मेरे मन में एक विचार आया कि हम ड्राइव पर जाएँ और जहाँ जैसे हालात नजर आयें, उसी के मुताबिक़ अपनी दिशा तय करें। यदि किसी कारणवश हालत बिगड़ने लगें तो हुम दौरे को बीच में ही छोड़ते हुए एक जगह बैठ जाए और वहीँ आनंद मनाएं। लोग इस बात को सुनकर खुश हो गए। हर कोई इस नई योजना पर अमल करने के लिये तैयार था। उनके चेहरे पर दुबारा मुस्कराहट लौट आई। उस समय मुझे ब्रिटेन की एक कंपनी 'हैप्पी लिमिटेड' के चीफ एक्सिक्यूटिव हेनरी स्टेवार्ट की बात याद आई। उन्होंने कहा था, 'आप मुझे अपने स्टाफ एंगेजमेंट सर्वे में ९४ परसेंट स्कोर लाकर दिन तो में आपको भरोसा दिलाता हूँ कि आपके कारोबार की बिक्री और मुनाफे में कई गुना वृद्धि नज़र आएगी। सोचिये आपका संस्थान कैसा होगा, यदि प्रबंधकों को उनके जन-कौशल के आधार पर चुना जाए जहाँ कर्मचारियों को फील गुड महसूस कराने पर मुख्य फोकस हो?'
'हैप्पी लिमिटेड' कर्मचारियों को अपने प्रबंधक चुनने की आजादी देती है। वह अपनी तकनिकी क्षमताओं के आधार पर प्रमोशन पाने वाले और जन कौशल के आधार पर प्रमोशन पाने वाले लोगों की अलग-अलग पहचान करती है। प्रत्येक संस्थान को इस भरोसे के साथ चलना चाहिए कइ हर कर्मचारी उसके साथ इसलिए जुडा है, ताकि वह अपना सर्वश्रेष्ठ परफार्मेंस दे सके। जैसे ही यह भरोसा जाहिर किया जाता है, लोग संस्थान के लिये अपना सर्वश्रेष्ठ देने में लग जाते हैं। ऐसा अनेक मैनेजमेंट गुरुओं का मानना है। किसी भी संस्थान को सफलतापूर्वक चलाने के लिये दो अलग-अलग तरह के कौशल की जरुरत होती है। एक तो है कंपनी बुनियादी तकनीकी कौशल और दूसरा है उन लोगों का ख़याल रखना, यही कारण है कि वे शीर्ष प्रबंधक बन जाते हैं।
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