यः यह देखा गया है कि जब मनुष्य थकता है तो वह तुरंत पोषक तत्व विटामिंस, खनिज लावण और टांनिक की गोलियों या पेय पदार्थों की ओर झुकता है। परन्तु इस प्रकार की विधियों से थकावट मिटती नहीं, दब जाती है। ज्योंही इन पोषक तत्वों को बंद किया जाता है, थकावट पहले से अधिक विकृत अवस्था में उभरकर सामने आ जाती है। अतः शारीरिक और मानसिक थकावट को प्राकृतिक ढंग से दूर किया जाए तो वे जड़ से दूर होती है दबती नहीं।
शारीरिक थकावट
थकावट दो प्रकार की होती है शारीरिक और मानसिक। मानव शरीर की रचना ऐसी होती है कि यदि उसके विभिन्न अवयवों से आवश्यकता एवं उसकी शक्ति से अधिक कार्य लिया जाए तो वे कुछ समय पश्चात विद्रोह कर बैठते हैं और परिणामतः शारीरिक थकावट बढ़ती जाती है। आवश्यकता एवं सामर्थ्य से अधिक कार्य करने के कारण शरीर के अवयवों के शिथिल हो जाने को हम शारीरिक थकावट कहते हैं।
मानसिक थकावट
मानसिक थकावट के अनेक कारण होते हैं- यदि किसी व्यक्ति को कोई ऐसा कार्य दे दिया जाए, जिसमे उसे रुचि न हो या वह काम उसकी कार्यक्षमता से अधिक हो तो वह व्यक्ति मानसिक थकावट महसूस करेगा। मानसिक थकावट का वैसे वास्तविक कारण है अव्यवस्थित जीवन, अनावश्यक दौड-धूप और चिंतन से इसका जन्म होता है। थकावट के अन्य मुख्य कारण हैं- कब्ज, गर्म और उत्तेजक पदार्थों का सेवन, सिर से रक्त की अधिकता, रक्त की अल्पता, अत्यधिक चिंतन, पौष्टिक आहार की कमी, असंतुलित भोजन, क्रोध, भय, चिंता, घृणा, ईर्ष्या-द्वेष तथा चिडचिडेपन की अधिकता, मानसिक थकावट के अन्य प्रमुख कारण हैं।
थकावट दूर करने के उपाय
यदि आप रोज थके-थके से रहते हैं तो सबसे पहले अपनी रोज की कार्यप्रणाली पर ध्यान देकर उसमें उचित परिवर्तन लाएं। अपनी कार्यक्षमता से अधिक कार्य न करें।
प्रत्येक कार्य को एक-एक कर निपटाइए। जब थकावट या ऊब महसूस करें तो काम बंद कर दीजिये।
अपने आहार पर विशेष ध्यान दें। पौष्टिक तत्वों, खनिज लवणों से भरपूर संतुलित और सात्विक भोजन की आदत डालें।
आवश्यकता से अधिक भोजन करने से लाभ के बजाय हानि ही होती है, क्योंकि पाचन-तंत्र उन्हें पचाने में असमर्थ रहते हैं और वह पचा-अधपचा आँतों में इधर-इधर जमा होकर विकार उत्पन्न करता है।
सप्ताह में एक बार उपवास अवश्य करें। किसी खुले, हवादार स्थान पर जाकर गहरी-गहरी साँसे लेकर छोड़ें। इससे आपको एकदम आराम महसूस होगा। वैसे भी स्वस्थ्य और शारीरिक सौंदर्य के लिये शुद्ध वायु सेवन बहुत जरूरी है।
जम्हाई या उबासी आने को लोग बहुधा आलस्य और थकावट का चिन्ह मानते हैं, परन्तु वास्तव में जम्हाई तब आती है जब फेफड़ों को सुचारू रूप से कार्य करने के लिये अतिरिक्त आक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है।
कब्ज से बचिए तथा अपने आपको चिंताओं से मुक्त रखने का प्रयास कीजिये।
रात्री को प्रायः हल्का-सुपाच्य भोजन कीजिये और भोजन के बाद थोड़ा टहलिए।
सोने से पहले ठन्डे पानी से हाथ-मुंह, पैरों को अच्छी तरह धोइए। इससे अच्छी और गहरी नींद आयेगी और शरीर का तनाव दूर होगा।
गर्म, उत्तेजक, अधिक मिर्च-मसाले का भोजन मत कीजिये।
अधिक से अधिक हरी सभियों, मौसमी फलों का उपयोग कीजिये, जो सब्जियां कच्ची खाने लायक हों, उन्हें कच्चा ही खाइए।
पेट, आतों, फेफड़ों, नस-नाड़ियों आदि को विकारयुक्त रखने के लिये नियमित योग, व्यायाम-प्राणायाम की आदत डालिए। कुल मिलाकर 15-20 मिनट भी उचित ढंग से व्यायाम योग आदि कर लिया जाए तो काफी आराम होता है।
प्रतिदिन आंवला, नीम्बू या थोड़े से शहद का नियमित सेवन कीजिये।
शरीर की थकन मिटाने के लिये मालिश सबसे कारगर इलाज है। तेल मालिश से शरीर की मासपेशियों, नस-नाड़ियों क तनाव दूर होता है।
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