1. त्याग से शांति व पवित्रता जीवन में आती है, ग्रहण करने से अशांति व अपवित्रता का आगमन होता है।
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2. अपने हित-पूर्ती में क्रियारह रहना दानवता है, व सभी जीवों के कल्याण हेतु प्रयासरत रहना मानवता है।
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3. विनयशीलता महान लोगों का गुण होता है, निरंकुश व्यवहार चेतन शून्य व अविवेकी व्यक्तियों का लक्षण होता है।
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4. ईश्वर के लिए किया गया एक पल का प्रयास भी समय आने पर सार्थक व सफल परिणाम लाता है।
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5. हमारे पास ईश्वरीय अनुग्रह से जो भी सामर्थ्य है, वह सभी के हित में बांटने के लिए है, हमें उस पर अपना एकाधिकार नहीं ज़माना चाहिए उसको अपने लिए ही संचित करके नहीं रखना चाहिए।
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6. कामनाओं व वासनाओं की पूर्ती में लगा जीव विषय वासनाओं का गुलाम हो जाता है परिणामस्वरूप जीवन-भर दुखी जीवन जीने को मजबूर होता है।
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7. कागज़ के नोट धन है तो भगवान् का भजन परमधन है अतः भागवत शरणागति में समर्पित होना चाहिए। इसी में परम लाभ की प्राप्ति संभव है।
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