं मनुष्य को प्रभावित करती हैं जिनमें संशय, मोह, भ्रम, भय, अज्ञान, दुर्भाग्य और मानसिक रोग हैं।
राम कथा की मार्मिकता को जितना समझो, उतना कम है।
जीवन की सच्चाई इसमें समाहित है। इसी सच्चाई को दर्शाती है रामकथा। यह भौतिक संसार हमें कहां ले जा रहा है, इसका ज्ञान कराती है रामकथा। मोह का त्याग करना ही मोक्ष है, इसका संपूर्ण परिचय देती है रामकथा।
राम से बड़ा राम का नाम है। मिसाल के तौर पर, लंका में चढ़ाई से पहले समुद्र पर जो पुल बना, वह राम के नाम से ही संभव हो पाया। पत्थरों पर राम का नाम अंकित नहीं होता, राम के भक्त नल और नील उन पत्थरों को स्पर्श नहीं करते तो विशाल समुद्र पर बांध नहीं बनाया जा सकता था। इसके अलावा राम के परम भक्त हनुमान ने भी अपने हर साहसिक कार्य से पहले राम का नाम लिया और अपने उन कार्यों को सकुशल पूर्ण किया।
राम का नाम आज भी प्रासंगिक है। हनुमान का नाम लेने मात्र से भी उनके नाम की वंदना होती है। कलियुग में राम का नाम और अनन्यभक्त हनुमान का स्मरण, मानव जीवन का उद्धार करने वाला है। यही मानव जीवन का आधार है। अगर यह मानकर जीवन को जीया जाए तो मानो आप सब भौतिक वस्तुओं से उबर गए।
इसी राम नाम ने विश्व का निर्माण किया है। जिस भगवान ने मुझको बनाया है, उसी परमपिता परमात्मा ने बाकी लोगों को भी बनाया है। जब सभी का निर्माता वही ईश्वर है, जब सभी उसी ईश्वर की आराधना करते हैं तो फिर मैं कौन होता हूं ईश्वरीय कृति में विभेद करने वाला। जब मेरे ठाकुर के लिए सब समान हैं तो मेरे लिए भी सब समान हैं।
राम तो सभी के लिए समान भाव रखते हैं। सभी उनकी संतान हैं। वे तो सभी का भला चाहते हैं। फिर मनुष्य उन्हें कैसे भूल सकता है? राम नाम की जीवन में सार्थकता को समझाने केलिए किसी चीज को जटिल नहीं कर देना चाहिए। यह तो सीधी-सादे, मधुर वचनों में भक्तों के सामने व्याख्यायित होना चाहिए, बल्कि जो जटिल है उसे सरल बनाकर प्रस्तुत करना, राम नाम को हर मनुष्य तक पहुँचाना मेरा प्रयास है। वैसे मैं जन-जन तक राम की महत्ता को पहुंचाना चाहता हूं। इसको जटिल कर देने से क्या लाभ? फिर राम का नाम तो सभी लोगों के लिए समान है, तो क्यों न इसको सुनने का पुण्य सभी को समान रूप से वितरित किया जाए।
इसलिए बहुत से लोग कथा सुनने आते हैं। उनमें हर आदमी तो बहुत विद्वान होता नहीं कि उनसे गूढ़ बातें की जाएं। जो भी आते हैं, वह गूढ़ बातों को समझने आते हैं, तो मैं हल्की-फुल्की बातों के जरिए आध्यात्म की गूढ़ बातें हर इंसान को समझाने की कोशिश करता हूं।
वास्तव में जीवन का लक्ष्य ही राम नाम का स्मरण मानकर चलें। मान लें कि राम का स्मरण करके जहां वह ले चलें, वहां चलते जाएं। वैसे भी मनुष्य व्यर्थ ही मन को अशांत कर लेता है और तुच्छ चीजों में फंसकर जीवन को नष्ट कर रहा है। वह जिस आनंद और शांति की प्राप्त चाहता है, उसको केवल राम के नाम में लीन रहकर ही प्राप्त कर सकता है। एक बार जरा इसी को अपना लक्ष्य मानकर चलें। अपनी मंजिल तक आप खुद-ब-खुद ही प्राप्त कर लेंगे। अपने राम के पीछे हो लें, इससे ज्यादा सुखद मार्ग कोई है ही नहीं।
वह कब तुम्हारी उंगली पकड़कर तुम्हें मोक्ष दिला देगा, इसका आभास भी तुम्हें होने न पाएगा। जीवन का सत्य तो यही है कि उसके बताए पथ पर बढ़ते रहो और सोचो कि जहां तक कदम साथ दे वहां तक चलते ही जाना है। फिर पता चलेगा कि वह परमपिता तुम्हें कभी हिम्मत हारने ही नहीं देगा।
18 जनवरी 2011
"राम के गुण गाओ, उसी के हो जाओ"
Posted by Udit bhargava at 1/18/2011 08:33:00 pm
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