उपमंडल के गांव सौलधा के सत्संग भवन में श्रद्धालुओं को प्रवचन देते पंडित कर्ण सिंह ने कहा - कि कलियुग को सभी कोसते हैं क्योंकि यहां सभी मानव क्रोध, राग, द्वेष और वासना से ग्रस्त है। मगर यह भी सच है कि केवल कलियुग ही वह काल है जिसमें किसी भी अवस्था में केवल प्रभु का सुमिरन करते हुए प्रभु को पाया जा सकता है। कलियुग में मानव बडी सरलता से भगवान का नाम लेते हुए जीवन के भवसागर को पार कर मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।
पंडित जी ने कहा कि कोई कहता है कि काश हम सतयुग में पैदा होते तो कोई त्रेता और द्वापर युग के गुण गाता है। कलियुग में बेशक कई गडबडियां है मगर उन सबसे बचने का उपाय जितनी सरलता से कलियुग में मिल सकता है, उतनी सरलता से किसी काल में नहीं मिल सकता। पहले सत युग में प्रभु को पाने के लिए ध्यान आदि लगाते हुए मानव को बडे कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होती थी तो त्रेता युग में प्रभु योग से मिलते थे और द्वापर युग में कर्मकांड ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग था। ये सभी मार्ग नितांत कठिन और घोर तपस्या के बाद ही फलीभूत होते थे पर कलियुग में भगवान को प्राप्त करना पहले के मुकाबले बडा ही सरल हो गया है। जरूरत है तो केवल भगवान के नाम का सुमिरन करने की। यह वह मार्ग है जिस पर विविध संप्रदाय एकमत हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान का नाम जपने के लिए किसी विधिविधान, देश, काल व अवस्था की कोई बाधा नहीं है। कोई भी मानव किसी भी प्रकार से, कैसी भी अवस्था में, किसी भी परिस्थिति में, कही पर भी और कैसे भी भगवान के नाम का जाप किया जा सकता है। भगवान के नाम का जाप करने से हर युग में भक्तों का भला हुआ है। कलियुग में कबीर, मीरा, रैदास, नानक, रामकृष्ण परमहंस, रमन महर्षि आदि कई भक्तों ने भगवान के नाम का सुमिरन करते हुए जीवन के भवसागर को पार किया है। राम नाम का जाप एक औषधि है जिससे सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
30 अगस्त 2010
भगवान के नाम का जाप ही एक मात्र सहारा : कर्ण ( Chanting the name of God the only resort : Karn )
Labels: प्रवचन
Posted by Udit bhargava at 8/30/2010 07:23:00 am
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