01 सितंबर 2010

परिवार में तालमेल जरूरी ( Families must Coordinate )

"परिवार में सभी को एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए, क्योंकि प्रेम की कडियों के साथ ही सब एकदूसरे से जुडे रहते हैं, इसलिए परिवार में खिले प्रेम के पौधे को कभी सूखने न दें।"


क लकडी को कोई भी आसानी से तोड सकता है पर वही लकडी जब एक गट्ठर के रूप में होती है तो कोई उसे तोड नहीं सकता। यही बात परिवार पर भी लागू होती है। यदि परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर एक-साथ रहेंगे तो वैमनस्य, अशांति और कलह को दूर भागना ही होगा।

जब से परिवार व समाज बने हैं तब से परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुछ प्राकृतिक नियम भी बने हैं। उन नियमों को मानना अंधविश्वास या रूढिवादिता नहीं है, बल्कि वे ऐसे नियम हैं जो सब को समान रूप से एक सूत्र में बांधे रखते हैं और परिवार सुव्यवस्थित रूप से चलता है।

परिवार की तरक्की और भलाई के लिए यह बेहद जरूरी है कि परिवार के सदस्यों में सहनशीलता, लगाव और सूझबूझ हो। परिवार पहिये वाली गाडी के समान है। इस में हर सदस्य का समान महत्व है। एक भी सदस्य अगर अपना कार्य ठीक से न करे, तो गाडी रूपी परिवार का संतुलन बिगड जाता है, फ़िर तो उसे संभालना मुश्किल हो जाता है और वह परिवार दिनप्रतिदिन पतन के गर्त में समाता जाता है।

परिवार के हर सदस्य का एकदूसरे के साथ तालमेल होना चहिए। सभी को एकदूसरे की भावना का एहसास होना चाहिए तथा सब को सब का सम्मान करना चाहिए। अनुचित बातों के लिए लडाई या कटु शब्द का प्रयोग न करते हुए सूझबूझ से काम लेना चाहिए, क्योंकि जो कार्य प्रेम से किया जा सकता है, वह जोरजबरदस्ती से संभव नहीं है।

आज के मशीनी युग में बढती हुई भौतिकता का असर कमोबेश सभी पर देखा जा सकता है। कोई भी अपने सुख में तनिक भी दखल बरदाशत नहीं करता। एक बच्चा टेलीविजन देख रहा है, यदि आप उस से कहें कि बेटा, पानी पिलाओ, तो पहले तो वह कोशिश करेगा कि उठना न पडे, फ़िर मजबूरी में उठना भी पडा तो वह खिन्न मन से उठ कर अनिच्छा से पानी पिलाएगा या कार्यक्रम के बीच में दिखाए जाने वाले विज्ञापन आने का इंतजार करेगा. यह बात आम है।

इस तरह की स्थिति के लिए हम खुद ही दोषी हैं। इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि हम अपनी पीढी को संस्कारित करने में पूरी तरह से विफ़ल रहे है। खासकर बच्चे हमारे आचरण का सूक्ष्मता से अवलोकन करते रहते हैं। हमारा व्यवहार उन के मानस में गहरे तक समा जाता है और वे उस का ही अनुसरण करते हैं। दरसल, कभीकभी परिवार के बडे सदस्य की हैसियत से हमें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, इस बात का हम बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते हैं।

घरपरिवार में ऐसी स्थिति न आए इस के लिए घर के बडे सदस्य को चाहिए कि वह दूसरे के प्रति सहानुभूति रखे, उन की जरूरतों को ध्यान में रखे, छोटे सदस्यों के प्रति अपनत्व की भावना रखे, जिस से परिवार में एक अच्छी परंपरा विकसित हो और बच्चे भी उन का अनुसरण कर के अच्छे बनें।

घर में एक व्यक्ति अपने कपडे प्रेस कर रहा है तो उसे चाहिए कि वह दूसरों के भी पूछ ले। बाजार जाते समय सब से पूछा जाए कि किसी को कुछ चाहिए तो नहीं अथवा स्वयं पानी पीते समय दूसरों से भी पूछ ले कि किसी को पानी पीना है? इस छोटीछोटी अपनेपन भरी बातों से परिवार के सदस्यों में स्नेह और सदभावना बढती है। इन्हीं में छिपी है परिवार की एकता।

किसी विशेष मुददे पर निर्णय लेते समय सभी के विचारों का स्वागत करें, किंतु उन में से गुणदोष, उचितअनुचित और परिवार की भलाई को ध्यान में रख कर फ़ैसला लें। यदि कोई अच्छी सलाह या विचार परिवार के सब से छोटे सदस्य से मिलता है तो भी उसे निसंकोच अपनाना चाहिए।

अपने विचार या फ़ैसला दूसरों पर थोपने की कोशिश न करें, हो सकता है जिसे आप उचित समझ रहे हैं, वही दूसरी द्रष्टि से अनुचित हो। हां, आप इतना जरूर कर सकते हैं कि अगर आप को लगे कि दूसरे का अनुचित निर्णय, जिस से परिवार की हानि होने की संभावना है, तो परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिल कर उसे सुलझाएं।

आमतौर पर परिवार में मतभेद तब होते हैं जब सभी अपनीअपनी मनमानी करने लगते हैं, दूसरों की भावना का ध्यान नहीं रखते। हां, सभी को अपने हिसाब से जीने की आजादी है, पर परिवार में एकसाथ रहने के लिए कुछ आदर्शों और नियमों का पालन भी सब को करना जरूरी होता है वरना घर घर न रह कर सराय बन जाता है, जहां केवल चार मुसाफ़िर रात बिताने के लिए ठहरते हैं।

परिवार में सभी सदस्य एकदूसरे के विचारों का आदर करें, उन से अपनत्व महसूस करें। किसी की गलती पर टीकाटिप्पणी या उस का उपहास करने के बजाय उस की गलती को सुधारने का प्रयत्न करें।

परिवार में किसी एक की दूसरे से तुलना न करें क्योंकि जब हाथ की पांचों उंगलियां एक समान नहीं है तब परिवार के सभी सदस्य, उन की सोच और क्षमता एक समान कैसे हो सकती है?

आपसे में क्षमता के अनुसा कार्य का बंटवारा करें, और सभी अपनी क्षमतानुसार पूरी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी पूरी करें तभी परिवार की उन्नति संभव है। इस से समाज में आप के परिवार की प्रतिष्ठा बढेगी साथ ही आप दूसरों के लिए तो सम्माननीय होंगे ही आप का पूरा परिवार भी खुशहाल होगा।